नार्थ टाउन में विराजमान गुरुदेव जयतिलक मुनिजी ने अनन्त अनन्त उपकारी वितराग भगवान संसार को वीतरागता का मार्ग बताने वाले प्रभु के पावन कमल मे कोटि कोटि वन्दन । उन्हीं के पद चिन्हों पर चलने वाले गुरु भगवंतो को कोटिस: वन्दन नमन।
150 दिनो मे से 1दिन कम हो गया। चातुर्मास की शुरुवात तप त्याग से होती है। हर घर मे होनी तपस्या है। चातुर्मास का आनन्द तप त्याग से है।
आज गुरु पुर्णिमा है। चन्द्र जब पूर्णता को प्राप्त करता है तो पूर्णिमा आती है। गुरु भगवन्त केवल केवलदर्शन ज्ञान प्राप्त कर लेते है तो शीक्षा को प्राप्त कर लेते है। ज्ञान का प्रकाश करने और बड़े से बड़े अंधकार को मिटाने वाले गुरू है। गुरु के तीन प्रकार कुगुरु, और सुगुरू, सामान्य गुरु। कुगुरू सातवीं नरक मे भी ले जा सकता है। सातवी नरक मे घोर अंधकार । जैसे खिडकी रहित 7 कमरे का मकान आगे आगे घोर अंधकार मे कुगुरू ही लेकर जाता है पाप व्यक्ति को इस तरह से जकड़ता है कि व्यक्ति घोर कर्मों को बंध करता है।
परदेशी राजा नवीं नरक मे 24 बार जाने वाले थे। पाप को मानते धर्म को नहीं मानते है। जीव के टुकड़े करता हर पल जीवो को मारता । आत्मा को देखने के लिए उस जीव का उद्धार केशीमण ने किया। प्रतिबोध देकर परदेशी राजा को सच्चा श्रावक बना दिया। उन्होने उत्कृष्ठ रूप से के बारह व्रतो का पालन किया।
गुरु को चक्खु दयाणं कहा – चक्षु देने वाले को तो सबको मिला उसमे विवेक रूपी अंजन गुरू करते है। संसार को देखने के लिए सम्यक् दृष्टि चाहिए। परदेशी राजा रानी को अपने श्वाच्छोस्वास की तरह मानता था। उस मोह से उपर उठाने वाले केशी श्रमण मिले। परदेशी को अहिंसा का पुजारक बना दिया।
परदेशी राजा के वर्तो को गृहण करते ही रानी अपने पति के प्राणों की प्यासी बन गई। अपने – बेटे को पिता को मारने के लिए बोली । बेटा उसकी नहीं मानता है। रानी स्वयं पारने के लड्डू मे जहर मिला देती है। राजा परदेशी को लड्डु के जहर का पता चलने पर भी एक शब्द नही बोला और संथारा ले लेता है। रानी सोचती है ये किसी को बता देगा। रानी बात करने के बहाने केश को फांसी का फंदा बनाकर मार देती है। गुरु जन जन तक ज्ञान पहुंचाते है। राजा परदेशी रानी को माफ कर देता है और एक भव अवतारी बन जाते है।
सामान्य गुरु माता पिता गुरू होते है। केवल ज्ञान केवल दर्शन को प्राप्त करने वाले सुगुरु को आज गुरु पुर्णिमा के दिन याद किया जाता है।
रीना कुकडा, मधु बोहरा ने गुरु पूर्णिमा पर गुरु की महिमा बताई। मंजु कोठारी व दर्शना कोठारी ने गुरु पर गीत प्रस्तुत किया। बबीता बैद ने गुरु के बारे में वर्णन किया।