बिबवेवाडी पुणे में चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य महासती श्री कुमुद्लाताजी महाराज साहब ने आज चातुर्मास के प्रथम दिवस पर फ़रमाया कि बारिश के दिनों में जीवो की उत्पत्ति सर्वाधिक होती है इसलिए तीर्थंकर परमात्मा ने इनकी हिंसा से बचने के लिए चातुर्मास का विधान किया है। आगे उन्होंने कहा कि यदि हमारे बच्चो को संस्कारवान बनाना है तो हमारे स्वयं के स्कूल कोलेज आदि की स्थापना करनी होगी। मंदिर धर्म स्थानों का बहुत निर्माण कर लिया है अब हमें जरुरत है हमारे स्वयं के स्कूल कोलेज की क्योंकि जब बच्चा संस्कारवान बनेगा तब ही इन मंदिर, गौशाला आदि की रक्षा हो पायेगी इसलिए इस चातुर्मास में मानव सेवा का लक्ष्य रखे।
कार्यक्रम की शुरुआत दिवाकर चालीसा के साथ महासति श्री पदमकीर्तिजी महाराज साहब ने चातुर्मास का महत्व एक सुंदर गीत के माध्यम से समझाया।
महासती श्री महाप्रज्ञाजी ने चवदस का महत्व बताते हुए कहा कि हमे पाप को छोड़कर धर्म की ओर बढ़ना है। हमें इंद्रियों का दमन करना चाहिए क्योंकि इनके द्वारा सारा पाप होता है। साथ ही शांत रहना चाहिए ये संकल्प करे की धर्म किया या नहीं किया, कोई बात नही लेकिन शांत रहे। शांति जीवन में बहुत आवश्यक है। इस चातुर्मास स्थापना पर हमे ये सोचना है कि हमने धर्म कितना किया है। ये चातुर्मास हमें जगाने आया है।