चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा परमात्मा ने सच्चा सुख मोक्ष के मार्ग को बतलाया है। संसार में रहते हुए मनुष्य इस सुख को पा सकता है। अगर पहले की योनि को देखा जाए तो पता चलेगा कि मनुष्य कितनी बार कौन कौनसे जीव का जन्म पाया है।
बहुत पुण्य के बाद ये मानव भव मिला है। इसको नही सुधारा तो फिर से नरक में जाना पड़ेगा। मनुष्य को यह भव पाकर कितने धर्म और उपकार के कार्य कर रहा है पर चिंतन करनी चाहिए। मनुष्य अगर जीवन के अनमोल सांस को व्यर्थ गंवायेगा तो नर्को का उदय हो जाएगा। मानव को अभी भी आत्मा का बोध नहीं हुआ है कि वह संसार में किसलिए आया है।
इसलिए पाप मार्ग पर बढ़ता जा रहा है। अगर मानव अपनी योनियों के बारे में चिंतन करे तो उसे पता चल जाएगा कि कितने भवों में क्या क्या झेला है। चिंतन करने के बाद मनुष्य अपने इस समय को सुधार सकता है।
मानव को संसारी सुखों के लिए नरक का मार्ग प्रसश्त नहीं करना चाहिए। संसार की वेदना में समय व्यर्थ करने के बजाय धर्म में समय लगाना चाहिए। परमार्थ की वजह से मनुष्य धर्म से वंचित हो रहा है। लोगों को पता नहीं कि वे परमार्थ में कितना समय व्यर्थ कर रहे हैं। संसार की मौज मस्ती एसो आराम में रहोगे तो यहीं रह जाओगे।
जीवन में आगे जाना है तो इन चीजों से दूर हो जाना चाहिए। कैसी भी परिस्तिथि हो क्रोध से दूर रहना चाहिए। ऐसे स्थिति में शांत रहने वाले जीवन को ऊंचाइयों पर पहुंचा देते हैं। जीवन में आगे जाना है तो विचार करें।