चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने दीपावली के उपलक्ष में चल रहे नमोथुनम और वर्धमान महावीर जाप के माध्यम से कहा कि धनतेरस का दिन लक्ष्मी मा के स्वागत के लिए होता है।
इस दिन मनुष्य को सिद्धि के लिए मा की महिमा गाकर पूजा पाठ करना चाहिए। ऐसे मौके आने पर सभी को बाहर के खान पान का त्याग करना चाहिए। मनुष्य जिस भाव से माता का स्वागत करेगा उसका जीवन उसी भाव से बदलेगा। अगर अच्छे भाव से स्वागत किया तो जीवन सुखों से भर जाएगा। नमोथुनम जाप से जीवन मे शुद्धि आती है।
शुद्धि आने के बाद जीवन शिद्धि पाने की ओर बढ़ता है। जिसकी जैसी सोच होगी उसको वैसा जीवन मिलेगा। मनुष्य अगर मन मे लालच रख कर स्वार्थी भाव से मा की आराधना करेगा तो उसी भाव से उसका जीवन बदलेगा। इस लिए कभी भी मा की आराधना निस्वार्थ भाव से ही करना चाहिए।
इस दिन घर के सारे गंदगी को साफ करने के साथ मन की गंदगी को भी साफ कर लेना चाहिए। घर गंदा हुवा तो उसकी सफाई कभी भी हो सकती है लेकिन मन गंदा हुवा तो उसकी सफाई आसानी से संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि जितना जल्दी मनुष्य अपने मन कि गंदगी को साफ करेगा उतना जल्दी उसका जीवन बदलेगा।
मन में गंदगी रख कर अगर निस्वार्थ भाव से भी आराधना किया तो भी वह फलित नहीं होगा। आराधना के लिए सबसे पहले मन की गंदगी को साफ किया जाना चाहिए। घर गंदा रहा तो भी चलेगा पर मन गंदा नहीं होना चाहिए। इस प्रकार से अगर मनुष्य पूजा पाठ करेगा तो उसको भटकना नहीं पड़ेगा।
साध्वी सुविधि ने कहा कि जीवन मे आगे जाने के लिए मेहनत करने की जरूरत होती है। लेकिन यह मेहनत सब नहीं कर पाते हैं। जो कर जाते है वह निखर जाते है, जो नहीं कर पाते हैं वो बिखर जाते हैं। तय आपको करना है कि आप निखारना चाहते हैं या बिखरना चाहते हैं। इस मौके पर संघ अध्यक्ष अनंदमल छलानी समेत अन्य लोग उपस्थित थे।