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हर एक व्यक्ति की प्रवृत्ति रुचि स्वभाव सामान नहीं होता

हर एक व्यक्ति की प्रवृत्ति रुचि स्वभाव सामान नहीं होता

श्री हीराबाग जैन स्थानक में विराजित साध्वी आगम श्री जी म सा ने बताया कि परमात्मा ने जगत जिओ को आगम के माध्यम से आत्म साधना का उपदेश दियाl हर एक व्यक्ति की प्रवृत्ति रुचि स्वभाव सामान नहीं होताl तीन प्रकार के व्यक्ति होते हैं, जिसमें सातवा, गनी और रजोगुणी यह तीन प्रकार के होते हैं। शांत सुशील धर्म वान होता है रजोगुणी वाला गुस्सा आवेश वाला होता है अंदर में स्वयं की पकड़ रखने वाला होता है और प्रसंग को टालने की ताकत उसमें नहीं होती तमोगुण वाला व्यक्ति अज्ञानता के अंधकार में भटकता है।

जिसमें कोई सार का विवेक नहीं होता लोकेशन के प्रवाह में तनाव लाने वाला होता है विविध प्रकार के प्रवृत्ति के लोग समाज में होते हैं। भगवान ने स्वयं के केवल ज्ञान में यह सब होगा यह जानकर क्या करना हमें अपनी आत्मा का अभिमान नहीं करना। हमें तो मुख्य मार्ग से गमन करना है उसमें कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए। गौतम स्वामी प्रथम गंधार थे सभी में बड़े थे वह समझते थे मेरा परम कर्तव्य है जितना नमो उतना ऊंचा उठो नम्रता हैl सर्वगुणों की सहेली भक्तों के हृदय में कायम रहती हैl आपके घर कोई अतिथि आता है साधर्मिक तो आप उनका सत्कार कैसे करते हो व्यक्ति के अनुरूप सत्कार करते हैंl

वह स्वयं जीवन के अंदर के गुना को जानकर उनके स्वामी बन सकता है आज हमें शासन मिला हैl भगवान का संपूर्ण शासन शीतल शीतल घर में फ्रिज ठंडक पहुंच जाती हैl ऐसे ही हृदय में शासन ठंडक पहुंच जाता है शासन को हृदय में बसाओl प्रभु हम पर प्रसन्न होकर यह शासन भेट दिया है अब हृदय में ठंडक हीठंडक है यदि हृदय में ठंडक है तो समझ लेना हमने शासन में प्रवेश किया हैl अपने हृदय में शासन की स्थापना हुई है हृदय में आगे की ज्वाला धड़क रही है तो समझना अभी तक हमारा शासन में प्रवेश नहीं हुआl यह शासन अलौकिक चीज है इसमें शाश्वत सुख की फ्रिज यह परम प्रभु की रिच हैl इसमें शाश्वत सुख समय हुआ है कैसी चमन और गौतम स्वामी इनका सुंदर मिलन हुआl एक दूसरों को सत्कार सम्मान दे दिया वार्तालाप हुआ दोनों का वार्तालाप सुनने के लिए सभी कोई पहुंच गए हैंl ऐसा परम पूज्य आगम श्रीजी म साने फरमाया प पू धैर्याश्रीजी म सा ने स्तवन सुनायाl डॉ भिकमचंदजी सकलेचा ने संचालन कियाl

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