गुरुदेव के चरणों में श्रद्धा, विदाई में आँसू कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर भारत गौरव पूज्य डॉ. वरुण मुनि जी महाराज के सान्निध्य में एक दिव्य एवं भावनापूर्ण प्रवचन का आयोजन हुआ। मुनि श्री ने अपनी ओजस्वी वाणी से साधकों को धर्म, करुणा और आत्मजागृति के पथ पर अग्रसर होने का प्रेरक संदेश दिया।मुनि श्री ने अपने प्रवचन में कहा —“कार्तिक पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, यह आत्मप्रकाश का पर्व है। जब मन के अंधकार को ज्ञान का दीपक प्रकाशित करता है, तभी सच्ची पूर्णिमा होती है।” प्रवचन के दौरान सम्पूर्ण वातावरण भक्ति और शांति से भर गया। सैकड़ों श्रद्धालु भक्तों ने गहन भावनाओं के साथ मुनि श्री के उपदेशों का लाभ लिया।इस अवसर पर यह घोषणा भी की गई कि चातुर्मास समापन उपरांत पूज्य श्री पंकज मुनि जी, श्री वरुण मुनि जी एवं श्री रूपेश मुनि जी महाराज दिल्ली यात्रा के लिए प्रस्थान करेंगे। यह समाचार सुनकर भक्तों में ...
गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में चातुर्मास के पावन अवसर पर विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने गहन और प्रेरणादायक प्रवचन में श्रद्धालुओं को ध्यान की शक्ति और आत्मशुद्धि के महत्व पर प्रेरक उपदेश दिए।मुनिश्री ने अपने प्रवचन में कहा — “ध्यान वह साधना है जो आत्मा को उसके मूल स्वरूप से जोड़ती है। जब मन की तरंगें शांत होती हैं, तब भीतर का दिव्य प्रकाश स्वयं प्रकट होता है।” उन्होंने समझाया कि बाह्य सुख क्षणिक हैं, किंतु आंतरिक शांति केवल ध्यान की गहराई में ही प्राप्त होती है।गुरुवर ने कहा कि “मुक्ति का द्वार कहीं बाहर नहीं, बल्कि प्रत्येक जीव के अंतर्मन में विद्यमान है। जो व्यक्ति अपने भीतर उतरने का साहस करता है, वह परमात्मा के साक्षात्कार का अनुभव कर सकता है।” उन्होंने यह भी प्रेरणा दी कि ध्यान कोई पलायन नहीं, बल्कि यह तो जीवन को जागरूकता और करुणा से भरने का माध्यम है। साधक ...
चातुर्मास के पावन अवसर पर भारत गौरव डॉक्टर वरुण मुनि जी महाराज ने अपने आज के प्रेरणादायी प्रवचनों में कहा कि “विचारों की शुद्धि ही आत्मा की सिद्धि का प्रथम सोपान है।” उन्होंने कहा कि मनुष्य के समस्त कर्म, उसकी वाणी और व्यवहार, उसके विचारों की ही प्रतिच्छाया हैं। यदि हमारे विचार निर्मल, सात्त्विक और करुणामय होंगे तो जीवन स्वयं ही पवित्रता और शांति से भर जाएगा। मुनि श्री ने समझाया कि आत्मा की सिद्धि कोई बाहरी उपलब्धि नहीं, बल्कि अंतर की निर्मलता का परिणाम है। उन्होंने कहा — “मनुष्य जब अपने भीतर उठते विकारों, ईर्ष्या, क्रोध, और अहंकार को पहचानकर उन्हें साधना से रूपांतरित करता है, तभी वह आत्मबोध की दिशा में अग्रसर होता है।”प्रवचन के दौरान मुनि श्री ने यह भी बताया कि आज की भौतिक युग की प्रतिस्पर्धा में मनुष्य बाहर की उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जबकि वास्तविक प्रगति विचारों की पवित्र...
पाठशाला का नामकरण एवं आनंद मेला का उद्घाटन! गुरुमॉं उपप्रवर्तिनी श्रमणी गौरव पु. चंद्रकला श्री जी म. सा., प्रवचन विभु शासन सुर्या पु. स्नेहाश्रीजी म. सा., दिवाकर दिप्ती पु श्रुत प्रज्ञा श्री जी म. सा. के पावन सानिध्य मे आज पाठशाला के बच्चो के लिए “ आनंद मेला” ( Fun-Fair) का उद्घाटन संघाध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी, पुर्वाध्यक्ष संतोषजी कर्नावट, पुनमजी कर्नावट, उपाध्यंक्षा शारदाजी चोरडीया, इनके करकमले द्वारा वरिष्ठ मार्गदर्शक सुर्यकांतजी मुथियान, मोतीलालजी चोरडीया, सचिनजी गांधी, राजेंन्द्रजी खिॉवसरा , चंद्रकांतजी छाजेड प्रकाशजी मुनोत, जयकुमार गांधी, पाठशाला की अध्यापिका सारिका ओस्तवाल, पल्लवी नहार, मनिषा जैन, सोनल सोनी एवं ॲक्टिव ग्रुपकी सदस्या के प्रमुख उपस्थिती मे हुआ! गत पॉंच वर्षोसे नियमित रुपसे चल रही बच्चो की पाठशाला के नामकरण के फलक का अनावरण गुरुमॉं पु. चंद्रकलाश्री जी म. सा. के करकमलो द्व...
युवाचार्य पु महेंन्द्र ऋषिजी म. सा. एवं मित भाषी युवा मनिष पु हितेंन्द्र ऋषिजी म. सा. आदि ठाणा चार के दर्शन , मंगलमय आशिर्वाद लेने पनवेल पहुँचे आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ के संघाध्यंक्ष सुभाषजी ललवाणी, पुर्वाध्य़क्ष संतोषजी कर्नावट, विश्वस्त धनराजजी छाजेड, वरिष्ठ मार्गदर्शक सुर्यकांतजी मुधियान, प्रकाशजी मुनोत, जयकुमार ओस्तवाल,पुनमजी कर्नावट, दिपाली जी बागरेचा, गुरुबहना राणी जी भंसालीl
गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में चातुर्मास के पावन अवसर पर विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने गहन और प्रेरणादायक प्रवचन में कहा कि —“ईश्वर को शब्दों से नहीं, मौन से पाया जा सकता है। जब मन शांत होता है, तब आत्मा ईश्वर के स्पर्श को अनुभव करती है।”गुरुदेव ने बताया कि संसार में मनुष्य अनेक ध्वनियों, विचारों और इच्छाओं से घिरा रहता है। जब तक भीतर का शोर शांत नहीं होता, तब तक सत्य की अनुभूति संभव नहीं। उन्होंने कहा कि मौन कोई कमजोरी नहीं, बल्कि आत्मबल का प्रतीक है। मौन के माध्यम से मनुष्य स्वयं को सुनना सीखता है, और यही सुनना उसे परमात्मा तक पहुंचाता है।डॉ. वरुण मुनि जी ने आगे कहा —“जो व्यक्ति मौन की साधना करता है, उसके भीतर का अहंकार गल जाता है, भाव निर्मल हो जाते हैं, और आत्मा परमात्मा से एकाकार होने लगती है।”उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे झील का पानी शांत होता है त...
देव उठनी का सच्चा अर्थ — आत्मा का जागरण और धर्ममय जीवन की पुनः शुरुआत: भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में चातुर्मास के पावन अवसर पर विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज द्वारा प्रेरणादायक प्रवचन में कहा कि —“देव उठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है*। उन्होंने कहा कि आज केवल देव नहीं,बल्कि हमें अपने भीतर सोई हुई चेतना को भी जाग्रत करना है। जब मनुष्य अपनी आत्मा के प्रति सजग होता है, तभी सच्चे अर्थों में ‘देव उठनी’ होती है।” मुनिश्री ने फरमाया कि यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान का प्रतीक नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का उत्सव है। उन्होंने कहा —“जीवन में कर्म और भक्ति, दोनों के बीच संतुलन आवश्यक है। केवल पूजा से नहीं, बल्कि शुद्ध आचरण और सच्चे संकल्पों से ही ईश्वर का साक्षात्कार संभव है।” उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु का यह जागरण ...
81 तप आराधकों का उपप्रवर्तिनी गुरुमॉं पु. चंद्रकला श्री जी के सानिध्य मे सन्मान! आकुर्डी निगडी प्राधिकरण श्री संघ के प्रांगण मे उपप्रवर्तिनी पु. चंद्रकलाश्री जी, प्रवचन विभु पु. स्नेहाश्री जी म. सा. एवं दिवाकर दिप्ती पु. श्रुतप्रज्ञा श्री जी म. सा. के सानिंध्य मे मॉं पद्मावती एकासन का शिखर समापन आज संप्पन्न हुआl 140 धर्म आराधको ने मॉं पद्मावती एकासन की आराधना प्रारंभ की थी , जिसमे 81 आराधको ने नियमितरुप से स्थानक भवन मे आकर आराधना की उन्हें आज पुनमजी संतोषजी कर्नावट परिवार द्वारा धर्मतिलक, माल्यार्पण एवं आकर्षक भेंट देकर सन्मानीत किया गया! इसी समारेह मे भोजनग्रुह में सेवा देने वाले 6 कर्मियों को भी कर्नावट परिवार के और से सन्मानीत किया गया! इस अवसर पर शारदा जी चोरडीया उत्क्क्रुष्ट मंच संचलन, नेहा भंसाली को समारोह के डिजीटल ऑडियो फ़ोटोग्राफ़ी, मिनलजी नहार, शकुंतलाजी दुगड , राखीजी लोढा को नि...
चातुर्मास के पावन अवसर पर श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलुरु में विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने गोपाष्टमी के दिन अपनी अमृत वाणी से समाज को अद्भुत प्रेरणा प्रदान की। महाराज श्री ने अपने गूढ़ और हृदयस्पर्शी प्रवचनों में कहा कि “गोपाष्टमी केवल गौपूजन का पर्व नहीं, यह संवेदना, सह-अस्तित्व और अहिंसा का उत्सव है। गौ माता हमारी संस्कृति, कृषि और आध्यात्मिक जीवन की आधारशिला हैं। उनका संरक्षण और सेवा हमारे जीवन का परम कर्तव्य होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि आज का मानव भौतिक सुखों की खोज में इतना व्यस्त है कि करुणा और सेवा के सच्चे अर्थ को भूलता जा रहा है। गोपाष्टमी हमें यह स्मरण कराती है कि जब तक हम प्रत्येक प्राणी में आत्मा का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक सच्चे धर्म की स्थापना संभव नहीं।“गौ माता केवल एक पशु नहीं, बल्कि समस्त सृष्टि की पालनहार शक्ति हैं। उनका दूध, उनका स्नेह और उनका ...
गुरुमॉं, उपप्रवर्तिनी, श्रमणी गौरव पु. चंद्रकलाश्री जी, म. सा.प्रवचन विभु पु. स्नेहाश्री जी म. सा. दिवाकर दिप्ती पु. श्रुतप्रज्ञा श्री जी म. सा.आदि ठाणा 3 के पावन सानिध्य मे शिखर जाप अनुष्ठाण*संप्पन्न हुआ। समोशरण जाप मे अनेक धर्मआराधकेने सहभाग लिया! समोशरण वो है, जिसमे हर प्राणी मात्र का कल्याण है, मंगल है । इस जाप की उर्जा की अनुभूती अनुभव किया!हर व्यक्ती इस लाभ से संपन्न बने, समृद्ध बने । यह मंगल कामना गुरुमॉं उपप्रवर्तिनी पु. चंद्रकला श्री जी म. सा. ने की! *जिओ और जिने दो* यह भगवान महावीर स्वामीजी का संदेंश साईकल यात्रा से सालों साल करते आये राजेशजी एवं राजश्रीजी तातेड का सन्मान श्री संघ के और से संघाध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी एवं उपाध्यक्षा शारदाजी चोरडीया के करकमलों द्वारा किया गया! तातेड दांपत्य कल सुबह चिंचवड से अपनी यात्रा साईकल से 6 बजे प्रारंभ कर युवाचार्य श्री पु. महेंन्द्र ऋषिजी म...
चातुर्मास के पावन अवसर पर श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने प्रेरणादायक प्रवचन में कहा कि —“मनुष्य के जीवन के सारे दुखों का अंत केवल सत्संग और सत्य मार्ग की साधना से ही संभव है।”गुरुदेव ने कहा कि जब मनुष्य सच्चे संतों की वाणी सुनता है, तब उसका अंतर्मन शुद्ध होता है, विचारों में स्पष्टता आती है और जीवन की दिशा बदल जाती है। संसार के भोग-विलास, मोह-माया, और अस्थायी सुख मन को क्षणिक तृप्ति देते हैं, परंतु सत्संग आत्मा को स्थायी शांति प्रदान करता है। महाराज श्री ने आगे कहा —“सत्संग केवल शब्द नहीं, यह आत्मा का स्नान है। जब हम संतों के वचन सुनते हैं, तो भीतर के अंधकार मिटने लगते हैं और दुख अपने आप दूर हो जाते हैं।”उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे सूर्य का प्रकाश अंधकार को मिटा देता है, वैसे ही संत वचन जीवन के तम को हर लेते हैं। स...
“सॉंस- बहु”सेमिनार का गुरुमॉं उपप्रवर्तिनी पु. चंद्रकला श्री जी के सानिध्य मे आयोजन- “कौन बनेगा ग्यानवान “( KBG) प्रतियोगिता की प्रवचन विभु पु. स्नेहाश्री जी द्वारा संचलन! आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ मे चातुर्मासार्थ विराजीत उपप्रवर्तिनी गुरुमॉं पु. चंद्रकलाश्रीजी म. सा. प्रवचन विभूति पु. स्नेहाश्रीजी म. सा . दिवाकर दिप्ती पु. श्रुतप्रंज्ञाश्री जी म. सा. आदि ठाणा ३ का स्वर्णिम चातुर्मास समापन के ओर अग्रेसर हो रहा है! आज “ सॉंस-बहु” का सम्मेलन बड़ेही उत्साहवर्धक एवं हास्यकल्लोल वातावरण में संप्पन्न ! 30 से अधिक सॉंस बहुओ ने इस समारोह में सहभाग लेकर एक दुजे के प्रति अपनी भावनाएँ एवं सुंखद क्षण एवं अनुभव मर्यादित शब्दो मे प्रेषित किये! भावनाविवश करने वाला यह क्षण था! इसी दरम्यान गुरुमॉं के माध्यम से अनेक धार्मिक प्रश्न पु. स्नेहाश्री जी द्वारा पुंछे गये और सही जबाब देने वाली बहनों को आ...