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गुरु तो ईश्वर का रूप ही होता है: साध्वी आनन्द प्रभा

गुरु तो ईश्वर का रूप ही होता है: साध्वी आनन्द प्रभा

 

आमेट के जैन स्थानक मे चातुर्मास हेतु विराजित तपाचार्य साध्वी जय माला मा. सा. आदि ठाणा-6 के सानिध्य मे मित्र दिवस पर विशेष प्रवचन हुआ जिसमे साध्वी आनन्द प्रभा ने कहा की अपने शिष्य को ईश्वर का नाम दान देता है वो गुरु तो ईश्वर का रूप ही होता है। अगर शिष्य ने गुरु से ज्ञान लेना है तो उनकी दी गई शिक्षा को सच्चे हृदय से ग्रहण करे। सच्चे गुरु की पहचान कैसे करनी चाहिए जिसमें शिष्य को ज्ञान देने की क्षमता हो। ऐसे में ज्ञान प्राप्त गुरु की इससे भी पहचान होती है, जो गुरु सदैव अपने शिष्य को योग्यता अनुसार ज्ञान दे!!

जैन साध्वी डॉ चन्द्र प्रभा ने कहा जैसा होगा मित्र, वैसा बनेगा चरित्र

एक अच्छा और सच्चा मित्र हीरे के समान होता है जो जीवन को सजा- संवार देता है। गलत मित्र कोयले समान होता है। जलता कोयला उठाने पर हाथ जलेगा तो बुझा हुआ उठाने पर हाथ में कालिख लग जाएगा।जीवन में मित्र का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। हर बात माता-पिता या बच्चों से नहीं कह सकते लेकिन मित्र से हर प्रकार की बात कही जा सकती है।

उन्होंने कहा कि आज के युग में अच्छे दोस्त बड़े नसीब से मिलते हैं। अच्छे मित्र की पहचान है जो मित्र की बुराइयों व व्यसनों को जीवन से दूर करे। दुख-सुख में मित्र का पूरा साथ दे। पीठ पीछे भी मित्र की तारीफ करे और मित्र को सद्गुणों से जोडें ।

साध्वी विनीत प्रज्ञा ने कहा संसार में धर्म ही मनुष्य का एकमात्र सच्चा मित्र है। सांसारिक सगे-संबंधी तो सिर्फ सुख के समय ही मनुष्य का साथ देते हैं, परंतु धर्म विपत्ति के समय भी साथ रहता है।धर्म के प्रभाव के कारण ही मनुष्य अच्छा सोचता है और उत्तम कर्म करता है। बुरी सोच और बुरे कार्यों करने वालों का कोई धर्म नहीं होता। संसार में धर्म के माध्यम से ही पुण्य कार्यों में वृद्धि और पाप कर्मों की हानि होती है। धर्म ही दुखों को सहने की शक्ति देता है। धर्म से विमुख व्यक्ति दुखों को नहीं सह पाता और दुख के कारण तनाव, दवाब, हृदयाघात, पक्षाघात आदि का शिकार बन जाता है और कभी-कभी तो दुख सहन न करने के कारण उसकी मृत्यु तक हो जाती है।

मीडिया प्रभारी प्रकाश चंद्र बडोला ने बताया कि इस अवसर पर आसींद से श्री संघ ने पधाकर इस कार्यक्रम में भाग लिया । एवं * देवगढ़ भीम करेड़ा से श्री संघ के सदस्यो ने पधारकर दर्शन-प्रवचन का लाभ लिया । इस अवसर पर आमेट श्री संघ ने बाहर से पधारे हुए अतिथियो का शाल-माला से स्वागत अभिनन्दन किया । 5 अगस्त को आमेट जैन स्थानक में *आचार्य सम्राट परम पूज्य गुरुदेव श्री आनंद ऋषि जी महाराज साहब के 124 जन्मदिवस आयंबील दया एकसना रूप में मनाया जाएगा* । यह पूरे भारत वर्ष मे 108000 आयंबील तप का लक्ष्य रखा गया है । आप सभी ज्यादा से ज्यादा जप और त्याग में भाग ले । इस अवसर पर कन्यालाल मांडोत, मनोज मांडोत, आसींद, करेड़ा, देवगढ़, भीम श्री संघ के पदाधिकारी उपस्थित थे । बालक-बालिकाओ ने गीतिका प्रस्तुत की ।

इस अवसर पर वरिष्ठ श्राविकाएँ चंदनबाला सेठ, कल्पना पारीख, हेमलता तलेसरा, दिलखुश महात्मा, टीपू बाई कोठारी, संतोष बाई डांगी, लहर बाई हिरण कमला कोठारी, पानी बाई दक, पतासी बाई बापना, पारसबाई कोठारी, अनीता सरणोत, टीपू बाई दक, दर्शना तलेसरा, नीरू महात्मा, निधि जैन, आशा आंचलिया, शान्ता बाई कोठारी, मोहन बाई सरणोत, स्नेहा जैन, मन्जू बाबेल, ममता जैन, हेमा बाबेल, विधिका सूर्या, सुमित्रा दक, मधु दक, प्रकाश बाई मुणोत, आशा बांठिया, लीला पिछोलिया, शिविका दक, दिपिका कोठारी, मेघा सरणोत, आशा डांगी, विमला कोठारी, सीमा मुणोत, मोहन बाई सरणोत, अनिता सूर्या, मंजू हिरण, मनोरमा डाँगी, सुमन हिरण, मिना मेहता, शांता देवी सिरोया, प्रेमलता सिरोया, अलका सिरोया आदि सदस्याएं उपस्थित थी ।

इस धर्म सभा का संचालन नरेंद्र बडोला ने किया ।

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