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इन्सान नहीं इन्सान का आचरण बोलता है: डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी

इन्सान नहीं इन्सान का आचरण बोलता है: डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी

जैन सभा मे बोलते हुए डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने देश का उत्थान पतन व्यक्ति के आचरण को बतलाते हुए कहा कि व्यक्ति का सुधार ही परिवार समाज राष्ट्र का सुधार लाता है क्योंकि व्यक्ति व्यक्ति से मिलकर ही राष्ट्र के लाखों करोड़ों लोगों का समूह तैयार होता है। एक एक बूंद जब मीठी होती है तब नदी तालाब बांध का पानी मीठा बनता है। इसके विपरीत एक एक बूंद खारी होने पर विशाल समुद्र का पानी खारा बन जाता है! इन्सान के एक एक गुण इन्सान को महान बना डालता है एवं छोटे छोटे दुर्गुण इन्सान को दुर्गनी बना देते है!नमो चरितस मे भगवान महावीर ने आचरण संयम को नमस्कार करने की प्रेरणा प्रदान की है! वह संयम किसी भी पंथ समुदाय जाति मे पाया जा सकता है!

हमारा चारित्र बोलता है! उपर से दिखावटी जीवन भले ही साफ सुथरा दिखलाई देता है भीतर मे अगर आचरण नहीं है तो संख्या के अभाव मे कोरा बिन्दु वत ज़ीरो शून्य है! शरीर तो है पर भीतर प्राण न हो, बर्तन तो है भीतर दूध पानी खाना न हो तो उन बर्तनो से पेट नहीं भरा जाता, व्यपार मे दुकानदार ने बोर्ड तो सोने चांदी कपडे बर्तन करयाणा के लगा रखे हो पर माल नहीं तो कोरे साइन बोर्ड से कार्य सम्पन नहीं होते! हमारी कथनी करनी मे अगर एका न हो तो दिखावी जीवन व्यर्थ का है! सभा मे साहित्यकार श्री सुरेन्द्र मुनि जी ने धर्म की परिभाषा करते हुए आचरण चारित्र को ही सर्व श्रेष्ठ जीवन धर्म कहा, ग्रंथो मे लिखा हुआ धर्म जीवन मे उतरना चाहिए! धर्म को मानते है किन्तु जीवन मे धर्म नहीं तो धार्मिक नहीं बन सकते धर्म जीवन जीने की कला है शैली है जीवन का मूल आधार स्तम्भ है! सभा मे मन्त्री पुष्पेन्द्र जैन ने आभार व दिनांक 14 नवंबर को बाल दिवस पर बालकों को पुरस्कृत करने की घोषणा की।

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