*☀️प्रवचन वैभव☀️*
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261)
समकिती
सुख में भी धर्म
दुःख में भी धर्म करता हैं.!
262)
देह परिवर्तन के पूर्व
कर्तृत्व भाव की
भ्रांति को तोड़ना होगा.!
263)
जो अज्ञान से
पीड़ित है वही दुखी हैं.!
264)
इन्द्रियों की
शक्ति का उपयोग
साधना के लिए करेंगे तो
संसार से तीर जाएंगे….
भोग के लिए करेंगे
तो डूब जायेंगे.!
265)
प्रायश्चित भाव से
भव्यता का प्रारंभ होता हैं.!
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*प्रवचन प्रवाहक:*
*युग प्रभावक वीर गुरुदेव*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर