Sagevaani.com @चेन्नई . श्री सुमतिवल्लभ नोर्थटाउन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ में प्रवचन के माध्यम से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पूज्य आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरिजी ने कहा कि आत्मविश्वास मनुष्य के अंदर ही समाहित होता है।
बस जरूरत है अपने अंदर की आंतरिक शक्तियों को इकट्ठा कर अपने आत्मविश्वास को मजबूत करने की। जीवन में सफलता के लिए आत्मविश्वास उतना ही आवश्यक है, जितना मनुष्य के लिए ऑक्सीजन और पानी। बिना आत्मविश्वास के व्यक्ति सफलता की ऊंचाइयों पर कदम बढ़ा ही नहीं सकता। आत्मविश्वास बनाने में समय और अभ्यास लगता है। इसमें यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करना, उपलब्धियों का जश्न मनाना और असफलताओं से सीखना शामिल है। याद रखें, गलतियाँ हर कोई करता है, लेकिन मायने यह रखता है कि हम उनसे कैसे सीखते हैं। आत्मविश्वास वह ऊर्जा है, जो सफलता की राह में आने वाली हर अड़चनों, कठिनाइयों और परेशानियों से मुकाबला करने के लिए व्यक्ति को बल देती है। एक अच्छे चरित्र का निर्माण हजारों ठोकरें खाने के बाद ही होता है। इसका अर्थ है कि मनुष्य को अपनी असफलता से प्रेरणा लेकर सफलता की तरफ अग्रसर रहना चाहिए।
हर किसी के जीवन में उतार-चढ़ाव, सफलता, असफलता आती रहती है, परंतु हमें विषम परिस्थितियों में कभी भी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ना चाहिए। असफलता ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। आत्मविश्वास मनुष्य का जीवन का आधार है। आत्मविश्वास के साथ-साथ हमें हमेशा अच्छे रास्तों पर अग्रसर रहना चाहिए। हमारे जीवन में क्या उचित है, क्या अनुचित है। इसकी समझ हमेशा रहनी चाहिए। जिस तरह से एक कागज के नोट का मूल्य नया व पुराना दोनों परिस्थितियों में एक समान होता है। ठीक इसी प्रकार हमें असफल होने पर भी अपने मूल्य को कम नहीं समझना चाहिए। हम अद्वितीय है। हम सभी कार्य करने में सक्षम हैं। हमें किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी है। सफलता की महत्वपूर्ण कुंजी आत्मविश्वास का होना है और आत्मविश्वास की एक महत्वपूर्ण कुंजी बेहद तैयारी का होना है।