चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी ने कहा तेजो लेश्या को अपनाने से अहंकार छूट जाता है। कृष्ण लेश्या व नील लेश्या व काणोता लेश्या को पूरी तरह छोडऩे वाले के जीवन का उद्धार हो जाता है। चौथी लेश्या का रंग कबूतर जैसा है जो कि शाकाहारी प्राणी है। यह अच्छी चीज ग्रहण करता है और बुरी को छोड़ देता है। साध्वी ने कहा संवेद अपनाएं निर्वेद छोड़ें। आशावादी बनें निराशावादी नहीं। निराशावादी बनेंगे तो जिन राहों को छोड़ के बावजूद फिर अशुभ लेश्या में घिर जाएंगे। जैसे-जैसे पर्दा हटता जाएगा वैसे-वैसे ही परमात्मा के दर्शन होते जाएंगे। जैसे रोहिणी चोर ने कानों में अंगुली डाल रखी थी तभी पैर में कांटा चुभा तो उसे निकालने के लिए अंगुली बाहर निकाली और उसी दौरान भगवान महावीर के चार शब्द कानों में पड़े उसका सुधार हो गया। वह हमारे लिए वंदनीय बना हुआ है। हजारों दुर्गुणों में से सद्गुण निकालें, कंकर म...
चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलता ने कहा शरीर से आत्मा का निकल जाना ही मृत्यु है। जीवन तो पशु पक्षी को भी मिलता है पर मानव जीवन महामानव बनने के लिए मिला है। मानव अगर किसी की अर्थी देखता है तो चिंतन मनन नहीं करता। मौत को स्वीकार नहीं करता। मौत कई तरीके से आती है यह सच समझ जाएंगे तो उद्धार हो जाएगा। अपने आज के जीवन को स्वर्ग बनाऐगे तो आगे भी स्वर्ग मिलेगा। हम परमात्मा से जुड़ जाएं तो यह जीवन सार्थक हो जाएगा। मृत्यु का साक्षात्कार समझ में आ जाए तो जीवन जीने का तरीका आ जाए। उन्होंने कहा कि लेश्या 6 प्रकार की होती है। जीवन के सारे अधिकारों को जीओ पर लेश्या को समझो। कृष्णा लेश्या का रंग है काला। कृष्णा लेश्या वाला हमेशा दूसरों को दुख देने का प्रयास करेगा। वह हमेशा आर्त और रौद्र ध्यान ध्याता है। हम कृष्णा लेश्या में जीते हैं तो नारकी का बंधन बांधते हैं। जीएं तो तेजो ...
चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता ने प्रवचन में कहा कि ध्यान स्वर्ग का सिंहासन होता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर शरीर को स्वस्थ बनाने का मार्ग है। ध्यान के माध्यम से क्रोध, मान, माया, लोभ, राग-द्वेष रूपी कर्मों का क्षय कर जीवन का उद्धार करें। उन्होंने कहा, काउसग्ग चार प्रकार के होते हैं आर्तध्यान, रौद्रध्यान, सूक्ष्म धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान। भगवान महावीर ने सरल, सूक्ष्म रास्ते बताए धर्म ध्यान और सरल ध्यान करने के लिए। आप अपने सारे काम कर लें लेकिन यह नहीं भूलें कि आपकी जीवन डोर परमात्मा से जुड़ी हुई है। आर्तध्यान और रौद्रध्यान छोडक़र कर्म निर्जरा करें। साध्वी पदमकीर्ति और राजकीर्ति मन की चंचलता की विवेचना करते हुए कहा कि मन बड़ा चंचल होता है। इसका पेट कभी नहीं भरता क्योंकि इसकी आकांक्षाएं मिटती ही नहीं। जब तक मन में संतुष्टि का भाव नहीं आएग...
चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता व अन्य साध्वीवृन्द के सान्निध्य में शनिवार को आचार्य शिवमुनि की 176वीं जन्म जयंती श्रद्धा व तप अभिनंदन के साथ मनाई गई। साध्वी कुमुदलता ने शिवमुनि को भावांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मात्र 24 वर्ष की उम्र में शिवमुनि ने माता-पिता की आज्ञा से दीक्षा लेकर ज्ञान के प्याले को पी लिया। उन्होंने यौवन अवस्था में दीक्षा लेकर जिनशासन की गौरव गरिमा को बढाया। वर्ष 1987 में डॉ. शिवमुनि को युवाचार्य घोषित किया गया। 1999 में उन्हें आचार्य पद से सुशोभित किया गया। फिर श्रमण संघ दो टुकड़ों में बंट गया। आचार्य शिवमुनि ने पुरुषार्थ किया और 1300 संतों का संघ बनाया। उन्होंने कहा, आचार्य शिवमुनि की जन्म जयंती से सीख मिलती है कि आषाढ महीने में पुण्यार्जन नहीं करेंगे तो जीवनभर पश्चाताप करना पड़ेगा। जिस प्रकार पेड़ से नीचे गिरकर पत्ता धूल ...
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में बुधवार को साध्वी कुमुदलता व अन्य साध्वीवृन्द के सान्निध्य एवं गुरु दिवाकर कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में प्रवर्तक पन्नालाल का 131वां जन्म जयंती सामयिक के साथ गुरु गुणगान के रूप में मनाई गई। साध्वी कुमुदलता ने अपनी भावांजलि अर्पित करते हुए कहा कि कुछ संतों का आभामंडल ऐसा होता है कि उन्हें बार-बार देखने का मन करता है, ऐसे ही महान संत पुरुषों में प्रवर्तक पन्नालाल भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान की माटी ने कई संत महापुरुषों को जन्म दिया। प्रवर्तक पन्नालाल का जन्म राजस्थान के नागौर जिले में एक माली परिवार में हुआ। उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए साध्वी ने कहा उनका नाम ही अनमोल है। पन्ना अनमोल रत्न होता है। पन्ना ऐसा रत्न होता है जिसे हर व्यक्ति धारण कर सकता है। इसका हरा रंग शांति का संदेश देता है। पन्नालाल को माता-पिता से ऐसे संस्कार मिले थे कि ब...
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता व अन्य साध्वीवृन्द के सान्निध्य में 10 सितंबर को देवलोक गमन हुए जयगच्छाधिपति ग्यारहवें पट्टधर आचार्य शुभचंद्र की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। साध्वी कुमुदलता ने आचार्य के प्रति अपनी भावांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान की माटी के इतिहास का जितना वर्णन किया जाए कम है। करोड़ों में से एक व्यक्ति ही संयम पथ पर चलता है। आचार्य शुभचंद्र ने संयम पथ पर चलकर समाज को कई शिक्षाएं दी और मर्यादाओं का पालन करने का संदेश दिया। उनके पास ज्ञान और विनय का खजाना था। यह संसार एक सराय है और दुनिया उसी को याद करती है जो दुनिया को कुछ दे जाता है। इस माटी में कई महान संतों का जन्म हुआ है। उन्हीं में से एक संत पुरुष थे आचार्य शुभचंद्र जिनका जन्म पाली जिले में हुआ। जो दुनिया में आता है, वह जाता भी है। जैन धर्म में आचार्य शुभचंद्र की शिक्षा...
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता ने मां की ममता, मां का उपकार व वात्सल्य पर प्रेरक उद्बोदन देते हुए कहा कि महापुरुष मां से बड़ा नहीं होता। मां की ममता, वात्सल्य, उपकार, त्याग आदि का शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता और भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने एक मार्मिक प्रसंग के माध्यम से मां के वात्सल्य का वर्णन करते हुए कहा कि बच्चे भले ही मां का तिरस्कार कर दें लेकिन मां हमेशा अपने बच्चों को प्यार ही बांटती है। मां बच्चों के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है। मां की ममता ऐसी होती है कि अगर बच्चा रोता है तो मां भी रो देती है और बच्चे के हंसने पर मुस्कुराती है। दुनिया के किसी भी शब्दकोश में मां से बड़ा शब्द नहीं है। सागर की गहराई, सूर्य की किरणें, चांद की चांदनी से भी अगर मां का उपमा दी जाए तो यह भी कम है। दुनिया में कई महान संत पुरुष हुए हैं लेकिन मां से ब...
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलता ने गुरुवार को पर्यूषण पर्व आरंभ होने के अवसर पर कहा कि साल भर के लंबे इंतजार के बाद पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व की सुनहरी बेला का आगमन हो गया है। इस महापर्व में सारे पर्व समाहित हो जाते हैं। भगवान ऋषभदेव और परमात्मा महावीर स्वामी के शासन में पर्यूषण की परंपरा है जबकि अन्य तीर्थंकरों के शासन में यह परंपरा नहीं है। पर्यूषण पर्व के दौरान हमें आत्मा के समीप रहने का अवसर प्राप्त होता है। यह पर्व हमें दया व करुणा का संदेश देता है। इस पर्व के आठ दिनों के दौरान आत्मा में लगे कषाय, राग-द्वेष आदि दागों को मिटाकर आत्मा की शुद्धि के लिए ज्यादा से ज्यादा तपस्या, धर्म ध्यान और परमात्मा की आराधना कर कर्मों की निर्जरा करने का प्रयास करना चाहिए। पर्वाधिराज पर्व हमें अहिंसा सिखाता है। हमें ऐसी चीजों का उपयोग करने से बचना चाहिए जिसमें किसी न किसी प्रकार की ...
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता ने हमें अपनी वाणी का उपयोग कैसे करना है इस पर चिंतन करना चाहिए। वाणी हमेशा मधुर होनी चाहिए। कोयल भले ही काली हो लेकिन उसे वाणी का सौंदर्य प्राप्त है इसीलिए वह सबको प्यारी लगती है। वाणी का सौंदर्य संसार का सबसे बड़ा सौंदर्य है। हमें बोलने पर संयम बरतना चाहिए। ऐसे शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए जिसे सुनकर किसी को ठेस पहुंचे बल्कि ऐसी वाणी बोलनी चाहिए कि सुनने वाला प्रसन्न हो जाए। शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा जीवन पथ पर आगे बढने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। शिक्षक ही हमारा मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने अतिथि संविभाग व्रत की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता का रूप माना जाता है। भगवान महावीर ने दान देने का सुंंदर वर्णन किया है कि दान हमेशा शुद्ध भाव से देना चाहिए। चंदनबाला का वर्णन...
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता व अन्य साध्वीवृन्द के सान्निध्य में सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई। इस अवसर पर साध्वी कुमुदलता ने भगवान श्रीकृष्ण और महावीर स्वामी जीवन की समानताओं का विवेचन करते हुए कहा कि चंडकौशिक सांप ने महावीर स्वामी को डंक मारा तो महावीर ने अमृत धारा बरसाई, उसी प्रकार श्रीकृष्ण की भक्ति में मीरा ने विष का प्याला पिया तो वह अमृत बन गया। इस अवसर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता के दौरान बच्चों ने राधा-कृष्ण की वेशभूषा में प्रस्तुति दी। च्चखाण हांडी के पच्चखाण लेकर गुरुभक्तों ने पर्युषण के पचाखाण लेकर धार्मिक जीवन जीने की शिक्षा ग्रहण की।
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलता के सान्निध्य में प्रभु पाश्र्वनाथ का अनुष्ठान हुआ। श्रद्धालुगण पाश्र्वनाथ की स्तुति में तन्मयता से लीन हो गए। प्रभु के अनुष्ठान में सहयोगी परिवार का सम्मान किया गया। मां पद्मावती का शुक्रवार को विधि-विधान से एकासन कराया जाएगा। 3 सितम्बर को जन्माष्टमी के अवसर पर पच्चखाण हंडी का आयोजन होगा।
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता ने प्रवचन में उपभोग-परिभोग परिमाण व्रत के तहत कर्मादान की चर्चा करते हुए कहा कि कर्मादान कांटों की चुभन की तरह है जो सिर्फ पीड़ा पहुंचाती है। ये कर्मादान हमें जीवन से पाप कर्मों से मुक्ति का संदेश देते हैं। पाप करने पर उनका भुगतान करना ही पड़ता है। भगवान महावीर ने 15 कर्मादान का सुन्दर विवेचन किया है। 15 कर्मादान कहते हैं कि पापों का खाता बंद कर देना चाहिए। कर्मादान के तहत कई प्रकार का व्यापार करना श्रावकों के लिए निषेध है। उन्होंने विभिन्न प्रकार के व्यापार का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें उस तरह का व्यापार नहीं करना चाहिए जिससे पाप कर्मों का बंधन होता है। साध्वी महाप्रज्ञा ने शाश्वत सत्य का अर्थ बताया। परमात्मा आदिनाथ का वर्णन करते हुए कहा कि वे पहले ऋषभ कुमार के नाम से जाने जाते थे। उनके राजदरबार में एक नृत्य कार्यक्रम ...