कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में विराजित आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा परिस्थिति के अनुकूल अपना स्वभाव बनाकर जीने से प्रसन्नता स्वयं आपका स्वागत करेगी। राम ने प्रतिकूलता में रहकर प्रसन्नता कायम रखी और धैर्य कभी नहीं छोड़ा। उसका परिणाम है कि राम घर घर के वासी बन गए। सम्मानीय, आदरणीय और पूजनीय बन गए। उनकी मर्यादा और जीवनशैली को आत्मसात करके देखो, जीवन स्वर्ग बन जाएगा। आजकल लोग नेता इच्छाओं व अहंकार की पूर्ति करने के लिए बनते हैं। देशभक्ति, जनसेवा और जन कल्याण के लिए नहीं। इसीलिए राजनीति में आते ही व्यक्ति बिगड़ जाता है और अहंकारी, अडिय़ल हो जाता है। गटर में कितनी गंदगी है ये गटर खोलने के बाद ही पता चलता है। मन में कितनी वासनाएं छिपी हैं ये गलत निमित्त मिलने पर ही पता चलता है। अधिक सुविधाएं मन को विचलित कर देती हैं यह बात कभी मत भूलना। मिट्टी के तेल को महीनेभर फ्रिज में रखने के बाद भी उसकी ज्...