मुमुक्ष अभिनंदन समारोह समिति के तत्वावधान एवं महानगर में विराजित जैनाचार्यों की निश्रा में रविवार को 72 मुमुक्षुओं का विराट वर्षीदान का वरघोड़ा निकाला गया।
यह वरघोड़ा सुबह 8 बजे चूलै स्थित रैनबौ सिद्धाचल अपार्टमेंट (पुराना नटराज थियेटर) से शुरु होकर मुख्य मार्गों से होता हुआ वेपेरी स्थित संभवनाथ मंदिर के प्रांगण में पहुंच कर धर्मसभा में परिवर्तित हुआ। धर्मसभा में मुमुक्षुओं का तिलक, माला, श्रीफल व स्मृति चिन्ह से अभिनंदन किया गया।
वरघोड़े में बग्घियों पर विराजित मुमुक्षगण अनोखी छटा बिखेर रहे थे, वहीं ढोल नगाड़ों व बैण्ड की स्वर लहरियां वातावरण को गुंजायमान कर रही थी। समारोह के आयोजन में श्री जैन संघ सांचोर, सांचोर युवा मंडल, शासन सेवा रत्न कलापूर्ण जैन आराधक मंडल का सहयोग रहा।
शाम 7 बजे वेपेरी स्थित लौद्रवा पार्श्वनाथ जिनालय में चैत्यपूजा एवं गौतम किरण के प्रांगण में मुमुुुक्षुओं का अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन मनोज राठौड़ ने किया।
किलपाॅक संघ ने भी किया मुमुक्षुओं का अभिनंदन
किलपाॅक श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ के तत्वावधान एवं आचार्यश्री तीर्थ भद्रसूरिश्वरजी की निश्रा में 72 मुमुक्षुओं का एससी शाह भवन में अभिनंदन किया गया। संघ के पदाधिकारियों व ट्रस्टियों ने तिलक, माला, श्रीफल व स्मृति चिन्ह द्वारा मुमुक्षुओं का सम्मान किया। इस मौके पर आचार्यश्री ने कहा यह चेन्नई का महापुण्योदय है। तीर्थंकर परमात्मा जिस मार्ग पर चले, उसी मार्ग पर चलने वाली मुमुक्ष आत्माओं का पदार्पण यहां हुआ है।
उन्होंने कहा कि मुमुक्ष उसे कहते हैं जिसके हृदय में भव के बंधन से मुक्त होने की भावना है। यही दुर्लभ मनुष्य जीवन का मुख्य लक्ष्य है। उन्होंने मुमुक्षुओं को प्रेरणा देते हुए कहा कि संयम जीवन के मार्ग में मोह राजा हमें भ्रमित करे, इसके लिए प्रलोभन, प्रमाद व पाप इन तीन चीजों से हमेशा दूर रहना है।
संयम जीवन में गुरु के प्रति समर्पित रहना है। दो बड़े पाप जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है वे हैं आत्म प्रशंसा व परनिंदा। आप विलासिता के वातावरण में संसार, परिवार का त्याग कर संयम मार्ग अपना रहे हैं। अन्तर्मन से मेरा आशीर्वाद आपके साथ है। संयम जीवन को उज्ज्वल बनाओ और जिनशासन की जयनाद हो। आपको सकल संघ का आशीर्वाद मिल रहा है।
इस दौरान संघ में आगामी अंजनशलाका प्रतिष्ठा, दीक्षा- पंन्यास पदवी महोत्सव के बाकी चढावों की जाजम एक बार फिर बिछाई गई। इस दौरान बाकी रहे कई चढावे बोले गए। संगीत सम्राट नरेन्द्र वाणीगोता ने चढावों को संगीतमय प्रस्तुति के साथ आगे बढाया।
आचार्यश्री ने कहा कि आज तीसरी बार जाजम बिछाई गई है ताकि कोई व्यक्ति पीछे न रह जाए। हमें परमात्मा व उनके परिवार के साथ रिलेशनशिप बनानी है, नाता जोड़ना है। परमात्मा हमारे इस सुकृत को कभी भूलेंगे नहीं, चाहे हम किसी भव में चले जाएं। ये प्रभु हैं, वीतराग परमात्मा है, करुणा के सागर हैं।
परमात्मा के साथ नाता जोड़ने वाले का कल्याण ही कल्याण है। कोई इससे व्यक्ति वंचित न रह जाए इसीलिए तीसरी जाजम हुई है। संघ में तीन प्रसंग एक साथ जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठा के उसी मुहुर्त में पूरे भारतवर्ष में 10 से ज्यादा अंजनशलाका- प्रतिष्ठाएं होगी। इस अवसर पर मुमुक्ष जिनलबेन का सम्मान हुआ। जिनलबेन ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी।