टूटते रिस्ते बिखरते परिवार पर मुनिश्री अर्हत कुमार जी ठाणा 3 के सानिध्य में एक कार्यशाला दीपावली बाद दिनाक 14.11.21 रविवार को 2 घंटे की, समय सुबह 9 से 11 बजे रखने के लिए विचार विमर्श हेतु स्थानीय तेरापंथ भवन में धर्म सभा में मदुरै नॉर्थ इंडियन वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकमसिंह एवं मनिवा के पूर्व अध्यक्ष मोहनलाल चौधरी, पुनमाराम प्रजापत एवं मनीवा के पदाधिकारी एवं मदुरै तेरापंथ सभा अध्यक्ष जयंतीलाल जीरावला, मंत्री धीरज दुगड़, कोषाध्यक्ष पवन कुमार चोपड़ा, उपासक नेनमल कोठारी, मोहनलाल गोलेच्छा, अशोकुमार जीरावला गौतमचंद गोलेच्छा,तेयूप अध्यक्ष संदीप बोकाड़िया, मंत्री राजकुमार नाहटा आदि सदस्य मुनि श्री जी से विचार विमर्श करते हुए। तेरापंथ सभा अध्यक्ष जयंतिलाल जीरावला ने मनीवा अध्यक्ष का सम्मान किया। सभी ने मुनि श्री जी से मंगल पाठ लेकर आर्शीवाद लिया।
जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी महाराज द्वारा परमात्मा के भक्ति सम्बन्धी चर्चा करते हुए कहा गया कि आपके पुण्य स्वरूप भीतर तो महानता विराजमान रहती ही है किन्तु इसी के साथ बाहर भी उत्तम स्वरूप नजर आता है! आपके उपर अशोक वृक्ष शोभाएं मान रहता है! वो इस बात का प्रतीक है कि आपके चरणों मे आने वाले लोगों के तमाम शोक चिन्ता दूर हो जाती है! आपके शरीर की दिव्यता भव्यता सभी को आकर्षित करती रहती है जिसके कारण मानव के साथ साथ पशु जगत देव जगत की आत्माये लगातार आवागमन करती रहती है! आपके शरीर की अतिशय किरणों से संसार का जैन दर्शन मे अशोक वृष नामक प्रतिहार्य कहते है! आपके समीप आने वाले जीवों के सम्पूर्ण कष्ट समाप्त हो जाते है आपके शरीर के प्रत्येक अंग पुण्य से प्रभावित होने के कारण सभी को लोभयमान करते है! परमात्मा का जीवन दर्शन सभी के लिए प्रेरणा दाई है उनके कथित मार्ग पर चलने से असीम शान्ति का सुख का अनुभ...
9, अक्टूबर, अशोक नगर तपस्या करने से जीवन के मनोरथ पूर्ण होते है आत्मा शुध्द व पवित्र बनती है प्रवर्तक सुकन मुनि महाराज ने लोकाशाह जैन स्थानक मे शनिवार को तपस्वी सुरेश सिघंवी के उन्तीस उपवास सम्पूर्ण होने पर सम्मान समारोहों मे तप की अनूमोदना करतें हुयें कहां कि तप एक ऐसा मार्ग जिससे मनुष्य का शरीर कुंदन जीवन के मनोरथ परिपूर्ण किये जा सकते है परन्तु श्रध्दा व निश्चल भाव से तपस्या करने पर ही संभव हो सकता है ! उपप्रवर्तक अमृत मुनि डॉक्टर वरूण मुनि अखिलेश मुनि आदि संतो ने तप का महत्व बताते हुये तपस्वी को साधूवाद दिया प्रवक्ता सुनिल चपलोत ने बताया कि इसदौरान श्री संघ के मांगीलाल लुणावत ओकरसिंह सिरोया राजेन्द्र खोखवत पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत ललित चौधरी संजय भंडारी तथा लोकाशाह महिला की निलीमा सिरोया सुशीला भाणावत आदि ने तपस्वी भाई सुरेश सिंघवी के तप की अनूमोदना करते हुये पगड़ी शोल माल...
राजेंद्र प्रसाद महामंत्री और पदम कांकरिया कोषाध्यक्ष मनोनित। आल इंडिया श्वेतांबर स्थानाक्वासी जैन कॉन्फ्रेंस नई दिल्ली गौल मार्केट स्थित जैन भवन में अपना राष्ट्रीय अध्यक्षशीय कार्य भार विधिवत रूप से संभाला। सर्व प्रथम राष्ट्रीय चूनाव अधिकारी राजीव जैन ने अध्यक्ष पद निर्वाचन का सरटिफिकेट देकर सम्मानित किया। अध्यक्ष बनने पर सर्वप्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपनी कोर टीम कूछ पदाधिकारीयो की घोषणा की जिसमें कार्यवाहकअध्यक्ष अशोकमेहता सूरत, महामंत्री राजेंद्रप्रसाद कोठारी बेंगलुरु, कोषाध्यक्ष पदम कांकरिया के नामों की घोषणा की। उसके पश्चात विश्वस्त मंडल चैयरमेन मोहन लाल चोपड़ा निवर्तमान अध्यक्ष पारस मोदी, निवर्तमान महामंत्री श्री शशिकांत कर्नावट निवर्तमान कोषाध्यक्ष श्री विजय डागा ने आवश्यक काकजी कार्यवाही कर कान्फ्रेंस का नेतृत्व छल्लाणी जी एवम उनके पदाधिकारियों को सोपकर आत्मीय बधाई एवं शुभकामनाएं ...
बढ़ते कदमों की अर्हता के मूल्यांकन का सम्मान है: साध्वी अणिमाश्री साध्वी अणिमाश्री के सान्निध्य में तेरापंथी सभा चेन्नई के तत्वावधान में तेरापंथ भवन में चैन्नई के गौरव का अभिनन्दन कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें अभातेयुप के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री रमेश डागा, कोषाध्यक्ष श्री भरत मरलेचा तथा अभातेयुप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री कोमल डागा, श्री मुकेश नवलखा, श्री संतोष सेठिया, श्री संदीप मूथा, श्री हिमांशु डुंगरवाल तथा अखिल भारतीय महिला मंडल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्रीमती माला कातरेला, श्रीमती दीपा पारेख तथा अणुव्रत महासमिति से श्री गौतमजी सेठिया, श्री राकेश खटेड तथा नम्रता कातरेला का स्वागत एवं शुभकामनाएं प्रेषित की गई। साध्वी अणिमाश्री ने कहा- आज का यह कार्यक्रम युवकों के उत्साह का कार्यक्रम है। उनकी कर्तृत्व शक्ति का कार्यक्रम है। संघनिष्ठा, गुरूनिष्ठा व संगठन के प्रति निष्ठा का आ...
जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी महाराज ने आदिनाथ भगवान के चरण कमल मे वन्दन करते हुए कहा कि हे योगीश्वर! आप सर्व गुण सम्पन और गुणों के भंडार है! संसार मे ऐसा कोई गुण बाकी नहीं रहा जो आपके जीवन मे न हो, इतने गुण व्याप्त हो चुके है कि अब कोई भी दुर्गुण आप के अन्दर प्रवेश नहीं कर सकते उनके लिए आपके संग रहने का कोई स्थान नहीं बचा! जैसे सूर्य के सामने अन्धकार ठहर नहीं सकता उसी प्रकार आपके सद्गुनो के सामने अन्धकार ठहर नहीं सकता! अन्धकार तो बेचारा दूर से ही भाग खड़ा होता है! आपके तप तेज के आगे दोष स्वतः समाप्त हो जाते है! आचार्य मानतुंग जी ने कहा जब दुर्गनो को स्थान नहीं मिला तो वे संसार मे जन्म मरण करने वाली आत्माओं मे राग द्वेष मद मोह के रूप मे प्रवेश कर गए एवं उनके कारण से ही जीवआत्माये संसार मे घूम रही है! इन्ही कुदेव कुधर्म के चलते संसार का भव भृमण हो रहा है! अंधे लोगों की नौकायें समुद्र में ...
जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने आदिनाथ भगवान के वन्दना स्वरूप भक्तामर जी का विवेचन करते हुए कहा कि जीवन मे विनय गुण की महानता है विनयशील व्यक्ति के जीवन मे असम्भव कार्य भी सम्भव होने लगते है! विनय जीवन का वह सुरक्षा कवच है जो हमें हर क्षेत्र मे सुरक्षा प्रदान करता है! विनय मे सामने वाला भी झुकने को मानने को तैयार हो जाता है! वर्तमान समय मे घर परिवार समाज व देश मे सब से बड़ी समस्या ही अहंकार की है इसी के चलते चारों और अशांति व अराजकता का वातावरण बढ़ता जा रहा है! ज्ञान के क्षेत्र मे भी जब तक छात्र शिष्य अध्यापक गुरु जनों के सामने विनयी नहीं बनता तब तक ज्ञान हासिल नहीं कर पाता, पुत्र माता पिता के सम्मुख नहीं झुकता तो माँ बाप का प्रेम प्यार व्यापार भी पूर्णतः नहीं प्राप्त कर सकता! किसी भी क्षेत्र मे देखलें बिना अहंकार त्यागे कार्य मे सफलता हासिल नहीं हो पाती! कुंए मे से भी पानी भरकर बाल्टी त...
जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए जीवन मेरे परमपिता परमात्मा तीर्थंकरो के जीवन को संयम का दाता बतलाते हुए कहा उनका जैसा उत्कृष्ट संयमि दुनियां मे और कोई नजर नहीं आता, संसार के संयमि जीव यदिपी निर्मल संयम की आरधना कर कर के हमें संयम का धर्म का महा मार्ग बतला रहे है! लेकिन तीर्थंकर का अतिशय संयम अपने आप में अनूठा व अदभुत है क्योंकि वे ही सिद्ध आत्मा परमात्मा पद के अधिकारी रहते है! हमारा जीवन जन्म मरण के साथ जुडा हुआ रहता है अत : हम संसारी जीवातमा है जबकि वो मोक्षगामी आत्मा है! आदिनाथ भगवान ज्ञान मे उत्तम ज्ञान केवल ज्ञान के धारक है उनकी मन वचन काया ज्ञान से परिपूर्ण है ज्ञानमय है, उनके दिव्य ज्ञान से हम सब लाभविंत हो रहे है! अत : वे स्वयं मे ज्ञान देव है!आपने हे प्रभु हमारे जीवन मे संयम को जन्म दिया है अत : आप ब्रह्मा स्वरूप एवं आप ही हमारे ज्ञान व संयम जीवन का...
जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए जीवन मेरे परमपिता परमात्मा तीर्थंकरो के जीवन को संयम का दाता बतलाते हुए कहा उनका जैसा उत्कृष्ट संयमि दुनियां मे और कोई नजर नहीं आता, संसार के संयमि जीव यदिपी निर्मल संयम की आरधना कर कर के हमें संयम का धर्म का महा मार्ग बतला रहे है! लेकिन तीर्थंकर का अतिशय संयम अपने आप में अनूठा व अदभुत है क्योंकि वे ही सिद्ध आत्मा परमात्मा पद के अधिकारी रहते है! हमारा जीवन जन्म मरण के साथ जुडा हुआ रहता है अत : हम संसारी जीवातमा है जबकि वो मोक्षगामी आत्मा है! आदिनाथ भगवान ज्ञान मे उत्तम ज्ञान केवल ज्ञान के धारक है उनकी मन वचन काया ज्ञान से परिपूर्ण है ज्ञानमय है, उनके दिव्य ज्ञान से हम सब लाभविंत हो रहे है! अत : वे स्वयं मे ज्ञान देव है!आपने हे प्रभु हमारे जीवन मे संयम को जन्म दिया है अत : आप ब्रह्मा स्वरूप एवं आप ही हमारे ज्ञान व संयम जीवन का...
मासखमण तप अनुमोदना का भव्य कार्यक्रम साहुकारपेट, चेन्नई :- साध्वी अणिमाश्री के सान्निध्य में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में सुरेश सिंघी के तैंतीस दिन की तपस्या के उपलक्ष्य में तप, अभिनन्दन, अनुमोदना का कार्यक्रम श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति में समायोजित हुआ। साध्वी अणिमाश्री ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि तपस्या वह मंगल कलश है, जिसके जल को पीने वाला हर व्यक्ति मंगलमय बन जाता है। तपस्या वह प्रकाशदीप है, जो जिन्दगी की हर अंधेरी गली को रोशनी से भर देता है। तपस्या एक सुरम्य वाटिका है, जिसमें भ्रमण करने वाला ही आनन्द ले सकता है। वो ही जान सकता है, इसमें कितनी महक व रमणीयता है। धन्य है, वे तपस्वी आत्माएं जो आत्मविश्वास, श्रद्धा व समर्पण के साथ अपनी आत्मशक्ति को जागृत कर तप के रथ पर आरूढ हो जाती है। साध्वीश्री ने आगे कहा कि भाई सुरेश सिंघी ने अटूट संकल्प-बल के द्वारा तप का अमृत-पान किया है। त...
मासखमण तप अनुमोदना का भव्य कार्यक्रम साहुकारपेट, चेन्नई :- साध्वी अणिमाश्री के सान्निध्य में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में सुरेश सिंघी के तैंतीस दिन की तपस्या के उपलक्ष्य में तप, अभिनन्दन, अनुमोदना का कार्यक्रम श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति में समायोजित हुआ। साध्वी अणिमाश्री ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि तपस्या वह मंगल कलश है, जिसके जल को पीने वाला हर व्यक्ति मंगलमय बन जाता है। तपस्या वह प्रकाशदीप है, जो जिन्दगी की हर अंधेरी गली को रोशनी से भर देता है। तपस्या एक सुरम्य वाटिका है, जिसमें भ्रमण करने वाला ही आनन्द ले सकता है। वो ही जान सकता है, इसमें कितनी महक व रमणीयता है। धन्य है, वे तपस्वी आत्माएं जो आत्मविश्वास, श्रद्धा व समर्पण के साथ अपनी आत्मशक्ति को जागृत कर तप के रथ पर आरूढ हो जाती है। साध्वीश्री ने आगे कहा कि भाई सुरेश सिंघी ने अटूट संकल्प-बल के द्वारा तप का अमृत-पान किया है। त...
मासखमण तप अनुमोदना का भव्य कार्यक्रम साहुकारपेट, चेन्नई :- साध्वी अणिमाश्री के सान्निध्य में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में सुरेश सिंघी के तैंतीस दिन की तपस्या के उपलक्ष्य में तप, अभिनन्दन, अनुमोदना का कार्यक्रम श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति में समायोजित हुआ। साध्वी अणिमाश्री ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि तपस्या वह मंगल कलश है, जिसके जल को पीने वाला हर व्यक्ति मंगलमय बन जाता है। तपस्या वह प्रकाशदीप है, जो जिन्दगी की हर अंधेरी गली को रोशनी से भर देता है। तपस्या एक सुरम्य वाटिका है, जिसमें भ्रमण करने वाला ही आनन्द ले सकता है। वो ही जान सकता है, इसमें कितनी महक व रमणीयता है। धन्य है, वे तपस्वी आत्माएं जो आत्मविश्वास, श्रद्धा व समर्पण के साथ अपनी आत्मशक्ति को जागृत कर तप के रथ पर आरूढ हो जाती है। साध्वीश्री ने आगे कहा कि भाई सुरेश सिंघी ने अटूट संकल्प-बल के द्वारा तप का अमृत-पान किया है। त...