पर्युषण पर्व

क्षमापना पर्व संवत्सरी मनाया त्याग, तप और धर्माराधना के साथ: उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि

गुरुवार को श्री एमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर, पुरुषावाक्कम, चेन्नई में चातुर्मासार्थ विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि महाराज एवं तीर्थेशऋषि महाराज द्वारा पर्युषण पर्व के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व पर उपस्थित जैन मैदिनी को प्रवचन में कहा कि साधर्मिक की सेवा करना तीर्थंकर परमात्मा की भक्ति करने के समान है। जो इस भावना के साथ अपने साधर्मिक भाइयों की सहायता करनी चाहिए। आज महापर्व पर ऐसी भावना भाएं कि इस संसार से आज तक बहुत कुछ लिया है और अब मुझे इस संसार को देना है और मानव, साधर्मिक, और संघ सेवा को अपना उद्देश्य बनाएं। जीवन में यदि किसी के विचारों से असहमती हो तो उसे अपने मन में गांठ की तरह न बांधें, दुश्मनी का रूप न दें। क्षमा के महापर्व पर प्रण लें कि यदि किसी से एग्री न हो तो कभी भी एंग्री न होंगे। यदि संघ में किसी बात पर असहमति हो जाए तो भी ऐसा प्रयास करें कि संघ की प्रभावना ही हो विरोध नहीं।...

विमलशिष्य वीरेन्द्रमुनि का प्रवचन

कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में पर्युषण पर्व के सातवें दिन जैन दिवाकर दरबार में विमलशिष्य वीरेन्द्रमुनि ने धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि आज हम संतों की बीती बातें सुनाने का व स्वाध्याय संघ के प्रणेता परम पूज्य श्री पन्नालाल जी म सा की जन्म जयंती है। ( 1 ) पूज्य आचार्य सम्राट श्री हुक्मीचंदजी म सा महान त्यागी वैरागी ज्ञानी ध्यानी संत थे जो कि एका भव अवतारी थे पुज्य श्री एक बार राजस्थान के नाथद्वारा में प्रवचन सुना रहे थे तब आसमान से रुपयों की बारिश हुई थी। ( 2 ) परम पूज्य आचार्य श्री धर्मदासजी म सा ने अपने शिष्य को कायर जानकर के धार शहर में स्वयं संथारे के आसन पर बैठ गये थे जिन शासन की आन बान शान की रक्षा के लिये अपने आपको न्योछावर कर दिया था। ( 3 ) पुज्य श्री नेतसिंहजी म सा ने सेलाने ( मध्य प्रदेश ) के जंगल में मंगल कर दिया था महुआ के वॄक्ष के नीचे संथारा कर लिया था आपके...

नवकार में छुपा है व्यवसाय की सफलता का राज : उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि

मंगलवार को श्री एमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर, पुरुषावाक्कम, चेन्नई में चातुर्मासार्थ विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि महाराज एवं तीर्थेशऋषि महाराज द्वारा पर्युषण पर्व के अवसर पर ‘‘व्यवसाय की सफलता’’ विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित हुआ। उपाध्याय प्रवर ने बताया कि परमात्मा ने जैन धर्म में सर्वज्ञ बनना अनिवार्य किया गया है। ऐसी बातें जिन्हें पुण्य-पाप की कसौटी पर नहीं कसा जा सके उनका समाधान भी तीर्थंकर प्रभु ने दिया है। परमात्मा महावीर ने कहा है कि बिजनेस की सफलता से पहले बिजनेसमेन का व्यक्तित्व, चरित्र और प्रतिभा का विकास होना जरूरी है। सफलता का पहला सूत्र है- परस्परोग्रह जीवानां। जब तक परस्पर सहयोग नहीं करते सफल होने की संभावना नहीं है। पुराने समय में अन्यत्र व्यापार हेतु जाने के लिए दूसरों को भी अपने सहयोग देते हुए साथ ले जाकर व्यापार बढ़ाने में मदद की जाती थी, आपस में सहयोग रहता था। जब अपने स...

छूटने से पहले अपने अधिकारों को छोड़ दें : उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि

सोमवार को श्री एमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर, पुरुषावाक्कम, चेन्नई में चातुर्मासार्थ विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि महाराज एवं तीर्थेशऋषि महाराज द्वारा पर्युषण पर्व के अवसर पर ‘‘संग्रह और परिग्रह में अन्तर’’ विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित हुआ। उपाध्याय प्रवर ने बताया कि जीवन में संग्रह करना पाप नहीं है लेकिन संग्रह किए हुए पर अपना अधिकार जमाए रखना परिग्रह है, पाप है। इस दुनिया में संग्रह पर अधिकार की ही समस्त लड़ाईयां हैं। परमात्मा कहते हैं कि यदि खुला आसमान चाहिए तो परिग्रह को छोड़ें, अपने अधिकारों को छोड़ें। मृत्यु के बाद छूटे उससे पहले अपने अधिकारों को छोडऩे वाला मोक्ष का अधिकारी बनता है। संग्रह करने का जिसके पास सामथ्र्य है उसे अपनी योग्यता का पूरा उपयोग करते हुए जितना कर सकते हो उतनी ज्यादा कमाई करना चाहिए और साथ-साथ धर्म कार्यों भी करना चाहिए, पुन: बांटना भी चाहिए। धर्म में संग्रह की म...

पर्युषण में हटाएँ भीतर का प्रदूषण – संत ललितप्रभ

संत महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि पर्युषण पर्व भारत की आत्मा है। जैसे सारी नदियाँ सागर में आकर विलीन हो जाती है वैसे ही सारे पर्व पर्युषण में आकर समा जाते हैं क्योंकि सारे पर्व बाहर की दुनिया को रोशन करते हैं, पर यह हमारे अंतर्मन को रोशनी से भरने के लिए आता है। यह मन को मांजने का, कषाय की होली जलाने का, कु्र रता से करुणा की ओर व दुश्मनी से मैत्री भाव की ओर बढने का पर्व है। यह तो जीवन की प्रयोगशाला में प्रवेश है जहाँ प्रेम, क्षमा और सरलता की साबुन लेकर मन में जम चुकी वैर-प्रतिशोध और कटुता की गंदगी को धोने केप्रयोग किए जाते हैं। पर्युषण भीतर के प्रदूषण को हटाने दिव्य पर्व है। संत ललितप्रभ ने ये विचार गुरुवार को कोरा केन्द्र मैदान में पर्युषण पर्व प्रवचनमाला के प्रथम दिन रखे। वे पर्युषण पर्व का अंतर्रहस्य विषय पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पयुर्षण में त...

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