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“गुरु बिना ज्ञान अधुरा है” गुरु हमे जीने की कला सिखाते है!- साध्वी स्नेहाश्री जी म.सा.

“गुरु बिना ज्ञान अधुरा है” गुरु हमे जीने की कला सिखाते है!- साध्वी स्नेहाश्री जी म.सा.

आज आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ के प्रांगण मे “ गुरु- पौर्णिमा” महोत्सव मनाया गया! उपप्रवर्तिनी गुरुमॉं पु चंद्रकला श्री जी की सुशिष्या पु स्नेहाश्री जी म.सा. ने अपने उद् बोधन मे बताया गुरु वह दीपक हैं जो हमारे जीवन के अंधकार को दूर कर के हमें सफलता की राह दिखाते हैं। वे हमारे चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राचीन काल से ही भारत में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है — “गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर:” इस मंत्र से गुरु की महानता झलकती है।

गुरु केवल वही नहीं होते जो हमें किताबों का ज्ञान दें बल्कि वे होते हैं जो हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं. सही और गलत में फर्क समझाते हैं और हमारे अंधकारमय जीवन में प्रकाश लाते हैं. एक अच्छा गुरु न केवल पढ़ाता है, बल्कि हमें सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता भी देता है. गुरु पूर्णिमा का संबंध महर्षि वेदव्यास जी से भी है. माना जाता है कि इसी दिन उनका जन्म हुआ था. वेदव्यास जी ने वेदों को संकलित करके उन्हें लोगों तक पहुँचाया. इसलिए उन्हें आदि गुरु कहा जाता है, यानी पहले गुरु. उनके सम्मान में ही इस दिन को “गुरु पूर्णिमा” के नाम से मनाने की परंपरा है.

गुरु पूर्णिमा हमें यह याद दिलाता है कि गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है. जैसे दीपक अंधेरे में रास्ता दिखाता है, वैसे ही गुरु जीवन में हमें सही दिशा दिखाते हैं. यह दिन हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा अपने गुरु के प्रति आदर, धन्यवाद और विनम्रता रखनी चाहिए. गुरु पूर्णिमा पर हम अपने शिक्षकों, मार्गदर्शकों और माता-पिता को धन्यवाद देते हैं. यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में उनके बताए मार्ग पर चलें और उन्हें गर्व महसूस कराएं ! साध्वी श्रुतप्रज्ञा श्री जी ने भजन की प्रस्तुती की। पुजा भंसाली एवं बहुमंडल ने गुरु की महिमा बतानेवाला स्तवन प्रस्तुत किया! संघाध्यक्ष सुभाष ललवाणी ने गुरुमॉं एवं शिष्या इनके अटुट नाते की वास्तविक घटना पु. स्नेहाश्री जी ने कथित करने पर भावविवश हो श्री संघ द्वारा गुरुपौर्णिमा के अवसरपर वंदन नमन अर्ज़ कर शुभकामनाएँ दी! उपाध्यक्षा शारदाजी चोरडीया ने मंच संचलन सह गुरुपौर्णिमा की बधाई दी!! आज 90 बहनो ने मॉं पद्मावती एकासन के प्रत्याख्यान लेकर श्री संघ की शान बढ़ाई और 27 बहनो ने गणधर तपकी धारणा की!

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