Sagevaani.com/चैन्नई। कर्म किसी को भी नहीं बख्शते है।शनिवार साहुकारपेट जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने नवपद ओलीजी तप की अराधना करने वाले सभी साधकों से कहा कि कर्म का फल कोई परमात्मा नहीं देता। व्यक्ति जो करता है,उसी आधार पर उसे मिलता है। अच्छे कर्म करता है तो अच्छा फल मिल जाता है, बुरे कर्म करता है तो बुरा फल मिल जाता है। कोई भी मनुष्य कर्मों का फल प्राप्त किए बिना संसार से मुक्त नहीं हो सकता। आज नहीं तो कल भोगने कर्मो के भुगतान किये बिना यह कर्म छोड़ने वाले नहीं है। कर्म के आगे किसी का जोर तथा रिश्वत भी नहीं चलती। कर्म एक स्वतंत्र सत्ता है और जीव को प्राणियों को कर्म करने का स्वतंत्र हक है और कर्म फल भी कर्म स्वभाव से ही प्राप्त होते है।निरपेक्ष भाव से अच्छे कर्म करने पर ही मनुष्य अपनी आत्मा को श्रेष्ठ से सर्वश्रेष्ठ बनाकर मोक्ष प्राप्त कर सकता हैl
साध्वी स्नेहप्रभा ने श्रीमद उत्ताराध्यय सूत्र के चतुर्थ अध्याय चउत्थं असंज्झयणं असंंखयं पाठ वर्णन करते हुए कहा कि परमात्मा की जीनवाणी रूपी गंगा जो मनुष्य श्रध्दां और विश्वास के साथ श्रवण करता है वह अपनी आत्मा पर जमे मेल को गंगा रूपी अमृतमय वाणी से आत्मा का प्रख्शाल करवा कर जीवन मे अनन्त-अनन्त पुण्यावानी बांधकर संसार सागर से अपनी इस आत्मा को मुक्ति दिलवा सकता है।
साहुकारपेट श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया धर्मसभा में अनेक बहनों और भाईयों आयंबिल एकासन और उपवास आदि के साध्वी वृंद से प्रत्याख्यान लिए उन सभी तपस्वीयो का संघ के मंत्री सज्जनराज सुराणा, सुभाष कांकलिया, शम्भूसिंह कावड़िया, पृथ्वीराज वाघरेचा, महावीर बोकडिय़ा, सुभाष कोठारी, गौतमचन्द मूथा, उत्तम चन्द नाहर आदि सभी ने स्वागत किया ।
प्रवक्ता सुनिल चपलोत
श्री एस.एस. जैन भवन, साहुकारपेट, चैन्नई