जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने प्रवचन देते हुए कहा कि जिस इन्सान के मन मे धर्म के प्रति रूचि जागृत हो जाती है वह किसी भी समय अधर्म का सेवन नहीं कर सकता! जीवन मे दो ही प्रकार की आदते होती है एक अच्छी एक बुरी, जो अच्छी आदतों का आदि हो जाता है उसे बुरी आदते नहीं सुहाती इसके विपरीत जो बुरी आदतों का गुलाम हो जाता है वह अच्छे संस्कार नहीं ले पाता! कहा जाता है एक शराबी ने शराब छोड़ दिया लोगों ने उसे कुछ दिन बाद शराब घर मे पीते हुए देखा तो उससे पूछा तो उसने उतर दिया अब तो मै शराब छोड़ने की खुशी मे शराब पी रहा हूं!
सज्जन जीवन भर सज्जनता मे रहना पसंद करता है तो दुर्जन जीवन भर दुर्जनता नहीं छोड़ता है! रावण कंस दुर्योधन के जीवन मे जो अवगुण पनपे वो इसी रूप मे जीवन व्यर्थ कर गए, राम कृष्ण महावीर बुद्ध गुरु नानक सज्जन पुरषों ने अनेकानेक कष्ट सह कर भी सभी का कल्याण करते रहे! आचार्य मानतुंग प्रभु के चरणों मे वन्दना करते हुए कह रहे है कि जिसने अपनी आँखों से आपके गुणों का दर्शन स्पर्शन कर लिए हो वो अन्याय अधर्म प्रेरक लोगों के प्रति आकर्षित नहीं हो सकता, जो क्षिर समुद्र का खीर का स्वाद चख लेता हो वह लवण समुद्र के खारे पानी का स्वाद क्यों लेना पसंद करेगा अर्थात जो प्रभु भक्ति मे लीन हो गया है उसे संसार के पदार्थ आसक्त नहीं कर पाते है!
जिसने सत्य शील क्षमा का पान कर लिया हो वह हिंसा झूठ चोरी आदि दुष्कर्म नहीं कर पाता है! संसार मे नाना भांति के लोग निवास करते है! जो दयालु जन है वे हमेशा परोपकार वृति मे आंनद का अनुभव करते है! सभा मे साहित्यकार श्री सुरेन्द्र मुनि जी ने भक्ति रस के विविध रूपों का विवेचन वर्णन करते हुए कहा कि सभी रसों मे भक्ति को शिरोमणि रूप माना गया है! भक्ति सद्गुनो की खान है भक्ति आत्मा को परमात्मा बना डालता है! भक्ति मन के समस्त पाप ताप नष्ट कर देती है आवश्यकता है भक्ति हमारी दिल को छूने वाली हो! महामंत्री उमेश जैन ने आगामी पुष्कर गुरु जन्म जयन्ती की सूचनाएं देते हुए समाज सेवियों का अभिनदन किया।