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व्यवहार अच्छा तो जीवन अच्छा: आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्यश्री ने साध्वियों के नवागत सिंघाड़ों से संतवृंद का कराया परिचय, खमतखामणा का रहा क्रम   रहुतनहल्ली, बेंगलुरु (कर्नाटक): आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी शुभारम्भ समारोह का तीन दिवसीय कार्यक्रम मंगलवार को सुसम्पन्न हुआ। इसकी घोषणा जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता महातपस्वी शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आज के कार्यक्रम के उपरान्त की।  महतपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में बेंगलुरु महानगर में स्थित भिक्षुधाम में तेरापंथ धर्मसंघ के दसमाधिशास्ता, युगप्रधान, प्रज्ञापुरुष आचार्य महाप्रज्ञ की जन्म शताब्दी समारोह के तृतीय दिवस पर भी चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने आराध्य के प्रति अपनी प्रणति अर्पित की। समारोह का शुभारम्भ आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल महामंत्रोच्चार से हुआ। मुख्यमुनि मुनि महावीरकुमारजी ने अपने श्रद्धाभावों को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि आचार्यश्री ...

दुख से मुक्ति के लिए बने पाप मुक्त:आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर

चेन्नई. किलपॉक में चातुर्मासार्थ विराजित आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर ने कहा दुख मुक्ति के लिए पाप मुक्त  होना जरूरी है । पाप की प्रवृत्ति जारी रहेगी तो दुख मुक्ति नहीं मिल सकती । जब तक शरीर है, पाप क्रिया जारी रहेगी । शरीर की आवश्यकता के लिए अर्थ जरूरी है और अर्थ अर्जन के लिए पाप क्रिया चलती ही रहती है। आचार्य ने कहा जब कर्मों से मुक्ति मिलेगी तब ही देह की मुक्ति होगी । तीर्थंकर की आत्मा को भी मानव जन्म लेना पड़ता है । जन्म का मतलब नया शरीर धारण करना है। दुख का कारण पाप, पाप का कारण देह, देह का कारण कर्म और कर्म करने का कारण मोह है । जो कर्म जिस रूप में भोगा जा सकता है, वही जन्म मिलता है । जन्म भूतकाल में किए कर्मों की सजा है। उन्होंने कहा यदि दुख से मुक्ति चाहिए तो राग और द्वेष से बचने की कोशिश करो । मोक्ष के रास्ते पर जाने से हम कहीं न कहीं चूक रहे हैं । यदि मोक्ष चाहिए तो वीतरागता प्राप्त...

शरीर की नश्वरता जानकर प्राणशक्ति का सदुपयोग करें: साध्वी डॉ.सुप्रभा

चेन्नई. उमराव ‘अर्चना’ सुशिष्या साध्वी कंचनकंवर, साध्वी डॉ.सुप्रभा आदि ठाणा सहित वैभव अपार्टमेंट से विहारकर धर्मराजा कोईल स्ट्रीट में कल्याणजी रूपचंद धर्मचंद चोरडिय़ा के निवास स्थान पर पधारे। विहार में बड़ी संख्या में श्रावकगण शामिल हुए।  साध्वी मंडल के सानिध्य में यहां पर ‘‘उमराव अर्चना वाटर बूथ’’ का उद्घाटन किया गया। प्रात: 9.30 बजे प्रवचन में साध्वी डॉ.इमितप्रभा ने मरलेचा गार्डन में श्रोताओं को संबोधित करत हुए कहा कि मानव को शरीर, प्राण, मन, बुद्धि, आत्मा मिली है। शरीर के चार धर्म है- रोग, अशुचि, जरा एवं मरण। धर्म को जानकर शरीर की नश्वरता देखते हुए हमें इस शरीर पर आसक्ति नहीं रखकर,  प्राणशक्ति से हमें प्राणों का सदुपयोग करना है।   मनुष्य को मन व बुद्धि प्राप्त हुई है। मन से शुभ विचार करें, मन एक ऐसा साधन है जिससे कर्म बंध एवं कर्म से मुक्त हो सकते हैं। अंत में आत्मा है तो इनका मूल्य है ह...

योग्य पात्र को दिया गया दान देता है शुभ फल

  चेन्नई. ट्रिप्लकेन स्थित महावीर भवन में  श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए जयधुरंधर मुनि ने कहा कि दान देने से देनेवाले का पुण्य तो बढ़ता ही है, पाने वाले की आवश्यकता की पूर्ति भी हो जाती है। धन की तीन गतियाँ बताई गई है दान,भोग और नाश। उत्कृष्ट भावों से योग्य पात्र को दिया हुआ दान कालांतर में शुभ परिणाम देता है। दानों में श्रेष्ठ अभयदान है, जिसमें सभी प्रकार के प्राणियों को भय से मुक्त कर दिया जाता है। धर्म ध्यान की श्रेणी में आने वाले सुपात्र दान का महत्व समझाते हुए मुनि ने कहा कि दान देते समय यदि द्रव्य , भाव और पात्र की शुद्धि है तो सहज में सम्यक्त्व  की प्राप्ति हो सकती है। प्राणी मात्र के प्रति अनुकंपा दर्शाते हुए श्रावक गायों को घास खिलाता है, पशुओं को चारा डालता है, कबूतरों को दाना ड़ालता है भूखों को भोजन खिलाता है। एक आदर्श श्रावक को भी प्रतिदिन कुछ ना कुछ दान करने की भावना रखनी चा...

सिर्फ 4 घंटो में एकत्र हुआ 125 यूनिट रक्त जमा 

चेन्नई. एस.एस.जैन साहुकारपेट संघ के तत्वावधान में संस्कार मंच द्वारा आयोजित किए गए रक्तदान शिविर में चार घंटे के समय में 125 यूनिट रक्त जमा कर ब्लडबैंक को भेजा गया। संपूर्ण कार्यक्रम के लाभार्थी उमराव बाई जवरीलाल आनंदमल छल्लाणी रहे। अध्यक्ष पंकज कोठारी, दीपचंद लूनिया, सजनराज मेहता, लाभजी खारीवाल, मंगल खारीवाल, महावीर बोहरा, जयप्रकाश लालवानी और राखी गोलेछा इस अवसर पर उपस्थित थे। संयोजक प्रवीण नाहर, सहसंयोजक राहुल कोठारी और विशाल खाबिया ने कार्यक्रम में सहयोग दिया।  

साध्वी सुमित्रा एवं साध्वी सिद्धिसुधा का एवं आध्यात्मिक मिलन जवरी लाल आनंदमल छलाणी निवास वेपेरी में कल

चेन्नई. आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि म.सा. की सांसारिक बहन परम विदुषी साध्वी सुमित्रा आदि ठाणा-6 और कर्नाटक गज केसरी गणेशीलाल म.सा. की शिष्याएं साध्वी सिद्धिसुधा आदि ठाणा-3  का एक दिवसीय आध्यात्मिक मिलन एवं जाप महामांगलिक कार्यक्रम 3 जुलाई को जवरी लाल आनंदमल छलाणी निवास वेपेरी में होगा। इस दौरान महामंगलकारी जाप दोपहर 3 से 4 बजे तक होगा, 4 बजे महामांगलिक और उसके पश्चात हाई टी की व्यवस्था रखी गई है।  इससे पूर्व मंगलवार को  एस.एस.जैन : एस. एस. जैन संघ साहुकारपेट के अध्यक्ष आनंदमल छलाणी, मंत्री मंगल चंद खारीवाल साध्वी सिद्धिसुधा का आशीर्वाद प्राप्त किया। ज्ञातव्य है कि साध्वी सिद्धिसुधा का चातुर्मास साहुकारपेट संघ के तत्वावधान में होगा।  मंगलप्रवेश 11 जुलाई को है।

विद्या वही जो बंधन से मुक्ति की ओर ले जाए : मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार

ज्ञान का विकास करते करते ज्ञान होता हैं। फिर भी सभी में ज्ञान का विकास समान नही होता। कुछ छात्रों को याद बहुत जल्दी हो जाता है, तो कुछ को देर से याद होता हैं। सबकी बुद्धि समान नही होती। अभ्यास करने से स्मरण शक्ति का विकास हो सकता हैं, उपरोक्त विचार आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार जी ने *तेरापंथ जैन विद्यालय* में प्रार्थना सभा में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। मुनि श्री ने आगे कहा कि स्मरण शक्ति के विकास के लिए ज्ञान मुद्रा में *“ऊँ ह्रीं णमो उवज्झायाणं”* एवं *भक्तामर स्तोत्र का छठे श्लोक का 27 बार जप* करने के प्रयोग समझायें। विद्या की देवी सरस्वती हैं, उसे मंत्र आराधना से सिद्ध किया जा सकता है। भारतीय शिक्षा पद्धति में जीवन विकास के साथ सभी बन्धनों से मुक्ति के लिए विद्या ग्रहण की जाती हैं। विद्या वही, जो बंधन से मुक्ति की ओर ले...

संथारा प्रत्याख्यान

चाडवास निवासी, चेन्नई प्रवासी जैन तेरापंथ धर्मसंघ के प्रति पुर्ण समर्पित श्रावक श्रीमान् प्रदीपकुमार बच्छावत (श्री विनय, श्री विवेक बच्छावत के पिताजी) को पुर्ण जागरूकता के साथ परम् पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण की आज्ञा से 01-07-2019 सोमवार दोपहर 03:41 मिनट पर वरिष्ठ उपासक श्री जयंतीलाल सुराणा व श्री पदमचंद जी आंचलिया ने यावज्जीवन तिविहार संथारा का प्रत्याख्यान करवाया| इस अवसर पर परिवार जनों के साथ तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़, कोषाध्यक्ष श्री अनिल सेठिया उपस्थित थे|

विद्या वही जो बंधन से मुक्ति की ओर ले जाए: मुनि ज्ञानेन्द्रकुमार

चेन्नई. पट्टालम स्थित तेरापंथ जैन विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुनि ज्ञानेन्द्रकुमार ने कहा ज्ञान का विकास करते-करते ज्ञान होता है। फिर भी सभी में ज्ञान का विकास समान नहीं होता। कुछ छात्रों को याद बहुत जल्दी हो जाता है, तो कुछ को देर से होता है। सबकी बुद्धि समान नहीं होती। अभ्यास करने से स्मरण शक्ति का विकास हो सकता है। मुनि ने स्मरण शक्ति के विकास के लिए ज्ञान मुद्रा में ऊँ ह्रीं णमो उवज्झायाणं एवं भक्तामर स्तोत्र के छठे श्लोक का 27 बार जप करने के प्रयोग समझाए। विद्या की देवी सरस्वती है, उसे मंत्र आराधना से सिद्ध किया जा सकता है। भारतीय शिक्षा पद्धति में जीवन विकास के साथ सभी बन्धनों से मुक्ति के लिए विद्या ग्रहण की जाती है। विद्या वही, जो बंधन से मुक्ति की ओर ले जाए। मुनि रमेशकुमार ने कहा विद्या विनय देती है। विनय से ज्ञान की प्राप्ति होती है। विद्या विकास के साथ यदि केवल बुद्धि का ...

दधिमति मंदिर सप्त दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 4 से 

चेन्नई. श्री मद्रास दाहिमा ब्राह्मण महासभा ट्रस्ट बोर्ड के तत्वावधान में 4 से 10 जुलाई तक सात दिवसीय मां दधिमति मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजित किया जाएगा। साहुकारपेट के मनगप्पन स्ट्रीट स्थित दाहिमा भवन में सात दिन तक प्रतिदिन कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। पहले दिन 4 जुलाई को सुबह 8 बजे गणपति पूजन एवं मंगल कलश यात्रा निकाली जाएगी। कलश यात्रा सिंधी धर्मशाला से रवाना होकर साहुकारपेट के प्रमुख मार्गों से होते हुए दाहिमा भवन पहुंचकर संपन्न होगी। दूसरे दिन 5 जुलाई को द्रण भंग, नेत्र निमीलन संस्कार, 6 जुलाई को धृताधिवास, 7 जुलाई को व ाधिवास, 8 जुलाई को पुष्पाधिवास, फलाधिवास, धूपादिवास तथा 9 जुलाई को महाभिषेक, औषधि स्नात्र व पूजा होगी। महोत्सव के अंतिम दिन 10 जुलाई को पूजन हवन मूर्ति न्यास के बाद सुबह 9 बजे से प्राण प्रतिष्ठा होगी। भजन सम्राट कुलदीप ओझा 9 जुलाई को सायं भजनों की...

विकट हालात में भी सक्रिय बनाए रखती है सहनशीलता: कपिल मुनि

चेन्नई. चेटपेट में हैरिंगटन रोड स्थित झामड विला में विराजित कपिल मुनि ने कहा कि जिंदगी के प्रत्येक मोर्चे का मुकाबला करने के लिए परिषह विजय की साधना बेहद जरुरी है। जीवन में आगत कष्ट, दु:ख को समभाव से सहन करना ही परीषह विजय है। सहिष्णुता कमजोरी नहीं बल्कि व्यक्तित्व को निखारने वाला एक महत्वपूर्ण गुण है। इस गुण के अभाव में व्यक्ति की सभी विशेषता अर्थहीन हो जाती है। जिसे सहना आता है वही जीवन को जीना जानता है। सहनशीलता एक ऐसी क्षमता है जो हमें विकट हालातों में भी सक्रिय बनाए रखती है। सहिष्णुता की जीवन में बहुत ही उपयोगिता है। यह दुनिया रंग-बिरंगी और विचित्रता से भरी है। यहां सब की रुचि, स्वभाव, विचार, रंग-रूप एक सामान नहीं होता। व्यक्ति को जीवन में अनेक कड़वे मीठे अनुभवों के दौर से गुजरना होता है। जीवन संघर्ष में अनेक उतार-चढ़ाव, विपदाएं, प्रतिकूलताएं सहनी होती है। इन प्रतिकूलताओं के चलते हमें...

बंधन के बिना मुक्ति नहीं: आचार्य तीर्थ भद्रसूरीश्वर

चेन्नई. किलपॉक में चातुर्मासार्थ विराजित आचार्य तीर्थ भद्रसूरीश्वर ने कहा संसार एक बंधन है। बंधन में रहने को कोई तैयार नहीं। आजकल तो बच्चे मां-बाप के बंधन में रहने को तैयार नहीं हैं। बंधन कितना भी अच्छा हो लेकिन किसी को यह अच्छा नहीं लगता। शिष्य को गुरु का बंधन भी अच्छा नहीं लगता। जन्म मरण भी उन्हें बंधन लगता है। लेकिन बंधन के बिना संसार से मुक्ति नहीं मिलने वाली। जब तक आप संसार में हैं, बंधन में रहोगे। जिसको मुक्त होने की इच्छा है वह मुमुक्षु कहलाता है। आत्मचेतना जागृत होगी तब ही बंधन को तोड़ सकते हो। पत्नी, परिवार, परिग्रह भी बंधन है लेकिन हम इसे मानने को तैयार नहीं हैं। बंधन से मुक्ति होने पर ही सम्यक ज्ञान की प्राप्ति सम्भव है। आर्य संस्कृति कहती है कि विद्या वही है जो पाप से मुक्ति की ओर ले जाए। स्वयं के विचार और मान्यता का त्याग करना चाहिए। अभाव का दुख दूर करने के लिए संतोष का धन होन...

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