Sagevaani.com/चैन्नई। क्षमा से बड़ा संसार में कोई तप नहीं है। शुक्रवार साहुकारपेट जैन भवन मे श्री नवपद ओलीजी के अष्टमदिवस पर महासती धर्मप्रभा ने आयंबिल तप अराधको और श्रध्दांलूओ को श्रीपाल चारित्र सुनाते हुए कहा कि क्षमा ही धर्म है इसके समान संसार मे कौई तप नहीं है,और धर्म भी नहीं है। जब तक मनुष्य मे क्षमा करना और क्षमा मांगता नही आ जाता है तब तक वो महान नहीं बन सकता है । मनुष्य जीवन इतना लंबा और अटपटा है कि यदि क्षमा मांगने और देने का गुण व्यक्ति में नहीं है तो उनका जीवन बड़ा कष्टकारी बन जाता है।
मांगने से अहंकार खत्म हो जाता है, जबकि क्षमा करने से संस्कार बनते हैं। शीलवान का शस्त्र, प्रेम का परिधान और नफरत का निदान है क्षमा करने के लिए व्यक्ति को अपने अहम को खत्म करना पड़ता है और एक सहनशील,संतोषी व्यक्ति ही कर सकता है। वही इंसान जगत मे महान और पूज्यनीय बनता है। साध्वी स्नेहप्रभा ने भगवान महावीर स्वामी की अंतिम देशना श्रीमद उत्ताराध्यय सूत्र का वांचन करते हुए कहा कि मनुष्य को समय मात्र का प्रमाद भी नहीं करना चाहिए क्योंकि समय का कौई भी भरोसा नहीं है। कब मृत्यु बुलावा आ जाए और सांसों डोर टुट जाने से पहले व्यक्ति चेत जाता है और धर्म के क्षेत्र में समय को व्यतीत करता है तो वह मानव भव को सार्थक बनाकर संसार से आत्मा का कल्याण करवा सकता है।
साहुकारपेट श्री संघ के कार्याध्क्षय महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया की नवपद ओलीजी करने वाले अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने आयंबिल तप एवं विगह के साध्वीवृंद से पच्चखाण लिए। जिनका साहूकारपेट श्री एस.एस. जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी,सुरेश डूगरवाल,अशोक कांकरिया पृथ्वीराज वाघरेचा,जंवरीलाल कटारिया तथा मंत्री सज्जनराज सुराणा आदि सभी ने तप की अनूमोदना की। दिनांक 5 अक्टूम्बर रविवार प्रातःकाल 8:00 बजें साहूकारपेट में साध्वी धर्मप्रभा,साध्वी स्नेहप्रभा के सानिध्य मे विशात स्थर पर पैंसठिया जाप रखा गया।
मीडिया प्रवक्ता सुनिल चपलोत
श्री एस. एस. जैन संघ साहुकार पेट चैन्नई