एमकेबी नगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मप्रभा व स्नेहप्रभा के सान्निध्य में पर्यूषण पर्व का चौथा दिन प्रमोद दिवस के रूप में मनाया गया। इस मौके पर साध्वी धर्मप्रभा ने कहा कल्पसूत्र में जिन दस कल्पों का वर्णन मिलता है उनमें से पर्यूषण एक अनित्य कल्प है। प्रथम व अंतिम तीर्थंकर के समय में ही पर्यूषण कल्प होता है मध्य के 22 तीर्थंकरों के समय में पर्यूषण नहीं होता है। साध्वी ने अचिलक्य, अद्विशिक, शय्यातर, राजपिंड, कृतिकर्म व व्रत आदि कल्पों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कृष्ण चारित्र के माध्यम से बताया कि संसार में अनंत प्राणी जन्मते व मरते हैं लेकिन सभी को पुरुषोत्तम नहीं कहा जाता। कोई भी मानव केवल सुंदर रूप, रूप, ऐश्वर्य या बल से पुरुषोत्सम नहीं कहला सकता। पुरुषोत्तम वही ंकहलाते हंै जो धरती पर जन्म लेकर धर्म की रक्षा करते हैं और धर्म रक्षा के लिए जरूरत पडऩे पर प्राण भी न्यौछावर क...
एमकेबी नगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मप्रभा व स्नेहप्रभा के सान्निध्य में पर्यूष्यण पर्व के पहले दिन नवकार मंत्र का अखंड जाप शुरू हुआ। इस अवसर पर साध्वी धर्मप्रभा ने कहा यह पर्व आत्मा की परम शुद्धि करने वाला है। यह प्रत्येक आत्मा को अध्यात्मोन्मुखी दृष्टि प्रदान करता है। वैर विरोध का शमन कर प्रेम क्षमा मैत्री की त्रिवेणी प्रवाहित करता है। किसी दूसरे की निन्दा न कर स्वयं में झांकना ही पर्यूषण पर्व का संदेश है। यह पर्व हमें अंतरमुखी दृष्टि देता है। सरलता से जीवन को सरस और सहज बनाने में पर्यूषण की सार्थकता है। तप, त्याग और अनुष्ठान श्रद्धा से अंगीकृत करें। बड़े ही पुण्य से ये अवसर मिलता है। इसका लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कृष्ण चरित्र का वाचन भी किया। इससे पहले साध्वी स्नेहप्रभा ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन करने के बाद अहिंसा दिवस पर कहा कि भगवान महावीर का धर्म दया, अहिंसा और करुणा का धर्म ह...
श्री एसएस जैन संघ एमकेबी नगर एवं साध्वी धर्मप्रभा व स्नेहप्रभा के सान्निध्य में मरुधर केशरी मिश्रीमल एवं वरिष्ठ प्रवर्तक रूपमुनि की जन्म जयंती मनाई गई। विशिष्ट अतिथि एसएस जैन संघ साहुकारपेट के अध्यक्ष आनंदमल दल्लाणी, महावीरचंद बोहरा, मोहनलाल चोरडिया, पदमचंद कांकरिया, वईसराज रांका, दीपचंद लूणिया, डा. उत्तमचंद गोठी व सज्जनराज मेहता थे। दर्शना महिला मंडल व त्रिशला बहू मंडल के स्वागत गीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। चातुर्मास समिति के चेयरमैन पारसमल लोढा ने स्वागत भाषण दिया। इस मौके पर साध्वी धर्मप्रभा ने कहा मरुधर केशरी का जीवन एक जलती हुई जो आज भी पूरे समाज एवं संघ का मार्गदर्शन करती है। वे दृढ़ संकल्पी, अटूट विश्वास के धनी, दीन-दुखियों के हितेषी, जीवदया के प्रबल प्रेरक, आत्मविश्वास से परिपूर्ण और श्रवण संघ की ढाल थे। उन्होंने श्रमण संघ को एकसूत्र में पिरोने के लिए सात बार राजस्थान में साधु स...