चेन्नई. चेटपेट में हैरिंगटन रोड स्थित झामड विला में विराजित कपिल मुनि ने कहा कि जिंदगी के प्रत्येक मोर्चे का मुकाबला करने के लिए परिषह विजय की साधना बेहद जरुरी है। जीवन में आगत कष्ट, दु:ख को समभाव से सहन करना ही परीषह विजय है। सहिष्णुता कमजोरी नहीं बल्कि व्यक्तित्व को निखारने वाला एक महत्वपूर्ण गुण है। इस गुण के अभाव में व्यक्ति की सभी विशेषता अर्थहीन हो जाती है। जिसे सहना आता है वही जीवन को जीना जानता है। सहनशीलता एक ऐसी क्षमता है जो हमें विकट हालातों में भी सक्रिय बनाए रखती है। सहिष्णुता की जीवन में बहुत ही उपयोगिता है। यह दुनिया रंग-बिरंगी और विचित्रता से भरी है। यहां सब की रुचि, स्वभाव, विचार, रंग-रूप एक सामान नहीं होता। व्यक्ति को जीवन में अनेक कड़वे मीठे अनुभवों के दौर से गुजरना होता है। जीवन संघर्ष में अनेक उतार-चढ़ाव, विपदाएं, प्रतिकूलताएं सहनी होती है। इन प्रतिकूलताओं के चलते हमें...
चेन्नई. किलपॉक में चातुर्मासार्थ विराजित आचार्य तीर्थ भद्रसूरीश्वर ने कहा संसार एक बंधन है। बंधन में रहने को कोई तैयार नहीं। आजकल तो बच्चे मां-बाप के बंधन में रहने को तैयार नहीं हैं। बंधन कितना भी अच्छा हो लेकिन किसी को यह अच्छा नहीं लगता। शिष्य को गुरु का बंधन भी अच्छा नहीं लगता। जन्म मरण भी उन्हें बंधन लगता है। लेकिन बंधन के बिना संसार से मुक्ति नहीं मिलने वाली। जब तक आप संसार में हैं, बंधन में रहोगे। जिसको मुक्त होने की इच्छा है वह मुमुक्षु कहलाता है। आत्मचेतना जागृत होगी तब ही बंधन को तोड़ सकते हो। पत्नी, परिवार, परिग्रह भी बंधन है लेकिन हम इसे मानने को तैयार नहीं हैं। बंधन से मुक्ति होने पर ही सम्यक ज्ञान की प्राप्ति सम्भव है। आर्य संस्कृति कहती है कि विद्या वही है जो पाप से मुक्ति की ओर ले जाए। स्वयं के विचार और मान्यता का त्याग करना चाहिए। अभाव का दुख दूर करने के लिए संतोष का धन होन...