कमल मुनि कमलेश

माता-पिता और गुरु की सेवा 4 धाम यात्रा से बढक़र: कमल मुनि कमलेश

कोलकाता. दुखी आत्मा में ही परमात्मा का निवास है। माता-पिता और गुरु की सेवा 4 धाम की यात्रा से बढक़र है। किसी अनजान अपरिचित इंसान या वैसे प्राणी जिससे दुर्गंध आ रही है, जो पीड़ा से कराह रहा हो, उसे देखकर निष्काम-निस्वार्थ भाव से परमात्मा का स्वरूप मानकर सेवा में समर्पित होने वाला ही परमात्मा का सच्चा उपासक है। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने मंगलवार को पर्युषण पर्व पर आयोजित निशुल्क चिकित्सा शिविर को सेवा दिवस के रूप में संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। मुनि ने कहा कि चारों तीर्थों की यात्रा का सार सेवा ही है। कर्मकांड उपासना को गौण कर जो सेवा कार्य को प्राथमिकता देता है, वही सच्चे धर्म का पालन करता है और ऐसे क्षणों को अनदेखा कर पूजा-पाठ में लगा रहना, साधना करना मुर्दे को श्रृंगार कराने के समान है। ऐसी आत्मा को 3 काल में भी धर्म में प्रवेश नहीं हो सकता। मुनि ने कहा कि सेवा सबसे कठिन धर्म ...

नास्तिक से ज्यादा खतरनाक उन्मादी मानव: कमल मुनि

नास्तिक व्यक्ति से भी ज्यादा खतरनाक उन्मादी मानव होता है, क्योंकि नास्तिक तो अपना नुकसान करता है लेकिन उन्मादी स्वयं के साथ परिवार, समाज और देश का विश्व का ढांचा तहस-नहस कर दिशाहीन हो जाता है। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने महावीर सदन में मंगलवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि धर्म के मार्ग पर चलने वाली पवित्र आत्मा मैं जब उन्माद सवार हो जाता है, तब उसके वशीभूत होकर धर्म के नाम पर धर्म की जाजम पर पाप और अधर्म का सेवन शुरू हो जाता है। विवेक रहित होकर पथ भ्रष्ट हो जाता है। उन्माद एक पागलपन है, जो मानव को शैतान और राक्षस बना देता है। मुनि ने कहा कि किसी भी निमित्त से हमारे में उन्माद आ जाता है, तो उससे विवेक का दीपक बुझ जाता है। नशीली वस्तु का उन्माद तो थोड़े समय बाद उतर जाता है, लेकिन धर्मांधता, लोभ, मोह और क्रोध उन्माद मरते दम तक पीछा नहीं छोड़ता। उन्होंन...

छुआछूत मानना-अपनाना शर्मनाक: राष्ट्रसंत कमल

महावीर सदन में जैन दिवाकर विचार मंच युवा शाखा अधिवेशन कोलकाता. छुआछूत को मानना-अपनाना शर्मनाक है और यह साक्षात परमात्मा का अपमान करने के समान है। मानव की शारीरिक रचना समान है, सभी के शरीर में खून लाल है और जन्म के समय किसी के सिर पर कोई जाति नहीं लिखी होती। मानव जाति एक है लेकिन किसी कुल में जन्म लेने मात्र से किसी को हीन अथवा किसी को महान मान लेना घोर अज्ञानता का प्रतीक है। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने महावीर सदन में अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली युवा शाखा के अधिवेशन को संबोधित करते हुए शनिवार को यह उद्गार व्यक्त किए। अधिवेशन के दौरान युवाओं ने जाति से ऊपर उठकर मानवता का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि मानव जन्म से नहीं कर्म से महान होता है। मुनि ने वर्ण व्यवस्था परंपरा पर कहा कि चारों ही वर्ण हमारे अंदर छिपे हुए हैं। जब शरीर की सफाई करते हैं तब शूद्र हैं, लेनदेन करते समय वणिक, ...

अज्ञान हमारे जीवन का सबसे कट्टर शत्रु : कमल मुनि कमलेश

राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश के प्रवचन     कोलकाता. अज्ञान हमारे जीवन का सबसे कट्टर शत्रु है। अनर्थ की खान और पापों की जननी है। अज्ञान से बढक़र और कोई जहर नहीं। एक शब्द का ज्ञान दान विश्व की संपूर्ण संपत्ति के दान से बढक़र है। अज्ञान दशा में की गई कठोर से कठोर साधना सफलता के बजाय संघर्ष में परिवर्तित हो जाती है। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने महावीर सदन में जनसभा को संबोधित करते हुए सोमवार को कहा कि अज्ञान का सघन अंधकार साक्षात परमात्मा भी सामने आकर खड़े हो जाए तो उनका साक्षात्कार नहीं होने देता। दुश्मन तो तन का नुकसान कर सकता है लेकिन अज्ञान आत्मा का जन्म जन्मांतर तक नुकसान करता है। मुनि ने कहा कि अज्ञान के कारण व्यक्ति हर स्थान पर उपहास और हंसी का पात्र बनता है। अज्ञान सही स्वरूप का साक्षात्कार नहीं कर सकता। किसी को अज्ञान से मुक्त करना सबसे बड़ा दान पुण्य सेवा और तीर्थ कराने के समान है। उन्हों...

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