चेन्नई. मंगलवार को तिंडीवनम में विराजित श्रमणसंघीय उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि एवं तीर्थेशऋषि महाराज ने नववर्ष का महामांगलिक एवं उपस्थित जनमेदिनी को हार्दिक बधाई दी। तिण्डिवनम के प्रांगण में उपाध्याय श्रीजी का तीन दिवस का प्रवास रहा। जिसमें पाश्र्वनाथ भगवान का जन्म कल्याणक भी संपन्न हुआ और आज नववर्ष का मांगलिक श्रवण एवं आशीर्वाद लेने हेतु चेन्नई के विभिन्न उपनगरों से हजारों की तादाद में भक्तगण पधारे।
गुरुदेव ने कहा कि हमें नवर्ष का स्वागत इन्सान बनकर करना चाहिए। पशु बनकर नहीं। पशु जिस प्रकार जन्मता है वह मृत्यु तक वैसा ही रहता है। लेकिन इन्सान में बदलाव की काफी कुछ संभावनाएॅं हैं। वह पंगु होने के बावजूद रेस में जीत सकता है। उसे उडऩा न आने पर भी वह आसमान में चन्द्रमा को छू सकता है। इस तरह जो जीता है, वही सच्चा इन्सान है।
इन्सान जो कर सकता है वह उसे अवश्य करना चाहिए और जो वह कर नहीं सकता उसे करने की मन में लगन और श्रद्धा होनी चाहिए। हमें यह संकलप लेना चाहिए कि गत वर्ष में जो अच्छे कार्य मैं नहीं कर सकता वह इस साल पक्का करूंगा। गुरुदेव ने उपस्थित जनमेदिनी को संकल्प कराया कि जीवन में रोना नहीं और किसी को रुलाना नहीं। वसंता बोरा एवं महिला मंडल े स्वागत गीत गाया। सभा का संचालन प्रिया करणावट एवं ममता करणावट ने किया।
महासती श्री प्रतिभाश्रीजी म.सा. ने भी अपने मंगल आशीर्वाद प्रदान किए एवं आनेवाला वर्ष सभी के लिए मंगलदायी बने यह भावना भायी।
धर्मसभा में विल्लीपुरम, आचरापाक्कम, मदुरांतकम, कलाकुर्ची तथा चेन्नई के विभिन्न उपनगरों से भक्तगण उपस्थित रहे। आज के नववर्ष के कार्यक्रम के लाभार्थी सुवालाल महावीर, रमेश करणवट परिवार रहे।
उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषिजी का प्रवास विल्लीपुरम होते हुए पांडिचेरी की ओर विहार करेंगे।