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युगद्रष्टा, युगनायक व युगपुरुष थे – आचार्य तुलसी : साध्वी अणिमाश्री

आचार्य तुलसी का 25वां महाप्रयाण दिवस साध्वी अणिमाश्रीजी ठाणा 5 के सान्निध्य में आचार्य महाश्रमण पब्लिक स्कूल, माधावरम् के प्रांगण में गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी का 25वां महाप्रयाण दिवस आयोजित हुआ। श्रद्धालु तुलसी भक्तों ने अपनी आस्था के राम गुरुदेव तुलसी को भावाञ्जलि समर्पित की।  साध्वी अणिमा श्री ने अपने श्रद्धासिक्त उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि तेजस्विता, तपस्विता, ओजस्विता, वर्चस्विता और उत्कर्षता के अपर पर्याय का नाम है- गुरुदेव तुलसी। जिन्होंने तेरापंथ की तेजस्विता, जिनशासन की यशस्विता, धार्मिक जगत की वर्चस्विता एवं मानवमात्र की उत्कृर्षता के लिए अपने समय, श्रम व शक्ति का नियोजन किया।  वे 20वीं सदी के युगनायक, युगदृष्टा व युगपुरुष थे। उन्होंने युग को नए उन्मेष दिए। सामाजिक मान्यताओं को नया मोड़ दिया। धर्मसंघ में नए-नए परिवर्तन लाए, लेकिन प्राचीनता को सुरक्षित रखा। साध्वी श्री ने आगे...

युगद्रष्टा, युगनायक व युगपुरुष थे – आचार्य तुलसी : साध्वी अणिमाश्री

आचार्य तुलसी का 25वां महाप्रयाण दिवस साध्वी अणिमाश्रीजी ठाणा 5 के सान्निध्य में आचार्य महाश्रमण पब्लिक स्कूल, माधावरम् के प्रांगण में गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी का 25वां महाप्रयाण दिवस आयोजित हुआ। श्रद्धालु तुलसी भक्तों ने अपनी आस्था के राम गुरुदेव तुलसी को भावाञ्जलि समर्पित की।  साध्वी अणिमा श्री ने अपने श्रद्धासिक्त उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि तेजस्विता, तपस्विता, ओजस्विता, वर्चस्विता और उत्कर्षता के अपर पर्याय का नाम है- गुरुदेव तुलसी। जिन्होंने तेरापंथ की तेजस्विता, जिनशासन की यशस्विता, धार्मिक जगत की वर्चस्विता एवं मानवमात्र की उत्कृर्षता के लिए अपने समय, श्रम व शक्ति का नियोजन किया।  वे 20वीं सदी के युगनायक, युगदृष्टा व युगपुरुष थे। उन्होंने युग को नए उन्मेष दिए। सामाजिक मान्यताओं को नया मोड़ दिया। धर्मसंघ में नए-नए परिवर्तन लाए, लेकिन प्राचीनता को सुरक्षित रखा। साध्वी श्री ने आगे...

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन

योग भारत वसुंधरा का कल्पतरू है – साध्वी अणिमाश्री साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथ युवक परिषद् चेन्नई के तत्वावधान में आचार्य महाश्रमण जैन तेरापंथ पब्लिक स्कूल, माधावरम् में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आरोग्यम कार्यशाला आयोजित की गई। इस वर्कशॉप ने मुख्य प्रशिक्षक के रूप में श्री हरीश भंडारी एवं मुख्य वक्ता के रूप में श्री राकेश खटेड उपस्थित हुए।       साध्वी श्री अणिमाश्री ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा – योग भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व है। योग भारत की वसुंधरा पर बीज बनकर अंकुरित हुआ। ऋषि-मुनियों ने इसे अपनी साधना से सिंचन देकर योग को पल्लवित एवं पुष्पित किया और आज यह विशाल वटवृक्ष बनकर योग साधकों को शीतल छाया प्रदान कर रहा है। योग कल्पतरु एक कामकुंभ के सदृश्य है। योग साधना करने वाला मन इच्छीत फल प्राप्त करता है। मन की प्रसन्नता के लिए, शरीर की स्वच्छता के लिए एवं भावो...

चित्त को विराट से जोड़ने की प्रक्रिया का नाम है : संयम – साध्वी अणिमाश्री

श्रेणी आरोहण मंगल भावना समारोह   माधवाराम् चेन्नई स्थित आचार्य महाश्रमण तेरापंथ पब्लिक स्कूल के प्रांगण में साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में श्रेणी आरोहण आदेश प्राप्त समणी शीलप्रज्ञाजी का तेरापंथ सभा के तत्वावधान में मंगल भावना समारोह का आयोजन किया गया।  नमस्कार महामंत्र से प्रारंभ इस मंगल भावना समारोह में मंगल उद्बोधन प्रदान करती हुई साध्वी अणिमाश्री ने कहा कि आत्मज्योति को ऑन करने का स्विच है – संयम। चित्त को विराट से जोड़ने की प्रक्रिया का नाम है – संयम। धन्य है वह जो अपनी जीवन की महफिल में संयम का दीप जलाते हैं। जीवन गुलशन में संयम का फूल खिलाते हैं। समणी शीलप्रज्ञाजी ने 32 वर्ष पूर्व समण श्रेणी में दीक्षित होकर संयम के पथ पर अग्रसर हुई और अब आचार्य महाश्रमणजी की कृपा से श्रेणी आरोहण कर रही है। आपकी संयम यात्रा आनंदप्रदायी, समाधिदायी बने।  साध्वीश्री ने आगे कहा समणी शीलप...

शरीर स्वस्थ तो मन प्रसन्न : साध्वी अणिमाश्री

कोरोना मेडिकल किट वितरण कार्यक्रम का हुआ आयोजन   माधावरम् चेन्नई के आचार्य महाश्रमण जैन तेरापंथ पब्लिक स्कूल में विराजित आचार्य श्री महाश्रमणजी की प्रबुद्ध शिष्या साध्वी श्री अणिमाश्रीजी ठाणा 5 के सान्निध्य में संस्था शिरोमणि तेरापंथी महासभा के अंतर्गत, तेरापंथ सभा चेन्नई द्वारा कोविड-केयर मेडिकल किट का वितरण किया गया।   इस अवसर पर साध्वी अणिमाश्रीजी ने मंगल उद्बोधन में कहा कि महासभा परिवार अपनी शाखा सभाओं के द्वारा इस कोरोनाकाल में मानव सेवा के लक्ष्य के साथ एक सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर रही है। महासभा का लक्ष्य है कि हर एक व्यक्ति स्वस्थ रहें। साध्वीश्री ने आगे कहा कि अगर शरीर स्वस्थ है तो मन भी प्रसन्न रहेगा। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। शरीर की स्वच्छता के लिए सात्विक अन्न और पानी की जरूरत है। इन दोनों के अलावा कोई केंद्रीय तत्व है तो वह है श्वास। जरूरत है श्वास पद्धति को समझें, ताकि...

चौदह स्वप्न सदेव महामंगलकारी व प्रशंसनीय

(no subject) सुंदेशा मुथा जैन भवन कोन्डितौप में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सुरीश्वरजी म.सा ने पर्यूषण प्रवचन माला के पांचवे दिन महामंगलकारी कल्पसूत्र ग्रंथ के आधार पर प्रवचन में भगवान महावीर के च्यवन कल्याणक से जन्म कल्याणक संबंधी विवेचन करते हुए कहा कि:- तीर्थंकर परमात्मा का जब मता के गर्भ मे आगमन होता है, तब परमात्मा की मता , बालक के तीर्थंकर नाम कर्म के उदय से 14 महास्वप्न देखती हैं । ये सारे स्वप्न महामंगलकारी एवं प्रशंसनीय होते हैं । महा अर्थ वाले इन चौदह स्वप्न में प्रथम स्वप्न चार दांतवाला हाथी, तीर्थंकर के दान , शील , तप, भाव, रुप चार धर्म के देशक का प्रतिक हैं । दूसरे स्वप्न में वृषभ का दर्शन , भगवान के भावी में भरत क्षेत्र की भुमि में बोधि बीज के वपन का प्रतिक है । तीसरे स्वप्न में केशरी सिंह, भगवान की शूरवीरता एवं आत्मा को नुकसान करने वाले काम, क्रोध आदि हाथियो से जगत के जीव...

आत्म शुद्धि के 8 दिवसीय जैन पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण

आत्म शुद्धि के 8 दिवसीय जैन पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण 15 अगस्त शनिवार से प्रारम्भ हो गए । विश्वव्यापि कोरोना महामारी के कारण इतिहास में पहली बार जैनों को जिन मंदिर एवं साधु-साध्वीजी आदि गुरु भगवन्तों के सानिध्य बिना ही मनाना पड़ रहा हैं । कोरोना से सुरक्षा एवं सरकारी आदेशों की पालना हेतु जैन संघों के निर्देशानुसार समस्त प्रवासी जैन परिवार अपनी पर्युषण पर्व की साधना आराधना अपने अपने घरों में ही कर रहे हैं । इसी श्रंखला में हीराचंद कांकरिया के नेतृत्व में सौकारपेट के सोम सुंदरम स्ट्रीट में कुम कुम रेजीडेंसी के जैन परिवारों ने पर्युषण के प्रथम दिवस हर्षोल्लास से ज्ञान की भव्य स्थापना कर कल्पसूत्र पूजन किया । दीपक कांकरिया द्वारा श्रावक जीवन के आवश्यक कर्तव्यों का वांचन किया गया। इसी प्रकार आठों दिवस वांचन के साथ ही राईय एवं देवसिय दोनों समय के आवश्यक प्रतिक्रमण की भी व्यवस्था की गई हैं। प्रेष...

तीर्थंकर भी श्री संघ को वंदन करते हैं

(no subject) सुंद ेशा मुथा जैन भवन कोंडितोप मे जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेनसुरीश्वरजी म.सा ने कहा कि:- श्रावक जीवन के अलंकार स्वरुप प्रत्येक श्रावक को प्रतिवर्ष वार्षिक ग्यारह कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। इन कर्तव्यों में संघ पूजा का प्रथम कर्तव्य हैं । संघ यानी साधु -साध्वी ,श्रावक और श्राविका जो धर्म की आराधना में तत्पर होकर आत्म कल्याण के मार्ग पर अग्रेसर हैं । जैसे तीर्थंकर वंदनीय और पूजनीय हैं , वैसे ही उनके द्वारा स्थापित संघ भी वंदनीय और पूजनीय हैं । स्वयं तीर्थंकर परमात्मा भी समवरण मे बैठते समय “नमो तित्थस्य ” कहकर श्री संघ को नमस्कार करते हैं । अतः हमे भी शक्ति अनुसार श्रीसंघ की पूजा भक्ति करनी चाहिए। दुसरा कर्तव्य साधर्मिक भक्ति हैं । साधर्मिक अथात् जो समान व्रत नियमो के पालन करते हो। उनकी भक्ति कर शक्ति संपन्न श्रावको को आर्थिक स्थिति से कमजोर श्रावको की भक्ति करन...

पुज्या महासती मण्डल का विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगर तिरुपति  में  चातुर्मासिक भव्य मंगल प्रवेश

तिरुपति: श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ट्रस्ट एवं समस्त जैन संघ तिरुपति के तत्वध्यान मे आज पुज्या महासती मण्डल का विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगर तिरुपति  में  तिरुपति जैन श्री संघ की असीम पुण्यवानी से चातुर्मासिक भव्य मंगल प्रवेश हुआ। इस प्रवेश मे तिरुपति के सभी सदस्यों ने बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ भाग लिया है यहाँ चातुमासार्थ* श्रमण संघीय आचार्य सम्राट ध्यान योगी परम पूज्य श्री शिवमुनि जी म: सा: की आज्ञानुवर्ती जिनशासन प्रभाविका प्रखर वक्ता तप सुमेरु, तप सिध्द योगिनी, उग्रतपस्विनी, वचन सिध्दी, उप प्रवर्तनी, महासती श्री सुमित्रा श्री जी म:सा शासन प्रभाविका महासती डॉ:सुप्रिया श्री जी म: सा: सेवाभावी तपस्विनी महासती साक्षी श्री जी म सा: तप कौमुदी साध्वी श्री सुदीप्ति श्री जी म सा: साध्वी श्री सुविधि श्री जी म सा: साध्वी श्री प्रियांशी श्री जी म सा:आदी ठाणा 6 का गुरुवार को प्रातः ...

धर्म पुरुषार्थ के बिना जीवन निष्फल हैं:- जैनाचार्य श्री रत्नसेनसुरिजी

जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सुरीश्वरजी म.सा. ने श्री मुनिसव्रत स्वामी नवग्रह जैन मन्दिर कोंडितोप भवन मे आयोजित धर्मसभा को प्रवचन देते हुए जैनाचार्य श्री ने कहा कि मानव जीवन को पाकर के जिसने धर्म पुरुषार्थ में उद्यम नहीं किया हैं, उसका जीवन निष्फल हैं। मानव जीवन की सच्ची सफलता धर्म और मोक्ष पुरुषार्थ की साधना में ही हैं। मोक्ष साध्य पुरुषार्थ हैं और धर्म उसका साधन हैं। लोक में धर्म ,अर्थ,काम ओर मोक्ष पुरुषार्थ कहे गए हैं। किन्तु अर्थ और काम पुरुषार्थ तो मात्र नाम के पुरुषार्थ हैं। अतः आत्म कल्याण के इक्छुक व्यक्ति को धर्म पुरुषार्थ के लिए सतत प्रयत्नशील बनना चाहिए। संपूर्ण रुप से अर्थ पुरुषार्थ का त्याग मात्र साधु जीवन में संभव हैं, गृहस्थ जीवन में नही । गृहस्थ को अपनी आजीविका चलाने के लिए धन की आवश्यकता रहती हैं। सद्गृहस्थ के लिए किसी के सामने हाथ फैलाने , भीख मांगना , किसी भी तरह उचित ...

समणी विनितप्रज्ञा, समणी शीलप्रज्ञा का चेन्नई समणी केन्द्र

परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी ने महती कृपा कर समणी विनितप्रज्ञाजी, समणी शीलप्रज्ञाजी, समणी जगतप्रज्ञाजी एवं समणी ओजस्वीप्रज्ञाजी का वर्ष 2020 का समणी केंद्र तेरापंथ भवन साहूकारपेट, चेन्नई घोषित किया है। लॉकडाउन की विषम परिस्थितियों को देखते हुए परम पूज्य आचार्य प्रवर के चेन्नई समणी केंद्र की घोषणा पर श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़ ने पूरे तेरापंथ समाज, चेन्नई की ओर से गुरुदेव के प्रति अनंत अनंत कृतज्ञता निवेदित की। स्वरुप चन्द दाँती प्रचार प्रसार प्रभारी श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

स्त्रियां इस धरा की मात्रवत्,  उनका डांडिया नृत्य बढा रहा पाप : राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा.

श्रीजी वाटिका में श्रीपार्श्व पद्मावती महा पूजन हवन संपन्न इंदौर। सनातन धर्म की यह परंपरा नहीं है कि मां की भक्ति करने जैसे पावन नवरात्रि पर्व के दौरान विकार उत्पन्न करने वाले फूहड़ संगीत पर मात्रवत् स्त्रियां नृत्य करें। स्त्रियों का डांडिया कल्चर के नाम पर पुरुषों के साथ इस प्रकार का नृत्य इस धरा पर पाप बढ़ा रहा है। यह कहा विश्वविख्यात कृष्णगिरी तीर्थ शक्तिपीठाधीपति, विश्वशांति दूत, राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने। वे यहां फूटी कोठी स्थित श्रीजी वाटिका में श्री नवरात्रि दिव्य आराधना भक्ति महामहोत्सव के 10 दिवसीय धर्ममय- संस्कारमय आयोजन के पांचवें दिन अपना उद्बोधन दे रहे थे। गुरुवार को संतश्री की निश्रा में 108 श्री पार्श्व पद्मावती के महापूजन-हवन के दौरान मां की भक्ति की संगीतमय प्रस्तुतियों, दुर्लभ बीज मंत्रों की स्तुतियों के वाचन के साथ दिव्य भक्ति हुई। उन्होंने इस अवसर पर बड़ी संख्य...

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