Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

जो बीत गया, सो बीत गया : देवेंद्रसागरसूरि

जो बीत गया, सो बीत गया : देवेंद्रसागरसूरि

श्री सुमतिवल्लभ नोर्थटाउन जैन संघ में धर्म प्रवचन देते हुए आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरिजी ने कहा कि अतीत का भय और भविष्य की चिंता व्यक्ति को इतना परेशान कर देती है कि वह चैन से जी नहीं पाता है। कभी-कभी तो वह अपना मानसिक संतुलन तक खो बैठता है।

यह नहीं भूलना चाहिए कि अपराध और चिंता मनुष्य की प्राकृतिक भावनाएं हैं, लेकिन इनसे ग्रस्त हो जाना अथवा यह सोच लेना कि इनसे छुटकारा मिलना बहुत मुश्किल है, यह ठीक नहीं है। इसी सोच का परिणाम और प्रभाव व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को अस्थिर बनाये रखता है। इसके लिए मनुष्य को अपने सोच की सीमा का विस्तार करना चाहिए। ऐसा होने पर ही वह अपना सुस्पष्ट दृष्टिकोण बनाने में समर्थ हो सकता है। अतीत में क्या- क्या उसके साथ घटा था, इस ओर उसका चिंतन कभी नहीं होना चाहिए, क्योंकि मनुष्य अच्छा अथवा बुरा, जो भी घट चुका होता था, उससे सीख लेकर ही अपना वर्तमान जी रहा होता है। ऐसे में, अपने वर्तमान पर अतीत की परछाई भी नहीं पड़ने देनी चाहिए। यह तभी होगा, जब आप स्वयं में एकाग्रता लायेंगे। यहीं पर एक कुशल और सफल विद्यार्थी के जो पांच लक्षण बताये गये हैं, वे सभी सामने आते हैं।

ऐसी स्थिति को प्राप्त कर लेने पर आपको केवल अपना वर्तमान दिखने लगता है। इसीलिए एक समर्थ वक्ता और विचारक वह होता है, जो वर्तमान संदर्भ में निर्धारित विषय पर अपना व्याख्यान करता है। इस संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जो अपराध-भावना से ग्रस्त न रहा हो। अपनी उसी अपराध-भावना के बोध से ही वह अपने-आपको अपराधों के शिकंजे में जकड़ा अनुभव करता है। ऐसे में, वह इतना असहाय महसूस करता है कि अपनी प्रगति के विषय में सोच तक नहीं पाता। व्यक्ति इस स्थिति पर जितना ही विचार करता रहता है, वह उतना ही नकारात्मक सोच में ढलता जाता है।

एक सफल चिकित्सक वह होता है, जो अपनी चिकित्सा-पद्धति के प्रभाव से पहले रोग को पूरी तरह से उभार देता है और फिर धीरे-धीरे उसका उपचार कर उसे वर्तमान अवस्था में लाकर पूर्णत: स्वस्थ कर देता है। इसी तरह से हर व्यक्ति अपने किये गये कार्यों और उनसे प्राप्त बुरे परिणामों को एक बार अवश्य सामने लाता है; उनका विश्लेषण करता है और वर्तमान में उन गलतियों की पुनरावृत्ति न होने पाये, इसके प्रति सतर्क हो जाता है। वह अपने उस काले अतीत को भूलने लगता है और वर्तमान की राह पर फूंक -फूंक कर कदम बढ़ाने लगता है।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar