कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में चातुर्मासिक प्रवचन की कड़ी में विमलशिष्य वीरेन्द्र मुनि ने जैन दिवाकर दरबार में धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि सुबाहु कुमार सुख भोगो में व राजकिय जवाबदारी का निर्वहन करते हुवे भी भगवान महावीर स्वामी के सेवा में अपने परिवार के साथ उपस्थित हुवे प्रभु ने अपनी मधुर अमृत से भी ज्यादा मीठी वाणी में अणगार धर्म और आगार धर्म की व्याख्या कि।
श्रावक के 12 व्रतों में पहला अणुव्रत अहिंसा है जीवों की रक्षा करना क्योंकि अहिंसा ही परम धर्म है। आत्मा को उज्जवल पवित्र बनाने वाला अहिंसा धर्म है परंतु आज हम देखते हैं हिंसा का जोर है।
हम अहिंसा के देवता प्रभु महावीर के पुजारी सेवक (श्रावक) हैं हमारे घरों में कई चीजें हिंसा कारी आ रही है और हम उसे यूज कर रहे हैं।
शैंपू नकपोलिश लिपस्टिक कई प्रकार की चॉकलेट बिस्किट श्रृंगार प्रसाधन की सामग्रियों का उपयोग कर रहे हैं अतः हमे विचारना चाहिये कि हम किन वस्तुओं का प्रयोग करें।
जिससे हमारा अहिंसा व्रत का पालन हो सके और हम जीव हिंसा से बच सकें।
मुनिश्री ने कहा कि कल 22.8.2018 को बकरीद है कल लाखों जीवो का कत्लेआम होगा अतः उन जीवों को साता पहुंचाने के लिये एकासना आयंबिल उपवास आदि करें व नवकार महामंत्र का जाप करें जिससे उनकी आत्मा की सदगति होवे।