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हमेशा संतुष्टि का भाव रखें: साध्वी साक्षीज्योति

चेन्नई. न्यू वाशरमैनपेट स्थित जैन स्थानक में विराजित साध्वी साक्षीज्योति ने कहा तृष्णा को ऐसा वरदान मिला हुआ है कि वह जिस दिल में बैठ जाती है कभी खत्म ही नहीं होती। एक पूरी होकर खत्म नहीं होती है उससे पहले दूसरी तैयार खड़ी रहती है।

तृष्णा को हर चीज में कमी लगती है जबकि संतोष हमेशा तृप्त रहता है। साध्वी ने कहा व्यक्ति अथक परिश्रम करके एवं बहुत संकट झेलकर धन कमाता है। लाभान्तराय का क्षयोपसम हो जाए तो भी धन कमा लेता है, लेकिन यदि जोडऩे का, जमा करने का लोभ आ गया तो भोग-उपभोग कर नहीं पाता।

यदि जोडऩे की भावना मन में आ गई तो फिर इनसान हर चीज में कंजूसी करना शुरू कर देता है। इसलिए सबसे पहली जरूरत इकट्ठा करने की जो लालसा है उस पर लगाम लगानी चाहिए।

देह छूटने से पहले जो लोग छोड़ते नहीं हैं वे देह छूटने के बाद दुर्गति में जाते हैं। संजय दुगड़ ने बताया कि प्रवचन के बाद लाभान्तराय का जाप हुआ जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।

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