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अहोभाव से दुरुभगवंतोको बेहराने में सात्विकता है! – महाराष्ट्र केसरी पु. गौतममुनीजी

श्रमण संघीय सलाहकार पु. गुरुदेव सुमतिप्रकाशजी, उपाध्याय पु विशालमुनीजी तथा उत्तरभारतीय प्रवर्तक पु. आशिष मुनीजी म.सा. के सुशिष्य महाराष्ट्र गौरव, खान्देश केशरी पु गौतम मुनीजी म. सा.युवा प्रज्ञ , अध्ययनशील पु. चेतनमुनीजी म.सा. आदि ठाणा 2 चातुर्मासार्थ शिरुर( घोडनदी) में विराजमान है! वाणी के जादुगर पु गुरुदेव के जिनवाणी का भक्तगण बड़ी आस्था एवं उमंग के साथ लाभ ले रहे हैं और साथ मे तपकी लड़ी लगी हुई है! आज के उद् बोधन मे गुरुदेव ने गुरुभगवंतो को आहार किन भावो से बेहराना चाहिए यह चंदनबाला का उदाहरण देकर उदबोधित किया! इसके साथ पेहराव कैसा हो, अपनी भारतीय संस्कृति को जतन कर पाश्चिमात्य संस्क्रुती त्यागने का एहलान किया! और अंतमे अपना सबोके दिल को छु लेनेवाला “ बरसा दाता सुख बरसा, ऑंगन ऑंगन सुख बरसा” यह स्तवन पेश किया! आज के धर्मसभा में आकुर्डी निगडी प्राधिकरण श्री संघ के अध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी जि...

स्वाध्याय भवन में रात्रि संवर साधना

परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री हीराचंद्रजी म.सा. की नेश्राय में श्रावकों,स्वाध्यायी गणों व युवकों रात्रि संवर साधना जोधपुर में गतिमान हैं | गुरु भगवंतों की असीम कृपा एवं मार्गदर्शन से ऐसी भावना बनी है कि इस वर्ष चेन्नई चार्तुमास में प्रतिदिन श्रावक वर्ग का रात्रिकालीन संवर हों,इसमें श्रावक, युवा सभी का पूर्ण सहयोग हमें अवश्य मिल रहा हैं | अनंत पुण्यवाणी से व्याख्यात्री महासती श्री सुमतिप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा 7 का चार्तुमास भी हमें प्राप्त हुआ है,यह संवर साधना उनके श्री चरणों में हम भेंट कर रहे है | श्रावक संघ तमिलनाडु के निवर्तमान कार्याध्यक्ष ने बताया कि संघ द्वारा निवेदन किया गया है कि अपनी अनुकूलता अनुसार सप्ताह का कोई भी दिन चयन कर लें,और उस दिन पूरे चार्तुमास काल में रात्रि संवर साधना आपको करनी है । जिन्होंने संवर करने की स्वीकृति प्रदान की हैं उन संवर करने वाले साधकों की सूची इस प्रकार ...

जैन धर्मात विश्वधर्म बनण्याची शक्ती-प.पू.रमणीकमुनीजी म.सा.

जालना : जैनांमध्ये म्हणजेच जीन शासनात विश्वधर्म बनण्याची शक्ती सामावेली आहे, परंतू अनुयायी चांगले मिळाले नाहीत, असा हितोपदेश प.पू. रमणीकमुनीजी म.सा. यांनी येथे बोलतांना दिला. ते गुरु गणेश सभा मंडपात चार्तुमासानिमित्त आयोजित प्रवचनात  प.पू. रमणीकमुनीजी म.सा. बोलत होते. यावेळी विचार पिठावर अन्य साध्वींची उपस्थिती होती. पुढे बोलतांना प.पू.रमणीकमुनीजी म. सा. यांनी महाराष्ट्रातीलच काका कालेकर यांचे नांव घेत वरील उद्बोधन केले. ते म्हणाले की, काका कालेकर हे विध्दान होते. त्यांनी जीन शासनाबद्दल केलेले वाक्य तुम्हाला आवडते की, नाही. हे माहित नाही परंतू ते म्हणाले होते की,  जैन धर्मात विश्वधर्म बनण्याची शक्ती आहे. परंतू या धर्माला अनुयायी चांगले मिळाले नाही. खरे आहे त्यांचे! आम्ही वेगवेगळ्या संप्रदायात गुंरफटून गेलो आहोत. कुणी दिगंबर तर कुणी स्थानकवासी तर कुणी तेरापंथी, असे सांगून ते म्हणाले की, जगा...

आनंदाचा खरा मार्ग : आत्मप्रबोधनातून सुखाकडे

प्रवचन – 15.07.2025 – प पू श्री मुकेश मुनीजी म सा – (बिबवेवाडी जैन स्थानक) लाखो वर्षांपासून मानवतेपुढे एक प्रश्न उभा आहे – या मानवी जीवनाचे अंतिम प्रयोजन काय आहे? मानव जन्मल्यापासून मृत्यूपर्यंत एकच गोष्ट शोधतो – सुख! सकाळपासून संध्याकाळपर्यंत तो धावत असतो, झटत असतो, प्रयत्न करत असतो – सुख मिळवण्यासाठी. ब्रह्मचारी संयम पाळतो, विद्यार्थी अभ्यास करतो, व्यापारी व्यवसाय करतो… पण तरीही खरी शांती आणि तृप्ती दूरच राहते. भगवान महावीर स्वामी सांगतात – “या जगात डोंगराएवढं दु:ख आणि मोहरीच्या दाण्याएवढं सुख आहे.” आज जगात सुखसोयींची रेलचेल आहे, एक बटण दाबलं की हजारो सुविधा हजर होतात. पण त्या सुविधांमधून शाश्वत आनंद मिळतो का? प्रत्येक जीव आनंदाची गुरुकिल्ली शोधत आहे. मुलंही खेळण्यातून, तरुण मौजमजेतून, वयोवृद्ध घर-संसारात सुख शोधत असतात. काहींनी पैशालाच सुख समजलं आहे. पण पैशातून म...

मनोबली ही कर सकते तपस्या : – मुनि दीपकुमार

दो बहनों ने आठ दिन के तप का प्रत्याख्यान किया Sagevaani.com / पल्लावरम : तमिलनाडु के पल्लावरम क्षेत्र में स्थित तेरापंथ भवन में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री दीपकुमारजी ठाणा-2 के सान्निध्य में प्रवचन के मध्य दो तपस्वी बहनों ने अठाई तप (8दिन की तपस्या) का प्रत्याख्यान ग्रहण किया।  मुनि दीपकुमार ने कहा कि मनोबली, संकल्पबली व्यक्ति ही तपस्या कर सकते हैं। दुनिया में अनेक प्रकार के उत्सव मनाएँ जाते है, पर तप का उत्सव जिनशासन में ही मनाया जाता है, जो की निराला है। तप करना कठिन कार्य हैं, बडे़-बडे़ घबराते हैं, खाना सबको अच्छा लगता है। सावण के महिने में जैसे वर्षा की झड़ी है, वैसे तपस्या की भी झडी़ लगनी चाहिए। गुरु कृपा से यह उपक्रम बढ़ता जाए। मुनि श्री काव्यकुमारजी ने माया से बचकर सरल बनने का आव्हान किया।  मुनिश्री ने श्रीमती कृतिका सिसोदिया एवं श्रीमती विधि कटारिया को अठाई ...

हमें ज्ञान और अनुभव है,इसलिए हम विनम्र है

हमे दुसरोंका सन्मान कराना सिखाती है!- साध्वी स्नेहाश्री जी का उद्बोधन आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ के प्रांगण मे चातुर्मासार्थ विराजीत उपप्रवर्तिनी पु.चंद्रकलाश्रीजी म. सा. आदिठाणा 3 का चातुर्मास चल रहा है! प्रवचन की श्रुखला मे साध्वी स्नेहाश्री जी म.सा. ने कहा झुकना सिखिये प्रकृति से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। पेड़ों की झुकी हुई डालियाँ हमें विनम्रता का पाठ पढ़ाती हैं। जब फल लगते हैं, तो डालियाँ झुक जाती हैं, मानो वे कह रही हों कि “हममें ज्ञान और अनुभव है, इसलिए हम विनम्र हैं।” यह विनम्रता हमें दूसरों का सम्मान करना सिखाती है। झुकने का महत्व विनम्रता: झुकना, विनम्रता का प्रतीक है। जब हम झुकते हैं, तो हम अपने अहंकार को कम करते हैं और दूसरों के प्रति सम्मान दिखाते हैं। सफलता: झुकना, सफलता की कुंजी है। जो झुकना जानता है, वह जीवन में आगे बढ़ता है। सद्भाव: झुकने से, हम ...

भारतीय संस्कृति चित्र की नहीं चारित्र की पुजारी है= डाॅ. वरुण मुनि

श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बेंगलुरू में चातुर्मासार्थ विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार प. पू. डॉ श्री वरुणमुनिजी म. सा. ने अपने मंगलमय उद्गार अभिव्यक्त करते हुए कहा कि युग की आदि करने वाले अनंत उपकारी परमात्मा प्रभु श्री आदिनाथ भगवान को हम वंदन-नमन करते हैं, जिन्होंने जगत के जीवों को संसार के मार्ग के साथ दान-शील-तप भावना और ज्ञान-दर्शन-चरित्र-तप रूपी मोक्ष मार्ग का दिग्दर्शन कराया। ज्ञान और दर्शन दो चरण हैं, चारित्र काया है और तप जीवन का शिखर कलश है । हम वंदन तो करें किंतु कौन से चरण आदरणीय है, वंदनीय है, पूजनीय है, सम्माननीय है ? भारतीय संस्कृति में चित्र की नहीं चारित्र की पूजा होती है । चरण भी वही वंदनीय और पूजनीय बनते हैं, जो चारित्र से समुज्वल है, जिनका जीवन त्याग से ओतप्रोत है, जिनके जीवन में इंद्रिय संयम है । सर्वत्र ज्ञानी सद्गुणी और चारित्र संपन्न व्यक्ति की ही पूजा होत...

विश्व विजेता से महान होते हैं- आत्म विजेता= डाॅ. वरुण मुनि

धर्म परिवर्तन नहीं, जीवन परिवर्तन करवाते हैं- जैन संत श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बेंगलुरू में चातुर्मासार्थ विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार प. पू. डॉ श्री वरुणमुनिजी म. सा. ने अपने मंगलमय उदबोधन में फरमाया कि जैन शब्द जन शब्द से बना है । जब जन शब्द पर विनय और विवेक की दो मात्राएं लग जाती हैं तो वह जैन बन जाता है । जैन वह है जो जिन का उपासक है । जैन किसी के धर्म परिवर्तन में विश्वास नहीं करता बल्कि यह जीवन परिवर्तन करने की एक शैली है । धर्म चाहे कोई भी हो, हर धर्म प्रेम, मानवता और सेवा की बात करता है किंतु व्यक्ति ने अपने स्वार्थवश धर्म की अलग-अलग परिभाषाएं कर दी है । जैन दर्शन हमारी जीवन शैली परिवर्तन करने का एक अद्भुत दर्शन है । जिन्होंने अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त कर ली, वे जिनेंद्र कहलाते हैं । संसार पर विजय प्राप्त करने की कोशिश तो सिकंदर ने भी की किंतु अंत में वह स्वयं से ह...

डॉ. कुमुदलताजी के सानिध्यमे सानिध्य मे भिलवाडा( राजस्थान) में मनाया गया भामाशा, शिक्षा महर्षि CA रमेशजी फिरोदिया का जन्मदिवस

अनुष्ठान आराधिका पु.डॉ. कुमुदलताजी के सानिध्यमे सानिध्य मे भिलवाडा( राजस्थान) में मनाया गया भामाशा, शिक्षा महर्षि CA रमेशजी फिरोदिया का जन्मदिवस! भिलवाडाः अनुष्ठान आराधिका पु. डॉ. कुमुदलताजी म.सा. मधुर गायिका तप आराधिका पु. महाप्रज्ञाजी, वास्तु विशारद वर्षितप आराधिका पु. डॉ. पद् मकिर्ती जी म.सा. वर्षितप आराधिका पु राजकिर्ती जी म.सा. आदि ठाणा 4“ दिवाकर दरबार” सुभाष नगर भिलवाडा मे चातुर्मासार्थ विराजमान है ! प्रवेश से लगाकर आजतक हज़ारों के तादाद मे भक्तगण जिनवाणी, दर्शन , धर्मचर्चा का लाभ ले रहे है! संघ द्वारा विविध धार्मिक आध्यात्मिक कार्यक्रमो का सुचारु रुपसे आयोजन किया जा रहा है! आज के धर्मसभा में अहिल्यानगर महाराष्ट्र से भामाशा, शिँक्षा महर्षि गुरुभक्त CA श्रीमान रमेशजी फिरोदिया फिरोदिया पधारे थे, जिनका आज 80वाँ जन्मदिवस है! यह औचित्य सामने रख रमेशजी को राजस्थानी साफ़ा एवं गमच्छा देकर पद...

पुण्य शक्ती तर धर्म आम्हाला सहनशक्ती देतो-प.पू.रमणीकमुनीजी म.सा.

जालना : पूर्वी शाळेत सर्व मुले एकत्रीत बसत होती. त्याठिकाणी मग कुणी ब्राम्हण असेल तर कुणी, वैष्णव, तर कुणी अन्य कुणी! मी पन्नास वर्षाची जिंदगी पाहिली. पण आता! काय झाले आम्हाला! पुण्य शक्ती देत असेल परंतू धर्म आम्हाला सहनशक्ती देतो, यातच सर्व काही आले, असे प.पू. रमणीकमुनीजी म.सा. यांनी येथे बोलतांना दिला. ते गुरु गणेश सभा मंडपात चार्तुमासानिमित्त आयोजित प्रवचनात प.पू. रमणीकमुनीजी म.सा. बोलत होते. यावेळी विचार पिठावर अन्य साध्वींची उपस्थिती होती. पुढे बोलतांना प.पू.रमणीकमुनीजी म. सा. यांनी यावेळी विविध उदाहरणे देखील दिली. पुढे बोलतांना ते म्हणाले की,आपण ठरवायला पाहिजे की, पुण्य हवे की, सहनशक्ती! पुण्य केल्याने आपल्याजवळ धन- दौलत येईल परंतू ते सांभाळण्यासाठी आपल्याला धर्माची गरज आहे की, नाही! पूर्वी मोठ्यांचा मान- सन्मान राखला जायचा. ते जे म्हणतील त्यावर कुणीही विचार करत नव्हते. ते सांगतील आण...

स्वप्न – आत्मशुद्धीचा संकेत

प्रवचन – 14.07.2025 – प पू श्री मुकेश मुनीजी म सा – (बिबवेवाडी जैन स्थानक) स्वप्न म्हणजे केवळ झोपेमध्ये आलेली दृश्ये नव्हे, तर आत्म्याच्या अंतर्गत शुद्धतेचे, संस्कारांचे आणि भविष्याच्या संकेतांचे दार. सामान्यतः स्वप्न म्हणजे मेंदूत निर्माण होणाऱ्या चित्रछटा.परंतु जैनधर्मानुसार स्वप्न म्हणजे आत्मशुद्धीचे, शुभ संस्कारांचे, आणि आध्यात्मिक उन्नतीचे संकेत. स्वप्न हे मनाच्या स्थितीचा आरसा आहे. जे मनात आहे, तेच स्वप्नात प्रकटते. पण जेव्हा एखादी आत्मा खूप शुद्ध, संयमी, आणि पुण्यवान असते – तेव्हा तिला येणारी स्वप्ने ही दैवी स्तराची असतात. जैनदृष्टिकोनातून स्वप्न म्हणजे आत्मा ज्या स्थितीत आहे त्याचे प्रतिबिंब. भगवान महावीरस्वामींच्या जन्मापूर्वी माता त्रिशलादेवींना आलेली 14 शुभ स्वप्ने ही जैनधर्मात एक पवित्र घटना मानली जाते. सिंह, हत्ती, लक्ष्मी, चंद्र, सूर्य, कमळ, कलश, ध्वज, देवगंधर्व, ...

मंत्र दीक्षोत्सव का भव्य समायोजन

Sagevaani.com /किलपॉक, चेन्नई : अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के निर्देशन में तेरापंथ युवक परिषद् चेन्नई द्वारा किलपॉक में ‘मंत्र दीक्षोत्सव’ का समायोजन मुनि मोहजीतकुमारजी के सान्निध्य में किया गया। जिसमें चेन्नई की अनेक ज्ञानशालाओं के ज्ञानार्थियों ने भाग लिया।  ज्ञानार्थियों को ज्ञानशाला के महत्व को समझाते हुए मुनि मोहजीतकुमारजी ने कहा कि ज्ञानशाला का अभिनव उपक्रम आचार्य तुलसी ने अपनी दूरदृष्टि से किया। जो आज तक प्रवर्धमान है। ज्ञानशाला के माध्यम से भावी पीढ़ी में संस्कारों का निर्माण किया जाता है। यह प्रकल्प संस्कारों के जागरण का महत्वपूर्ण उपाय है। इससे बालक-बालिकाएं धर्म के प्रति जागरूक बनते हैं। उनके भीतर सद्‌भावों सत्‌क्रिया का विकास होता है।  मुनि जयेशकुमारजी ने अपने युग में चलने वाली ज्ञानशाला के अनुभवों प्रकट करते हुए कहा कि प्रत्येक ज्ञानार्थी को देव, गुरु, धर्म के...

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