Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

ज्ञान से होती है – विवेक की प्राप्ति – डा. वरुण मुनि जी

ज्ञान से होती है – विवेक की प्राप्ति – डा. वरुण मुनि जी

श्री गुजराती जैन संघ, गांधी नगर में चातुर्मास के अवसर पर विराजमान दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. श्री वरुण मुनि जी ने धार्मिक सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि महापुरुषों के गुणगान से हमारी आत्मा पवित्र और निर्मल होती है।

वरुण मुनि जी ने बताया कि जब हम महापुरुषों की महिमा का गुणगान करते हैं, तो हमारी आत्मा में शुभ भावनाओं का संचार होता है। परमात्मा और महापुरुषों का स्मरण एवं उनके गुणों का बखान आत्मा को शुद्ध करता है। उन्होंने आगे कहा कि महान संतों की संगति और उनके गुण हमारे जीवन का आधार बनते हैं। इन गुणों को अपनाकर हम अपने भीतर की मलिनता, बुराइयों और दोषों को त्याग सकते हैं और महान संतों की परंपरा में बंधकर जीवन के सच्चे और शुद्ध मार्ग पर चल सकते हैं।

वरुण मुनि जी ने ज्ञान को आत्मा का तीसरा नेत्र बताया, जिसके माध्यम से हम सही और गलत का भान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि संसार के भौतिक और आध्यात्मिक तत्वों की वास्तविक प्रकृति को समझने में ज्ञान से श्रेष्ठ कोई साधन नहीं हो सकता। भगवान महावीर ने भी कहा है कि पहले ज्ञान प्राप्त करो और फिर दयालुता एवं विवेक से व्यवहार करो। ज्ञान आत्मा का दर्पण है, जो मन के सभी विकारों को नष्ट कर इसे शुद्ध, पवित्र और निर्मल बनाता है।

वरुण मुनि जी ने स्पष्ट किया कि ज्ञान के बिना यह समझ पाना असंभव है कि कौन-सी वस्तु अमृत है और कौन-सी विष। सही ज्ञान के माध्यम से ही हम अमृत और विष में अंतर पहचान सकते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि इस संसार में ज्ञान से पवित्र कुछ नहीं है। ज्ञान ही मानव जीवन का सार है। आत्मा का सच्चा ज्ञान जन्म-मरण के दुख को समाप्त कर सकता है। अतः प्रत्येक साधक को स्वयं ज्ञान प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए, तभी यह अमूल्य मानव जीवन सार्थक बन सकता है।

सभा की शुरुआत में युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रूपेश मुनि जी ने सुंदर भजनों की प्रस्तुति दी। इसके पश्चात राष्ट्र संत श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सभी को मंगल पाठ प्रदान किया।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar