“धर्म रहित जीवन — दीप बिना ज्योति समान”
चातुर्मास के पावन अवसर पर श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में विराजमान भारत गौरव डॉ. श्री वरुण मुनि जी महाराज ने आज के प्रभावशाली प्रवचन में धर्म के महत्व पर गहन प्रकाश डालते हुए कहा —
“धर्म रहित जीवन ऐसा है जैसे दीप बिना ज्योति — न स्वयं प्रकाशित हो सकता है, न दूसरों को प्रकाश दे सकता है।”मुनि श्री ने समझाया कि जीवन में धर्म केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन का मूल आधार है। धर्म वह शक्ति है जो अंधकारमय जीवन को उज्जवल बनाती है और मनुष्य को उसकी आत्मा के वास्तविक स्वरूप से परिचित कराती है। धर्म से ही जीवन में स्थिरता, शांति, करुणा और संयम जैसे गुण विकसित होते हैं, जो सच्चे सुख का आधार हैं।उन्होंने कहा कि धर्म मनुष्य को बाहरी वैभव नहीं, बल्कि आंतरिक आलोक प्रदान करता है। आज के भौतिकवादी युग में जहां जीवन की गति तेज़ है, वहाँ धर्म ही वह साधन है जो व्यक्ति को संतुलन, विवेक और सह-अस्तित्व की भावना सिखाता है। उन्होंने कहा “यदि मनुष्य धर्म को भूल जाए, तो उसका जीवन दिशा विहीन हो जाता है। धर्म ही वह दीपक है, जो जीवन पथ को प्रकाशित करता है।”मुनि श्री ने आगे कहा कि धर्म कोई पूजा-पाठ या कर्मकांड भर नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला है। धर्म सिखाता है कि सत्य बोलो, अहिंसा का पालन करो, करुणा रखो और संयम अपनाओ।
यही चार स्तंभ जीवन को ऊँचाई तक ले जाते हैं। उन्होंने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं से कहा कि —“धर्म को केवल मंदिरों में सीमित न करें, उसे अपने घर, परिवार, व्यवसाय और समाज तक ले जाएँ।जब धर्म व्यवहार में उतरता है, तभी जीवन सफल और सार्थक बनता है।”मुनि श्री ने आज के प्रवचन में यह भी बताया कि धर्म मनुष्य को स्वयं से जोड़ता है, दूसरों से नहीं तोड़ता। धर्म का मूल उद्देश्य है — आत्मा की शुद्धि और समग्र कल्याण। उन्होंने कहा कि जैसे दीपक के बिना घर में अंधकार छा जाता है, वैसे ही धर्म के बिना जीवन में भ्रम और दुख बढ़ जाते हैं।
प्रवचन के पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ युवा मनीषी श्री रूपेश मुनि जी के मधुर भजनों से हुआ, जिनकी स्वर लहरियों ने वातावरण को भक्ति रस से भर दिया। तत्पश्चात उपप्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने मंगल पाठ का वाचन कर सभी को शुभाशीष प्रदान किया।सभा में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने उपस्थित होकर मुनि श्री के ओजस्वी उपदेशों का श्रवण किया। अनेक लोगों ने भाव-विभोर होकर धर्म मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।अंत में, श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर की ओर से सभी उपस्थित श्रद्धालुओं का आभार प्रकट किया गया और यह संदेश दिया गया कि —“धर्म ही जीवन का सार है — धर्म में ही प्रेम, शांति और मुक्ति का मार्ग छिपा है।”