आचार्य महाश्रमण के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार जी, मुनि रमेश कुमार जी , मुनि पद्म कुमार एवं मुनि रत्न कुमार के पावन सान्निध्य में तेरापंथ धर्मस्थल में आयोजित आगम आधारित प्रवचनमाला में बुधवार को मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा कि जैन धर्म में प्रतिक्रमण एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसका अर्थ है अपनी गलतियों को स्वीकार करना, पश्चाताप करना और भविष्य में उन गलतियों को न दोहराने का संकल्प लेना। यह आत्मा को कर्मों के बंधन से मुक्त करने और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त करने का एक तरीका है। इसलिए भावपूर्वक प्रतिक्रमण करके अपनी आत्मा को विशुद्ध बनाएं। मुनिश्री ने श्रावक-श्राविकाओं को भादवा महीने एवं पर्युषण महापर्व के दौरान अधिकाधिक तपस्या करने की भी प्रेरणा दी।
मुनि रमेश कुमार ने उपस्थित जनमेदिनी को फरमाया – नमि राजर्षि एक ऐसे संत थे, जो अध्यात्म के उच्च शिखर पर आरोहण करके दीक्षित हुए। उस समय उनकी दीक्षा आकर्षण का केंद्र बनी कि कैसे व्यक्ति में रातोंरात विरक्त भाव जग जाता है। मुनिश्री ने कहा कि जहां संयोग है वहां वियोग भी होगा। यह संसार का नियम है। मेरा सुख व आनंद मेरे भीतर समाहित है, यह अनुभवगम्य है। आत्मिक आनंद में रमण करने वाले साधक को बाह्य घटनाएं प्रभावित नहीं कर सकती हैं। मुनि रत्न कुमार ने भी उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को प्रेरक प्रसंग सुनाया।
मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार जी, मुनि रमेश कुमार जी के पावन सान्निध्य में गुवाहाटी शहर में प्रथम बार नागपाश यंत्र सिद्धि अनुष्ठान का आयोजन 15 अगस्त को प्रात: 9 बजे तेरापंथ धर्मस्थल में आयोजित हो रहा है। इस अनुष्ठान में प्राचीन जैन चमत्कारी मंत्रों से कालसर्प दोष निवारण, ग्रह दोष निवारण, जन्म कुंडली में अशुभ ग्रह दोष दूर करने की साधना के प्रयोग प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस आशय की जानकारी सभा के प्रचार-प्रसार संयोजक संजय चौरड़िया ने यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी।
*संप्रसारक*
*श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गुवाहाटी असम*


