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24 तीर्थंकरों की भक्ति करने से आ जाएगा बसंत बहार : डॉ. वसंतविजयजी म.सा.

24 तीर्थंकरों की भक्ति करने से आ जाएगा बसंत बहार : डॉ. वसंतविजयजी म.सा.

भगवान की भक्ति समझकर करें दूसरों की सेवा, होगी प्रगति : डॉ. वसंतविजयजी म.सा.

इंदौर। तमिलनाडू प्रांत के विश्वविख्यात श्री पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थधाम के कृष्णागिरी पीठाधिपति डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने रविवार को कहा कि किसी भी मनुष्य को किसी भी तरह की तकलीफ हो, समस्या हो या घर में अशांति, परेशानी हो तो 11 दिनों तक पूजा वस्त्र पहनकर भगवान पार्श्वनाथ जी की भक्ति, जाप करने के साथ-साथ 24 तीर्थंकरों की भक्ति करने से जिस तरह 12 वर्षों बाद उज्जैन में सिंहस्थ आता है ठीक उसी तरह आपकी जिन्दगी में भी 11 दिनों के जाप करने के बाद 12 दिन में बसंत बहार आ जाएगा।
श्री नगीन भाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में हृींकारगिरी तीर्थ धाम में दिव्य भक्ति चातुर्मास कर रहे डॉ. वसंतविजयजी म.सा.ने यह बात प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि दूसरों के हित को ध्यान में रखकर कर्म करेंगे तो निश्चित ही वह मनुष्य है, क्योंकि दूसरों के हित से बड़ा कोई धर्म, कर्म नहीं होता है।
दूसरों, गरीबों की सेवा भगवान की भक्ति समझकर ही करें। इससे न केवल हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि सहनशीलता भी बढ़ती है। ओर तो ओर मन शांति की ओर अग्रसर होता है और हमारा धैर्य हमें विचलित नहीं होने देता। डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि प्राणी को दूसरों की भलाई करना ही अपना प्रथम कर्तव्य मानना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अपने शुद्ध मन, वचन और काया से दूसरों की भलाई करेंगे तो निश्चित ही हमारी प्रगति को कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि दूसरों के सुख-दु:ख के बारे में सोचेंगे तो उसी पल आपकी खुशी की शुरुआत हो जाएगी ओर तो ओर सांसारिक सुख सुविधा की भी कभी कमी नहीं आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि दूसरों की सहायता करना और कल्याण के लिए जीना ही जीना माना जाता है।
दूसरों की भलाई करना ही मानव धर्म है। ट्रस्टी जय कोठारी ने बताया कि रविवार सुबह के सत्र में प्रतिष्ठापित मूलनायक परमात्मा पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा का विधिकारक हेमंत वेदमूथा मकशी द्वारा 50 दिवसीय 18 अभिषेक आज भी जारी रहा। लाभार्थी शांतिलाल गांधी (रुपवर्षा), सुविधिकुमार हिमांशू बोटादरा परिवार रहा।
ट्रस्टी विजय कोठारी व वीरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि चातुर्मास प्रवासित डॉ. वसंतविजयजी म.सा. से दर्शन, प्रवचन व मांगलिक श्रवण का लाभ लेने वालों में इंदौर, भोपाल, मुम्बई, गुजरात, राजस्थान सहित अनेक जगह से श्रद्धालू शामिल थे।

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