बेंगलुरु। आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने दीपावलिका प्रवचन के माध्यम से धनतेरस का महत्व समझाते हुए शुक्रवार को कहा कि दिवाली त्योहार है खुशियों का, रोशनी का और अपनेपन का। शहर की हर कम्युनिटी में अपनेपन की यह मिठास घुली है।
उन्होंने कहा कि हर कम्युनिटी खुशियों और मिठास के दीयों से रोशन है। देश के अलग-अलग राज्यों की संस्कृति अलग है लेकिन दीपावली जैसे त्योहार सभी को एक सूत्र में बांध देते हैं।
दीपावली एक दिन का पर्व नहीं बल्कि पांच दिन तक चलने वाला महापर्व है। आचार्यश्री ने कहा कि धनतेरस से शुरू होने वाला यह त्योहार नरक चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैयादूज पर जाकर खत्म होता है।
हर दिन पड़ने वाले पर्व का अपना एक महत्व है और अपनी विशेषता। वे आगे बोले की जैन आगम में धनतेरस को धन्य तेरस या ध्यान तेरस कहते हैं।
भगवान महावीर ने इस दिन ध्यान द्वारा योग निरोध करते हुए समस्त प्राणी मात्र के कल्याण के 16 प्रहर की देशना दी। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुए वे दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे।
तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ। आचार्यश्री ने कहा कि ग्रह नक्षत्रम शोध संस्थान के ज्योतिषाचार्य के अनुसार राशियों के अनुसार धनतेरस पर खरीदी गई वस्तु व्यक्ति के पास स्थायी रहती है।
इस दिन सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी व अन्य वस्तुओं की खरीदारी शुभ होती है। राशियों के अनुसार खरीदारी करने पर वर्ष भर धन, सुख-समृद्धि बनी रहती है। मूलत: धनतेरस से फिर से सबकुछ नया कर दिया जाता है जिससे मन में उत्साह और उमंग का संचार होता है।