नागदा जं. निप्र– महावीर भवन में महासति पूज्य दिव्यज्योतिजी म.सा. ने कहा कि क्रोध गुस्से की शुरुआत पाशविकता से होती है । जो कार्य नहीं करना चाहिए वह क्रोध में हो जाते हैं लेकिन जब गुस्सा शांत हो जाता है तब मानव के पास पछताने के सिवाय कुछ भी नहीं बचता है । ज्ञानी गुरुजनों ने कहा कि हमको इस अविवेकी मार्ग से बचना चाहिए। महासती पूज्य काव्य श्री जी ने कहा कि चांडाल रूपी क्रोधी मानव कर्मों का खेला है हमको किसी से मिलकर क्रोध एवं दूसरे से प्रसन्नता का अनुभव होता है।
मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ व नितिन बुडावनवाला ने बताया कि जाप की प्रभावना नीलम देवी प्रकाश चंद जी बुड़ावन वाला एवं सुनील कुमार जी गुप्ता भामावत द्वारा वितरित की गई। अतिथि सत्कार का लाभ अभय कुमार जी चपलोत ने लिया । तेले की लड़ी चांदनी पोरवाल एवं तपचंदेश्वरी महासती श्री सोम्या श्री जी म.सा. के 15 उपवास की तपस्या चल रही है एवं 15 द्रव्य तप आराधना की गई व मां पद्मावती देवी की आराधना में चातुर्मास समिति द्वारा सामूहिक एकासना का आयोजन किया एवं दोपहर को धार्मिक अंताक्षरी का आयोजन रखा गया।
संचालन राजेंद्र कांठेड़ ने किया । आभार सतीश जैन सांवेरवाला एवं संघ अध्यक्ष प्रकाश चंद जैन लुणावत ने माना।
दिनांक 16/09/2022
मीडिया प्रभारी
महेन्द्र कांठेड
नितिन बुडावनवाला