पनवेल महावीर भवन में विराजित साध्वी आभाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 3 ने सभा को संबोधित करते हुए कहा श्रावक को न्याय प्रिय होना चाहिए । न्याय से रामायण सर्जन होता है, अन्याय से महाभारत का।
अन्याय अनिति से कमाया गया-धन सात पिढियां भोगती है। न्याय करना चाहिए घर का मुखिया न्याय वाला होगा तो सब प्रेम प्यार से रहेगा-सन्तरे के जैसा नही बनना है, जो बाहर से एक है और अन्दर से अलग खरबूजे के जैसे बनो जो बाहर से अलग है. पर अंदर से एक है साध्वी महिमाश्रीजी ने पाप के विषय में बोला पाप 18.है!
पुण्य 9 है . इस लिए पाप कम करने चाहिए कौन सा पाप करने से व्यक्ति किस नरक में जाता है। स्त्री 6 नरक में जाती है. पुरुष 7 वीनरक में। साध्वी श्रश्रेयांशीश्री जी मा.सा. ने मधुर गीतिका प्रस्तुत की!
तपस्या की लड़ी चल रही है 3 मासखमण के पचखान चल रहे धर्म ध्यान का ठाठ लग रहा है !