माधवरम में जैन तेरापंथ नगर स्थित महाश्रमण सभागार में पर्यूषण पर्व के तीसरे दिन को सामायिक दिवस रूप में मनाया गया। इस मौके पर आचार्य महाश्रमण ने कहा साधु को तो सावद्य योग का जीवनभर के लिए त्याग होता है। श्रावक को अल्पकालिक सावद्य योग जबकि साधु को पूर्णकालिक सावद्य योगों का त्याग होता है। सामायिक समता की आय वाला उपक्रम हो। आदमी को यह ध्यान रखना चाहिए कि यदि शादी समारोह का अवसर भी शनिवार को है और शादी में देर है तो शादी के मण्डप और आसपास भी सभी स्वजनों के साथ सामूहिक रूप में सामायिक की जा सकती है। इस प्रकार शादी का मण्डप भी सामायिक का मंडप हो सकता है। ऐसा हो तो कितनी अच्छी बात हो सकती है। सामायिक में गृहस्थ भी साधु जैसा ही बन जाता है। जैसे साधु के मुखवस्त्रिका होती है और गृहस्थ के भी मुखवस्त्रिका होती है। वस्त्र, वेशभूषा के हिसाब से दोनों में कुछ समानता होती है। इतना ही नहीं, सावद्य योगों के...