आचार्य महाश्रमण के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार, मुनि रमेश कुमार, मुनि पद्म कुमार एवं मुनि रत्न कुमार के पावन सान्निध्य में स्थानीय तेरापंथ धर्मस्थल में नित्य प्रवचन एवं धर्मप्रभावना का कार्य उत्तरोत्तर प्रगति पर है। काफी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं एवं समाजबंधु धर्मलाभ ले रहे हैं। गुवाहाटी में तपस्या का क्रम भी अनवरत चल रहा है।
इसी क्रम में बुधवार को मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि चतुर्दशी, धार्मिक गतिविधियों में संलग्न होने का एक महत्वपूर्ण दिन है। चातुर्मास के दिन तीव्र गति से निकलते जा रहे हैं। अभी भी समय है आप चातुर्मास का भरपूर लाभ लें। उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं को अपने भावों एवं शब्दों को ठीक करने की प्रेरणा दी। उन्होंने चतुर्दशी के अवसर पर कहा कि धर्मसंघ के साधु-साध्वी कठोर नियमों का पालन करते हैं। साधु-साध्वियों की पूंजी अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे पांच महाव्रत हैं।
मुनि रमेश कुमार ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादा और अनुशासन को विशेष महत्व दिया गया है। संघ में पवित्रता, निर्मलता बनी रहे इसके लिए आचार्य भिक्षु ने मर्यादाओं का निर्माण किया। आचार्य भिक्षु ने संख्या बल को महत्व नहीं दिया, बल्कि गुणवत्ता को महत्व दिया। संगठन की दृष्टि से सुदृढ़ संविधान आचार्य भिक्षु की अलौकिक देन है। उन्होंने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। मुनिश्रीजी ने श्रावक- श्राविकाओं को अपने आत्म कल्याण के लिए आचार्य भिक्षु द्वारा प्रतिपादित मर्यादाओं के पालन करने की प्रेरणा दी।
मुनि पद्म कुमार ने कहा कि जयाचार्य युग की साध्वी दीपांजी के जीवन के प्रेरक प्रसंग को सुनाया।
सुश्री वर्षा डागा के सात (7) दिन की तपस्या के उपलक्ष्य में तेरापंथी सभा ने मंगलभावना पत्रक से सम्मानित किया। इस आशय की जानकारी सभा के मंत्री राजकुमार बैद ने यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी।
*संप्रसारक*
*श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गुवाहाटी असम*