कोयम्बत्तूर. अरसूर स्थित महाराजा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी परिसर में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आदमी को हिंसाकारी मृषावाद का प्रयोग नहीं करना चाहिए। झूठ बोलने के कई कारण बताए गए हैं। झूठ पाप होता है और आदमी को इस पाप बचने का प्रयास करना चाहिए। साधु के लिए तो मृषावाद सर्वथा वर्जनीय होता है।
आदमी को झूठ नहीं बोलना चाहिए। आदमी भय के कारण से झूठ बोलता है। आदमी को जब किसी से भय लगता है अथवा अपने किए हुए गलत कार्यों की सजा से उसे डर लगता है तो वह झूठ बोलता है। झूठ बोलने वाले का विश्वास चला जाता है। इसलिए किसी भी भय के कारण झूठ बोलने से बचने का प्रयास करना चाहिए।
न्यायालय में भी आदमी को झूठ नहीं बोलना चाहिए। आदमी को किसी दूसरे को झूठे मुकदमे आदि में फंसाने से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी लोभ के कारण झूठ बोलता है। किसी प्रकार का मन में लालच आ जाए तो भी आदमी झूठ बोल देता है। आदमी को लोभ नहीं करना चाहिए और झूठ बोलने से बचने का प्रयास करना चाहिए।
आदमी हंसी-मजाक में भी झूठ बोल देता है। आदमी को हंसी-मजाक में भी मृषावाद से बचने का प्रयास करना चाहिए। थोड़े समय के लाभ के लिए आदमी को अपनी ईमानदारी और प्रमाणिकता को नहीं छोडऩा चाहिए। आदमी को अपने जीवन में ईमानदारी को स्थान देने का प्रयास करना चाहिए।