तप साधिका सुश्री ऐश्वर्या बोथरा के 11 की तपस्या पर तपोभिनंदन
टीपीएफ की ए स्पेशल सेशन ऑन हेल्थ एंड कैरियर गाइडेंस कार्यशाला आयोजित
आचार्य महाश्रमण के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनिश्री डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार जी , मुनि रमेश कुमार जी , मुनि पद्म कुमार जी एवं मुनि रत्न कुमार जी के पावन सान्निध्य में मंगलवार को स्थानीय तेरापंथ धर्मस्थल में तप साधिका सुश्री ऐश्वर्या बोथरा (सुपुत्री : राकेश-एकता बोथरा, रतनगढ़) के ग्यारह (11) की तपस्या के उपलक्ष्य में तपोभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। साथ ही तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम की ए स्पेशल सेशन ऑन हेल्थ एंड कैरियर गाइडेंस कार्यशाला आयोजित की गई।
इस अवसर पर मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार जी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा संकल्प जब अनकन्शेस माइंड अवचेतन मस्तिष्क तक चला जाता है तब वह फलीभूत हो जाता है। तपस्या हमें निर्जरा व स्वभाव परिवर्तन के लिए करनी चाहिए। तप में अपरिमित शक्ति है। इसे हमें संकल्प के द्वारा अवचेतन मन तक पहुंचाना चाहिए।
मुनि रमेश कुमार जी ने कहा कि बंधन और मोक्ष का कारण मन है। मन को हमें आध्यात्मिक और वैज्ञानिक तरीके से समझना चाहिए। मनोविज्ञान ने मन की मुख्य रूप से तीन अवस्थाएं बताई हैं। कान्शेस माइंड, अनकन्शेस माइंड, सब-कंशेस माइंड और इससे आगे सुपर कन्शेस और कोस्मिक माइंड इन्हें हर धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति समझना चाहिए।
मुख्य वक्ता डॉ. प्रगति सुराणा (बड़ोदरा, गुजरात) ने फ्रीक्वेंसी वाइब्रेशन और एफर्मेशन के साथ जीवन को कैसे स्वस्थ एवं सफल बना सकते हैं उस विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार जी ने नमस्कार महामंत्रोच्चारण से किया। मुनि कपद्म कुमार ने समारोह का कुशलतापूर्वक संचालन किया। तपस्विनी ऐश्वर्या बोथरा के पारिवारिक जनों की ओर से गीतिका एवं वक्तव्य के माध्यम से तप की अनुमोदना की गई। सभा के वरिष्ठ कार्यकर्ता राजेश जमड़ ने तपस्विनी का परिचय दिया। इस अवसर पर तेरापंथी सभा, गुवाहाटी की ओर से साहित्य एवं अनुमोदना संदेश प्रदान कर ऐश्वर्या बोथरा के तप की अनुमोदना की गई। इस आशय की जानकारी सभा के मंत्री राजकुमार बैद ने यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी।
*संप्रसारक*
*श्री जैन श्वेताम्बर