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जरुरतमंद बच्चों केशिविर में होगें मनोरंजक कार्यक्रम

चेन्नई. समणी श्रीनिधि, समणी श्रुतनिधि के सान्निध्य में पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम ट्रस्ट में रविवार को जरुरतमंद और दिव्यांग बच्चों के लिए निशुल्क कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें 650 से अधिक बच्चे भाग लेंगे। बच्चे दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों और अनाथाश्रम के हैं। कार्यक्रम में पोलारिस ग्रुप के सीईओ अरुण जैन, फिल्म निर्माता चंद्रप्रकाश तालेड़ा उपस्थित होंगे। कार्यक्रम का आयोजन बाबूलाल, रंजीत, गौतम, निर्मल, अरविंद बोकाडिय़ा परिवार के सहयोग से किया जा रहा है।

100 से अधिक लोगों ने किया रक्तदान

चेन्नई. चेंगलपेट विद्यासागर महिला महाविद्यालय में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसमें एन.एस.एस., आर.आर.सी, ओआरसी और एस्सार ब्लड बैंक ने भाग लिया। मुख्य अतिथि राजस्व विभागीय अधिकारी एन. सेल्वम ने शिविर का उद्घाटन किया। एन.एस.एस. की छात्रा वरलक्ष्मी ने स्वागत किया। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. सी. शालिनी कुमार, उपप्राचार्या डॉ. अरुणादेवी ने अतिथियों का सम्मान किया। कर्प विनायगा मेडिकल कॉलेज और चेगंलपेट एस्सार ब्लडबैंक के प्रबंध निदेशक बालसुब्रमणियम ने इसमें सहयोग किया। शिविर में 100 से अधिक लोगो ने रक्तदान किया।

हमारे बुजुर्ग हमारी धरोहर

चेन्नई. एस.पी.आर. ओटेरी में रविवार को गोडवाड जैन संघ की इकाई गोडवाड युवा संगठन द्वारा हमारे बुजुर्ग हमारी धरोहर का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर महानगर में बसे गोडवाड वासी जिनकी उम्र 70 साल या इससे अधिक है, का अभिनंदन किया जाएगा। कुछ महीने पहले संगठन द्वारा घर-घर जाकर बुजुर्गों का सम्मान किया गया था। इसी कड़ी 30 जून को सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ साथ सामाजिक समरसता एंव हास्य कवि सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा। जिसमें ज्ञानचंद मर्मज्ञ की अगुवाई मे काव्य पाठ किया जाएगा। मुख्य अतिथि दयानिधि मारन एमपी चेन्नई सेंट्रल, शेखर बाबू एमएलए हार्बर, हितेश कवाड एम.डी. एसपीआर बिन्नी प्रोजेक्ट होगें। कार्यक्रम में गोडवाड मातुश्री पद से अलंकृत मोहनी बाई खाटेड़ अतिथि और विशिष्ट अतिथि के रूप में चंचल बाई धोका रहेगी। जैन महासंघ के अध्यक्ष सज्जन राज मेहता के साथ गोडवाड जैन संघ के अध्यक्ष प्रकाशचन्द भंडारी इस ...

लोभ को संतोष से करें नियंत्रित: शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण

अंचेपालया, बेंगलुरु (कर्नाटक): हम सभी के भीतर एक वृत्तियों का संसार है। गुस्से की वृत्ति और गुस्से की वृत्ति भी आदमी में होती है। दुनिया में जितने भी अपराध होते हैं, उन सभी अपराधों का कारण गुस्से और लोभ की वृत्ति होती है। ये आदमी से अपराध करा देते हैं। आदमी को हिंसा आदि की ओर धकेल देते हैं। लोभ एक ऐसी वृत्ति है, जिसके कारण आदमी हत्या भी कर सकता है, झूठ भी बोल सकता है, चोरी भी कर सकता है। जो वीतरागी पुरुष होते हैं, वे इन वृत्तियों से मुक्त होते हैं और अवीतरागी में ये सारी वृत्तियां मौजूद होती हैं। लोभ को पाप का बाप कहा गया है। आदमी को संतोष की साधना कर लोभ को जीतने का प्रयास करना चाहिए।  आदमी के भीतर कामनाओं की लहर भी सदैव उठती रहती है और जहां कामना होती है वहां दुःख होता है। कामनाएं/इच्छाएं अनंत होती हैं। इच्छाओं को तो आकाश के समान कहा गया है। जिस प्रकार आकाश का कहीं अंत नहीं होता, उसी प्र...

कुम्भाभिषेक में उमड़ा भक्तों का सैलाब

शक्तिधाम में तीन दिवसीय उत्सव चेन्नई. श्री राणी सती सत्संग ट्रस्ट के द्वारा निर्मित एमकेबी नगर स्थित श्री शक्ति धाम की 12वीं जयंती महोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को कई धार्मिक आयोजन हुए। महोत्सव के तहत सुबह कलश पूजा एवं अभिषेक का आयोजन हुआ। कुंभाभिषेकम समेत अन्य धार्मिक आयोजनों में प्रवासी शामिल हुए। मंदिर परिसर में दिनभर भक्तों की रेलमपेल लगी रही। इस दौरान आरती में भी भक्तों ने उत्साह के साथ भाग लिया। एमकेबी नगर के साथ ही अन्नानगर, वेपेरी, किलपॉक, साहुकारपेट समेत महानगर के विभिन्न इलाकों से प्रवासी कार्यक्रम में पहुंचे। इस दौरान मंदिर परिसर में विशेष सजावट एवं रोशनी की व्यवस्था की गई थी। दिन भर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। श्री राणी सती सत्संग ट्रस्ट के तत्वावधान में कई धार्मिक आयोजन नियमित रूप से हो रहे हैं। प्रवासी बड़ी संख्या में मंदिर से जुड़े हुए हैं। इससे पहले दो दिन तक भी बड़ी...

क्षण भर का भी प्रमाद मत करो: साध्वी कंचनकुंवर

चेन्नई. कोसापेट जैन स्थानक में शुक्रवार को मधुकर ‘अर्चना’ सुशिष्या साध्वी कंचनकुंवर सहित सहवर्तिनी साध्वीवंृद का प्रवचन कार्यक्रम हुआ जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। साध्वी डॉ.उ दितप्रभा ‘उषा’ ने अपने उद्बोधन में कहा कि समय बहुत सूक्ष्म है। आंख की पलक स्वाभाविक रूप से खुले और बंद हो उनमें असंख्य समय बीत जाता है। अर्थात् समय की गति बड़ी तीव्र है। प्रकाश, शब्द और विद्युत से भी अधिक तेज गति से समय भागता है। शब्द और विद्युत को चाहे पकड़ लो किन्तु समय सबकी पकड़ के बाहर है। न बीता समय लौटता है और न आनेवाला समय रुकता है। अत: वर्तमान को जानो क्योंकि जो वर्तमान समय का सम्मान करता है, समय उसे मूल्यवान बना देता है। पंडित वही है जो क्षण के मूल्य को जाने और क्षण द्वारा शाश्वत की खोज कर उसे सार्थक करे। क्षण भर का भी प्रमाद मत करो। जब तक शरीर बलवान है इन्द्रियां सशक्त हैं, तब तक धर्म ...

दो दिवसीय धार्मिक शिविर आज से

चेन्नई. साध्वी जागृतिश्री के सान्निध्य में एस. एस.जैन संघ, कोसापेट द्वारा 29 एवं 30 जून को दो दिवसीय धार्मिक शिविर आयोजित किया जाएगा। शिविर का मुख्य विषय है-ऐसे जीएं। शिविर सुबह 7 बजे से 8.30 तक युवाओं के लिए एवं दोपहर 2 बजे से 3.30 बजे तक महिलाओं एवं युवतियों के लिए शिविर का समय निर्धारित किया गया है। संघ अध्यक्ष दीपक सुराणा ने बताया समता युवा संघ, तमिलनाडु एवं एस.जैन संघ, कोसापेट शिविर की तैयारी में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि साध्वी जागृतिश्री का इस साल का चातुर्मास समता भवन, कोंडीतोप में संभावित है।

एआईजेएमएफ तमिलनाडु शाखा की कार्यशाला

नए पदाधिकारियों का चुनाव हुआ चेन्नई. अखिल भारतीय जैन अल्पसंख्यक महासंघ (एआईजेएमएफ) की तमिलनाडु शाखा की जैन अल्पसंख्यक योजनाओं को लेकर कार्यशाला साहुकारपेट स्थित तेरापंथी सभा भवन में हुई। संस्था के राष्ट्रीय सचिव संदीप भंडारी बतौर अतिथि उपस्थित हुए। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए अल्पसंख्यक लाभों की योजनाओं के बारे में समझाया। इस मौके पर तमिलनाडु शाखा की कार्यसमिति के पदाधिकारियों का चुनाव करवाया गया जिसमें पदमचंद जैन अध्यक्ष, सज्जनराज मेहता कार्यकारी अध्यक्ष, मुकेश मूथा महासचिव, सूरज धोका कोषाध्यक्ष, दिनेश धोका, डा. उत्तमचंद गोठी व सुभाषचंद उपाध्यक्ष चुने गए। इसके साथ ही कमला मेहता महिला विंग की राष्ट्रीय प्रधान चुनी गई। इस मौके पर सम्पत बाघमार, जयंतीलाल सालेचा, विमल चिप्पड़, मांगीलाल व ललिता चोरडिया आदि भी उपस्थित थे। किशनचंद चोरडिया ने संदीप भंडारी का शाल-माला से अभिनंदन किया। पदमच...

आत्मा के वास्ते, साधना के रास्ते चल रे राही चल:जयधुरंधर मुनि

चेन्नई. चिंतादरीपेट जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा आत्मा के भीतर मौजूद अनंत गुणों का प्रकटीकरण तभी संभव है जब साधक की अंतर्दृष्टि जागृत हो जाती है। अंतर्मुखी बना हुआ मनुष्य कांच के द्वारा बाहरी वस्तुओं को देखने के बजाय दर्पण के माध्यम से भीतर में झांकना शुरू कर देता है। आत्मा और शरीर की भिन्नता को स्वीकार करने वाला ही भेदविज्ञान की स्थिति तक पहुंच पाता है। चेतन गुणयुक्त आत्मा का निज स्वभाव ऊपर की ओर उठना है, लेकिन कर्मों के भार के कारण जीव का पतन होता है। अज्ञान अवस्था में दूसरों के बारे में जानने की रुचि पैदा होती है लेकिन जिसके भीतर ज्ञान का प्रकाश प्रकट हो जाता है वो आत्मा को जानना शुरू कर देता है और जो एक आत्मा को जान लेता है वह सब कुछ जान लेता है। आत्मा को देखा नहीं जा सकता, किंतु उसके अनुभूति की जा सकती है। शरीर के अंगों को सक्रिय बनाने में आत्मा का ही हाथ होता है। निष्प...

महाप्रज्ञ का हिंदी में योगदान पर व्याख्यान २९ को

चेन्नई. तमिलनाडु हिंदी अकादमी का मासिक व्याख्यान 29 जून को शाम 4.00 बजे साहुकारपेट स्थित तेरापंथ सभा भवन में होगा। अकादमी अध्यक्ष डॉ. सु. कृष्णचंद चोरडिय़ा ने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में इस बार व्याख्यान का विषय ‘आचार्य महाप्रज्ञ का हिन्दी भाषा और साहित्य में योगदान’ रखा गया है। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार बी. एल. आच्छा मुख्य वक्ता होंगे। महासचिव डॉ. दिलीप धींग ने बताया कि महाप्रज्ञ एक दार्शनिक और आध्यात्मिक महापुरुष होने के साथ ही साहित्य-उचयमनीषी आचार्य भी थे। हिन्दी की पूर्ववर्ती प्राकृत-उचयसंस्कृत जैसी शास्त्रीय भाषाओं तथा हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान का स्वतंत्र मूल्यांकन किया जाना चाहिये।

साध्वी मयंकमणी का चातुर्मास चेंगलपेट में

चेंगलपेट. अखिल भारतीय साधुमार्गी शांति क्रांति संघ के आचार्य विजयराज की आज्ञानुवर्ती शिष्य साध्वी मयंकमणी का अगला चातुर्मास चेंगलपेट में होना निश्चित हुआ है। साध्वी मयंकमणी अन्य सहवर्तिनी साध्वीवृंद के साथ आगामी 28 जून को चेंगलपेट में चातुर्मासिक नगर प्रवेश करेंगी। साध्वीवृंद यहां चेंगलपेट संघ के तत्वावधान में जैन स्थानक में चातुर्मास करेंगी।

केवल परमात्मा ही तारक तत्व: आचार्य तीर्थभद्र सूरीश्वर

चेन्नई. किलपॉक में चातुर्मासार्थ विराजित आचार्य तीर्थभद्र सूरीश्वर ने कहा संसार में चार मंगल तत्व होते हैं- अरिहंत मंगल, सिद्धा मंगल, साहू मंगल व केवली भगवंत द्वारा की गई धर्म की प्रारूपणा। उन्होंने अरिहंत मंगल के बारे में बताया कि सभी जीवों के कल्याण की भावना हमारे हृदय में प्रकट हो जाए तो हमारा मंगल होगा। अहम की भावना जिसके हृदय में होगी उसका कभी मंगल नहीं होगा।  सिद्ध भगवत सर्वकर्म रहित हैं इसलिए मंगलमयी हैं। साधु इसलिए मंगलमयी हैं क्योंकि उनके हृदय में जगत के सभी जीवों प्रति हित की भावना है। साधु का उपसर्ग आने पर भी उनके हृदय में किसी के प्रति अहित की भावना नहीं आती। केवल प्रारूपित धर्म के बारे में उन्होंने कहा जगत के सभी प्राणी स्वयं का मंगल चाहते हैं लेकिन वे अपनी आत्मा का मंगल नहीं करेंगे तब तक स्वयं का मंगल नहीं हो सकता। मंगल तत्वों का स्पर्श आत्मा से हो जाए तो जीवन का कल्याण हो जा...

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