चेन्नई. इस्ट गोदावरी जिले में स्थित तुनी गाँव में आचार्य जयन्तसेनसूरि के शिष्य मुनि संयमरत् न विजय ,मुनि भुवनरत् न विजय ने प्रवचन देते हुए कहा कि हर हाल में मस्त रहने वाला व्यक्ति जबरदस्त होता है, सुख मिलने पर खुश नहीं होता और दु:ख आने पर वह मायूस नहीं होता। हर हाल में मस्त रहना ही प्रतिकूलताओं पर विजय प्राप्त करने का मूल सूत्र है।
जिस तरह हवा चलने पर ध्वजा लहराती रहती है और हवा न चलने पर अपना शीष ऊँचा रखती है,उसी तरह हर परिस्थिति में मस्त रहने वाला अपनी मन:स्थिति को स्वस्थ रखता है। जो लोग अपने आपको अपमानित महसूस करते हैं,वे ही लोग दूसरों से सम्मान पाने की अपेक्षा रखते हैं।
जगत में अभिनंदन करने वाले कम और अपमान करने वाले अधिक मिलेंगे, इसलिए किसी के द्वारा किया गया अपमान और उपेक्षा हमारी मस्ती और प्रसन्नता की ही कसौटी होती है। जो अपने जीवन में समता,सरलता और सहनशीलता को आत्मसात कर लेता है, वही हर हाल में मस्त रह सकता है।
अपनी मस्ती में मस्त रहने वाला किसी की उलझनों में नहीं उलझता, वह सहज व सरल जीवन जीता है। किसी के अच्छा कहने पर हम अच्छे नहीं होते और कोई हमें बुरा कह दे तो हम बुरे नहीं हो जाते,हमें औरों के दृष्टिकोण से ज्यादा स्वयं के दृष्टिकोण को महत्व देना चाहिए कि हम कैसे हैं। दुनिया में सलाह देने वाले तो अनेक मिल जाते हैं, पर दी गई सलाह को मानने वाले कम होते हैं।
जब तक कोई स्नेह, सम्मान और उत्साहपूर्वक अपनी बात सुनने के लिए तत्पर न हो हमें किसी को भी मुफ्त की सलाह नहीं देना चाहिए। मुनि ने विशाखापट्टनम की ओर विहार किया। 26-27 जनवरी को विशाखापट्टनम स्थिरता रहेगी।