चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि जब मनुष्य का उत्कर्ष होना होता है तब अपने आप ही जीवन में भक्ति आने लगती है। लेकिन उस भक्ति को जीवन में आबाद करने के लिए लगन चाहिए होती है।
लगन से किया हुआ कार्य कभी भी असफल नहीं होता है। प्रेम प्रीति का भाव मनुष्य को अपने परिवार से शुरू करने की जरूरत है। क्योंकि परिवार के साथ रह कर जो मनुष्य प्रेम नहीं कर पाता वह बाहर प्रेम नहीं कर सकता है।
परिवार के साथ प्रेम और प्रीति का भाव नहीं बना सकता तो परमात्मा के प्रति प्रीति बनाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा परमात्मा के प्रति अंर्तआत्मा से प्रीति रखने की जरूरत है। मनुष्य का कोई भी कार्य पूरा नहीं होगा अगर उसे प्रेम से ना किया जाए।
कठिन से कठित कार्य को अगर प्रेम से किया जाए तो उसे पूरा होने में समय नहीं लगता है। चाहे कितने ही भोग चढा लिए जाएं लेकिन जब तक अंतर से परमात्मा के प्रति प्रेम नहीं होगा भक्ति सार्थक नहीं हो सकती है।
जब मनुष्य दिल से भक्ति कर भक्त बनेगा तो वह भगवान भी बन सकता है। उन्होंने कहा कि हर अच्छे चीज की शुरुवात घर से होती है। अगर घर मे सब कुछ अच्छा है तो बाहर सब अच्छा होगा। इस लिए घर का वातावरण हमेसा अच्छा बना कर रखना चाहिए।