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हर पल परमात्मा के अनंत उपकारों का स्मरण करो: साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

हर पल परमात्मा के अनंत उपकारों का स्मरण करो: साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

साध्वी जी ने बताया- बहुमूल्य जीवन हमें परमात्मा की अनुकम्पा से मिला है

शिवपुरी। पोषद भवन में पांच जैन साध्वियों के चातुर्मास के कारण जिन वाणी की वर्षा हो रही है। आज महावीर दरबार में जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने परमात्मा के हम पर अनंत उपकारों की याद दिलाई और कहा कि प्रतिदिन सुबह उठकर सबसे पहले परमात्मा को जीवन देने के लिए धन्यवाद देना चाहिए। उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए साध्वी वंदनाश्री जी ने भजन प्रस्तुत किया कि तूने मेरे प्रभु जी सब कुछ दिया है, तेरा शुक्रिया, तेरा शुक्रिया…।

धर्मसभा में साध्वी जयश्री जी ने शास्त्र वाचन करते हुए भगवान महावीर के आदर्शों और सिद्धांतों को बताते हुए कहा कि आध्यात्मिकता की यात्रा में व्यक्ति का निर्माण होना चाहिए और यही निर्माण एक दिन निर्वाण की ओर ले जाएगा।

साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने भगवान के उपकारों का स्मरण करते हुए बताया कि यह बहुमूल्य मानव जीवन हमें उनकी कृपा से ही मिला है। उन्होंने कहा कि जब एक आत्मा सिद्ध अवस्था को प्राप्त करती है तो त्रियंच गति में भटक रही एक आत्मा को नर तन मिलता है। इसलिए सिद्ध भगवान का सबसे बड़ा हम पर यही उपकार है कि यह बहुमूल्य जीवन हमें उनकी सिद्ध गति के कारण ही मिला है।

परमात्मा को याद करने से सिद्ध की भक्ति का लाभ मिलता है जो जीवन के उत्थान के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि 108 बार प्रभु का स्मरण करने से वचन सिद्धि प्राप्त होती है बशर्ते यह शुद्ध भावना के साथ की जाए। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि जो आत्मा केवल्य ज्ञान को प्राप्त करती है उन अरिहंत भगवान को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन उनके अंतस में दूसरों के कल्याण की इतनी गहन भावना है जिसके कारण वह उपदेश देते हैं और प्राणी मात्र को जीवन के उत्थान का सच्चा मार्ग बताते हैं।

वह उपदेश इसलिए भी देते हैं, क्योंकि उन्हें वचन की पंूजी मिली है और इसका सदुपयोग हो यह उनकी भावना होती है। साध्वी जी ने बताया कि यदि अरिहंत और सिद्ध भक्ति में व्यक्ति भावों की श्रेष्ठता का समावेश कर ले तो वह भगवान बन सकता है।

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