टैगोर नगर के श्री लाल गंगा पटवा भवन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि के प्रवचन
महावीर में ऐसा क्या है जो दूसरों के पास नहीं है। श्रेष्ठ उसे ही चुना जाता है जो श्रेष्ठतम होता है। एक नेचुरल इमोशन है। कोई बाप अपनी बेटी को ऐसे घर में देना पसंद नहीं करता है जो उसके घर से कमजोर हो। हमेशा बाप अपनी बेटी के लिए ऐसा घर खोजता है जो अपने से बढ़िया हो। हम उसी का साथ पसंद करते हैं जो हमसे बढ़िया हो। तुम्हें ऐसा श्रेष्ठतम क्या मिला जो कहीं और नहीं मिला। मेरे इस एक सवाल में आपके कई सवालों के जवाब हैं।
जम्बू कुमार ने जब दीक्षा ली, भगवान महावीर स्वामी उस वक्त धरती पर नहीं थे। इस धरती पर परमात्मा का क्या है! अच्छा होता जो पूछने वालों ने ये पूछा होता कि सुधर्मा स्वामी में क्या नजर आया जो तुमने वहां दीक्षा ली। सवाल जम्बू कुमार का है लेकिन पूछा जा रहा है सुधर्मा स्वामी के बारे में, वो इसलिए क्योंकि सुधर्मा स्वामी का अस्तित्व है ही नहीं। कभी भी आगम उठाकर देखिए। सुधर्मा स्वामी कभी ये नहीं बोलते कि मैं ऐसा बोल रहा हूं। वो सिर्फ ये कहते हैं कि मैं परमात्मा महावीर से ऐसा सुना है।
मैंने तीर्थंकर परमात्मा के चरणों में रहकर ऐसा सुना है। जैसा मैंने सुना, वैसा मैं जी रहा हूं, वैसा मैं बोल रहा हूं। जो मैं बोल रहा हूं, उसमें मेरा कुछ नहीं है। क्यों सुधारना स्वामी गंधर्व उत्तराधिकारी बने! उत्तराधिकारी कौन बनता है! इंद्रभूति गौतम भगवान महावीर के सबसे बड़े शिष्य हैं। ज्येष्ठतम हैं। श्रेष्ठतम हैं। कोई सानी नहीं है उनका। सुधर्मा स्वामी तो पांचवें नंबर पर हैं। उत्तराधिकारी बड़े को बनना चाहिए या छोटे को बनना चाहिए! फिर भी सुधर्मा स्वामी उत्तराधिकारी बने। इसका छोटा सा कारण है।
महावीर जब निर्माण को पधारे तो इंद्रभूति गौतम स्वयं सूरज बन गए। अब कोई इंद्रभूति गौतम को जाकर सवाल पूछता है तो वह कहते हैं कि मैं ऐसा जानता हूं। वह कभी ऐसा नहीं बोलेंगे कि भगवान महावीर ने ऐसा फरमाया है। वही सुधर्मा स्वामी ने कहा कि मैं ऐसा कह रहा हूं क्योंकि मैं महावीर से ऐसा सुना है। यही वजह है कि जम्मू कुमार ने सुधर्मा स्वामी से दीक्षा ली। इंद्राभूति गौतम से नहीं।
भक्त हो तो इंद्रभूति गौतम जैसी
संत श्री ने कहा कि एक बार आप इंद्रभूति गौतम की भक्ति देख लेंगे तो आपको दूसरा कोई भक्त नजर नहीं आएगा। अनूठा भक्त, अद्भुत भक्ति। जैसे ही परमात्मा का निर्वाण हो गया, इंद्रभूति गौतम बहुत रोए।
इतना रोए की कोई व्यक्ति अपने माता-पिता की मृत्यु पर भी नहीं रोएगा। इतना बिलखे कि लोगों को देखकर आश्चर्य हुआ यह इंद्रावती गौतम हैं। उन्हें रोते-रोते ही कैवल्य ज्ञान हो गया। हमें माला जपते जपते नहीं होता है।
आप सब से यही कहना चाहूंगा कि जब भी रोना हो, दो व्यक्ति की तरह रोना। एक इंद्रभूति गौतम की तरह रोना जिन्हें रोते-रोते कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हो गई। दूसरा चंदनबाला की तरह रोना जिन्हें और रोते-रोते परमात्मा मिल गए।
रोज सुबह 9 बजे से प्रवचन
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि गुरुदेव नित्य सुबह 9 से 10 बजे तक प्रवचन के जरिए लोगों को सही राह दिखा रहे हैं। इसके अलावा अर्हम विज्जा शिविर के अंतर्गत लोगों को श्रेष्ठ जीवन जीने का तरीका भी बता रहे हैं। किसी भी धर्म-समाज का व्यक्ति गुरुदेव का मार्गदर्शन लेने के लिए श्री लालगंगा पटवा भवन आ सकता है।