हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान है। वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैं।
बंधुओं जैसे कि आज भगवान पार्श्वनाथ का निर्माण कल्याणक है, उसमें हमारे को बहुत ही सुचारू ढंग से प्रवचन के माध्यम से समझाया एवं बताया कि भगवान पार्श्वनाथ के सहायक देवियां कितनी है और बताया कि 216 प्लस 218 देवियां हैं एवं उनके बारे में बहुत सारी जानकारियां दी।
आज दया भी कराई उसमें शो 100 भाइयों और बहनों ने दया व्रत क्या। अब देखिए की करुणा ह्रदय का तीसरा दिव्य भाव है करुणा प्रेम और मैत्री की सार्थक परिणति है।
करुणा प्रेम का विस्तार ही है करुणा के आते ही भगवान बुद्ध की जीवन गाथा याद आ जाती है।
जिनके जीवन की नींव ही करुणा थी नेमिनाथ कि उस करुणा का स्मरण कीजिए जिस से प्रेरित होकर उन्होंने बालों में बंद जानवरों को मुक्त कर दिया।
अपने विवाह तक का त्याग कर दिया और विवाह यात्रा को दीक्षा यात्रा में तब्दील कर दिया।
राजा शिवि कि वह करुणा कृत्य पुण्य है जो किसी शरणागत कबूतर को बचाने के लिए अपनी जाघं का मांस काट कर देना स्वीकार करते हैं
भगवान पार्श्वनाथ की करुणा देखिए नाग नागिन का जोड़ा जल रहा था उसको बचाकर ओम असी आउ सा नमः का मंत्र सुनाया जिससे वह देव देवी बने।
भगवान पार्श्वनाथ के रक्षक बने मैं तो कहूंगी कि अगर हम ह्रदय में करुणा की रसधार बहाना चाहते हैं।
तो इस वृक्ष की और देखो जिसे अगर पत्थर भी मारो तो वह जवाब में फल ही देता है आप करुणा भाव से प्रेरित होकर अपने जीवन को भी नई दिशा दे सकते हैं।
हो सके तो आप सभी अपने मन में करूणा भाव जरूर लाएं कोई अपना जीवन सार्थक बनेगा जय जिनेंद्र जय महावीर कांता सिसोदिया भाईंदर 🇭🇺🇭🇺


