चेन्नई. चेंगलपेट जैन स्थानक में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा संसार छूटेगा तभी आत्मा का विस्तार होगा। आत्मकल्याण के इच्छुक व्यक्ति को संसार के स्वरूप को समझते हुए उनको छोड़ देना चाहिए। संसार में फंसा हुआ मनुष्य कभी भी धर्म के कार्यो से नहीं जुड़ सकता है।
धर्म कार्यो में लगने से पहले संसार रूपी माया से दूर होने की जरूरत है। धर्म करने की योग्यता अर्जित करने वाला व्यक्ति ही ऊंचाइयों पर जाता है। उन्होंने कहा तीर्थंकर परमात्मा के उपदेशों को अपने जीवन में अवधारण करने वाला व्यक्ति आत्मा से परमात्मा बन जाता है।
इस मनुष्य भव को पाकर ऐसे ही इसे नहीं खोना चाहिए, बल्कि कुछ अलग करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा मनुष्य का जन्म ही सारे दुखों का कारण है। सिद्ध परमात्मा जन्म नहीं लेते इसलिए वे सारे दुखों से परे होते हैं।
जन्म लेने के बाद ही मनुष्य के जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट आते हैं। ऐसे में जो जन्म को ही मिटा देता है उसे किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है। उन्होंने कहा मनुष्य को नरक के मार्ग पर जाना है या स्वर्ग के उसे ही तय करना है।
जैसा आज देगा वैसा ही उसे आने वाले समय में वापस मिलेगा। इस लिए कुछ भी करने से पहले मनुष्य को अपने भविष्य के बारे में भी सोच लेना चाहिए।