पुरुषवाक्कम स्थित एमकेएम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने कहा गुणवत्ता और उसके पोषक तत्त्वों के आधार पर चार प्रकार बताए जिससे फसलों का उत्पादन और जीवन प्रभावित होता है। हम किसी की चुराई हुई वस्तु तो लौटा सकते हैं लेकिन किसी के प्राण लेने के बाद लौटा नहीं सकते। हमें किसी का जीवन हरण करने बचना चाहिए। परमात्मा कहते हैं हिंसा के दुष्परिणामों और उसके वाइब्रेशन से हम बच नहीं सकते।
व्यक्तिगत जीवन में घटनाओं के बीज पुरुषार्थ के हाथों में होते हैं। मनुष्य जीवन, उच्च कुल में जन्म और अच्छे संस्कार पूर्व पुण्य के कारण मिले लेकिन उन्हें ग्रहण करना और धर्म के मार्ग पर प्रशस्त होना, संतों के सानिध्य में जाना पुरुषार्थ कहलाता है।
परिवारिक जीवन की घटनाओं में कर्म, भाग्य, पुरुषार्थ के साथ-साथ रिश्तों की अहम भूमिका होती है। आपके साथ जुड़ा हुआ कोई आदमी खराब नहीं होता, बल्कि उसके साथ आपका रिश्ता कैसा है यह महत्वपूर्ण होता है। सम्यक जीवन यापन जीने से हम अपना भाग्य नहीं बल्कि उसकी लेश्या को बदल सकते हैं।
उन्होंने पानी की परमात्मा ने अग्नि को सबसे भयंकर शस्त्र कहा है। सबसे दीर्घ और व्यापक चौड़ाई और आकार वाले जीव वनस्पतिकाय के हैं। जिनको अग्निकाय नष्ट कर देता है, उनकी हिंसा करता है। अग्नि निरंतर शस्त्र है, वह हमेशा जलाती है।
तीर्थेशऋषि ने कहा पर्यूषण पर्व पर हम ऐसे संकल्प और व्यवस्था बनाएं कि पापी भी धर्म कार्य करने को तैयार हो जाए। जो धर्म से टूट रहे हैं वे धर्म से जुड़ जाएं और अपने स्वजन भी धर्म से जुड़े रहें। हमारे देश की संस्कृति उत्सव प्रिय है और पर्यूषण पर ऐसी व्यवस्था बनाएं कि जो अपने वश में है वह जरूर करें।
गुरुवार को दोपहर 2 से 4 बजे तक वरिष्ठ नागरिकों के लिए अद्भुत जीवन प्राप्त करने के लिए सरल मार्ग पर विशेष व्याख्यान का आयोजन होगा।