धर्मसंघ

निर्जरा के मुख्यत: तीन माध्यम: आचार्य महाश्रमण

जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ माधवरम के महाश्रमण समवसरण में आचार्य महाश्रमण कहा कि समाधि के द्वारा साधु समाधिस्थ रह सकता है। निर्जरा के मुख्यत: तीन माध्यम बताए गए हैं-स्वाध्याय, सेवा और अनाहार की तपस्या। साधु को इनमें से कोई न कोई हमेशा अपने पास रखने का प्रयास करना चाहिए। तीनों में से किसी को भी अपना मुख्य माध्यम बनाकर कर्मों की निर्जरा कर आत्मा को निमर्ल बनाने का प्रयास करना चाहिए। तपस्या में बहुत गुण होते हैं। तपस्या केवल निर्जरा की भावना की जानी चाहिए। तपस्या में भौतिक चीजों की कामना नहीं करने का प्रयास करना चाहिए। वर्तमान में लोग अनाहार (आहार का त्याग) को ही तपस्या कहते हैं। मुख्यमुनि महावीकुमार ने ‘सुरंगों शील सजो’ गीत का  संगान किया। उसके बाद आचार्य महाश्रमण ने ‘भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा’ के 25वें भव राजर्षि नन्दन के भव का वर्णन करते हुए कहा कि एक समय ऐसा आया जब राजा नंदन राजर...

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