गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मासार्थ विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. श्री वरुण मुनि जी म. सा. ने प्रवचन सभा में श्रमण संघीय महामंत्री शेरे मेवाड़, ज्ञान सिन्धु, आशुकवि श्री सौभाग्य मुनि जी महाराज के पांचवीं पुण्य स्मृति दिवस पर उनके बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सारगर्भित प्रकाश डालते हुए कहा कि श्री सौभाग्य मुनि जी म. सा. आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत महान साधक सन्त शिरोमणि थे।
व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है। इस उक्ति को वीर प्रसूता मेवाड़ धरा में जन्मे संत शूरवीरों ने बार – बार चरितार्थ किया है। इस कड़ी में ज्ञान दिवाकर श्रमण संघीय महामंत्री, ज्ञान सिन्धु, आशुकवि, शेरे मेवाड़ परम पूज्य श्री सौभाग्य मुनि जी म. सा. कुमुद ने अपने जीवन में बिन्दु से सिन्धु, शून्य से शिखर तक की यात्रा का अनूठा व अनुकरणीय आदर्श सकल जनमानस में स्थापित किया।
समय के साथ प्रतिभा को पंख लगे और मुनि श्री ने विविध दर्शनों के अध्ययन के साथ हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, आदि अनेक भाषाओं में ज्ञानार्जन किया तथा गद्य एवं पद्य में विविध साहित्य सर्जना की।आपने राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक आदि अनेक क्षेत्रों में विचरण कर जन -जन को अहिंसा, सत्य, प्रेम का आलोक बांटा। उन्होंने कहा कि सेवा, विनय, समता, सादगी, समर्पण, समन्वय, स्नेह – सौहार्द की भावना से ओतप्रोत श्री सौभाग्य मुनि जी म सा का संयम स्पंदन जन -जन में आस्था के अमिट निशान कायम करता गया।
मुनि श्री ने श्री सौभाग्य मुनि जी म सा के जीवन के अनेक प्रेरक संस्मरण प्रस्तुत करते हुए साधकों को उनके विराट संयमी जीवन से प्रेरणा ग्रहण करने की बात कही। ऐसे महान संयमी आत्मा के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को भी हम सफल सार्थक बनायें यही उन महापुरुष के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि भावांजलि विनयांजलि होगी।प्रारंभ में युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी म सा ने भजन प्रस्तुत किया। उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी म सा ने सबको मंगल पाठ प्रदान किया।परम पूज्य गुरुदेव श्री जी के पावन सानिध्य में आयम्बिल नवपद ओली आराधना प्रारंभ हुई।कार्यक्रम का संचालन राजेश मेहता ने किया। इस अवसर पर संघ एवं समाज के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।