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क्षमा वीरों का भूषण है- डॉ श्री वरुण मुनि जी

क्षमा वीरों का भूषण है- डॉ श्री वरुण मुनि जी

श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ श्री वरुण मुनि जी म.सा. ने पर्व पर्यूषण आराधना के आठवें दिन संवत्सरी महापर्व पर बुधवार को धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि क्षमा वीरस्य भूषणम। अर्थात् तीर्थंकर परमात्मा भगवान महावीर स्वामी ने क्षमा को वीरों का भूषण बताया है। शूरवीर ही क्षमा कर सकते हैं, कायर व्यक्ति नहीं। उन्होंने कहा कि आज आप सब जीवों से क्षमा की अभिलाषा कीजिए, क्षमा याचना कीजिए और सर्व प्रथम उन लोगों से क्षमा याचना करें जिनके साथ आपका पहले कोई मन मुटाव, वैर वैमनस्य, शत्रुता का भाव रहा हो।

तभी आपका इस महापर्व पर क्षमा करना और क्षमा मांगना सार्थक होगा। वरना मात्र अपने ही मिलने वालों से क्षमा याचना करना ही केवल एक औपचारिकता ही रह जायेगी। भगवान महावीर ने क्षमा के अमृत से क्रूर हिंसक अर्जुन मालाकार, अपने पर तेज़ोलेश्या का भीषण प्रहार करने वाले गौशालक और भयंकर विषधर सर्प चंडकौशिक का भी क्षमा के अमृत से उनका हृदय परिवर्तन करते हुए उन सबका उद्धार कर दिया। आगम में वर्णन आता है गजसुकुमाल मुनि का जिनके सर पर उनके ससुर सोमिल ने क्रोधित होकर मुनि के सर पर जलती चिता के धधकते अंगारे रख दिए थे।

पर महान साधक क्षमा मूर्ति गजसुकुमाल मुनि ने अपूर्व सहनशीलता क्षमा समता का परिचय देते हुए उन सोमिल पर क्रोध विषम भाव नहीं लाते हुए उन्हें क्षमा कर देते हैं। धन्य है ऐसे जिनशासन के महान चमकते सितारे जिन्हें आज भी हम बड़े ही श्रद्धा भक्ति के साथ याद करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि क्षमा संस्कृति का प्राण है। क्षमा अत्यंत हितकारी है और सबसे उत्तम पवित्र पावन धर्म है।

इस अवसर पर श्रुताचार्य साहित्य सम्राट, वाणीभूषण पूज्य गुरुदेव प्रवर्तक श्री अमर मुनि जी महाराज के जन्म एवं दीक्षा जयंती प्रसंग पर उनके महान गुणों पर सारगर्भित प्रकाश डालते हुए कहा कि पूज्य गुरुदेव श्री अमर मुनि जी म सा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनके प्रति पूज्य गुरुदेव प्रर्वतक श्री अमर मुनि जी महाराज साहब के रहे असीम उपकारों को याद करते हुए कहा कि आज जो भी हम है यह सब परम पूज्य गुरुदेव श्री जी का ही हमारे पर महान उपकार है और आज जो कुछ हम है यह सब भी परम पूज्य गुरुदेव का ही और हमारे भण्डारी श्री पद्मचंद जी म सा का ही वरदहस्त और गुरु का पुण्य प्रताप है।

पूज्य गुरुदेव श्री अमर मुनि जी महाराज अध्यात्म जगत के कोहिनूर संत शिरोमणि रत्न थे। जिन्होंने अपनी प्रखर मेघा शक्ति,तप संयम ऊर्जा के बल पर प्रभु महावीर की जिनवाणी को सचित्र आगम प्रकाशन के साथ जन जन तक पहुंचाने में अपना अपूर्व योगदान दिया है। मुनि श्री ने कहा कि युग प्रवर्तक श्रुताचार्य साहित्य सम्राट गुरु देव श्री अमर मुनि जी महाराज ने संयम साधना के साथ साथ सर्जना के अनेक कीर्तिमान स्थापित किए। वे जैन आगमो के अंग्रेजी अनुवादन करने से विश्व विख्यात हुए।

अपनी स्पष्टवादिता एवं अनुशासन प्रियता के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे। प्रारंभ में युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी म सा ने अंतगड सूत्र का वाचन की पूर्णाहुति की।उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सबको मंगल पाठ प्रदान किया विविध तप नियम त्याग पचकखान श्रद्धालुओं ने धर्म सभा में पूज्य गुरुदेव से ग्रहण किए। इस अवसर पर समाज के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। संचालन राजेश मेहता ने किया।

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