चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने कहा परमात्मा का धर्म उनके जीवन से जन्मा हुआ बाह्य स्वरूप है। सुधर्मास्वामी ने कहा है कि अपना धर्म अपना जीवन होना चाहिए। आत्मा का स्वभाव धर्म है। सभी जीव अपने स्वभाव के अनुसार अपने धर्म को जीते हैं लेकिन एकमात्र मनुष्य ही ऐसा है जो अपने स्वभाव के विपरीत जीता है। लेकिन परमात्मा यशस्वी और सफल हैं।
जिस प्रकार को गोशालक को परमात्मा पास होते हुए भी नजर नहीं आते हैं और ज्ञान का उजाला हुआ तो पास न होते हुए भी परमात्मा नजर आ जाते हैं।
इनकी परमात्मा ने समीक्षा कर परमात्मा ने जो धर्म प्रदान किया है वह दीप और द्वीप की भांति इन सबसे परे है, उसके पास दुख और सुख की तरंगें नहीं पहुंच सकती। परमात्मा ने कहा है कि सुख-दुखों से प्रभावित होकर न दौड़ें, इनसे मुक्त हो जाएं। ऐसा व्यक्ति धर्म श्रद्धा का परिणाम है। अपने अन्तरमन में किसी भी बात को लेकर गांठ न बांधें, इनसे मुक्त हो जाएं। जहां मन में गांठ होती है वहां भय रहता है और परमात्मा हमें इससे मुक्त करते हैं।
फाउंडेशन की चेयरमैन कांताबाई चोरडिय़ा ने कहा कि लोगों की वर्तमान जीवन की समस्याओं का समाधान करने और पूज्य गुरुदेव की साधना द्वारा प्रदत्त अनेक योजनाओं से मनुष्य मात्र को लाभान्वित करने के उद्देश्य से इस अर्हम विज्जा के केन्द्रीय कार्यालय की आवश्यकता आज पूरी हुई है। मुख्य अतिथि नवरतनमल चौरडिय़ा, अभयकुमार श्रीश्रीमाल और शांतिलाल सिंघवी रहे।
फाउंडेशन के लोगों का विमोचन और कार्यालय का उद्घाटन मुख्य अतिथियों ने किया। अजीत चोरडिया ने अपने विचार प्रकट किए और फाउंडेशन से समाज और समाज को इससे लाभान्वित होने की शुभकामनाएं दी।